Administrative Surgery: 2 दिन लगातार हुए फेरबदल में उन IAS अफसरों को फिर बदला, जिनकी सरकार को ज्यादा जरूरत!

संजय दुबे और मनीष रस्तोगी व्यवस्था को कंट्रोल करने में माहिर!

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Administrative Surgery: 2 दिन लगातार हुए फेरबदल में उन IAS अफसरों को फिर बदला, जिनकी सरकार को ज्यादा जरूरत!

सुरेश तिवारी का विश्लेषण 

Bhopal : प्रदेश में कल और परसों देर रात किए गए प्रशासनिक फेरबदल में एक बात साफ नजर आती है, कि फिलहाल मध्यप्रदेश सरकार को ऐसे अफसरों की ज्यादा जरूरत है, जो सरकार की मंशा के अनुरूप व्यवस्था पर कंट्रोल रख सकें। प्रमुख सचिव स्तर के IAS अधिकारी संजय दुबे और मनीष रस्तोगी ऐसे ही अफसर माने जाते हैं जिनके विभाग शायद इसी मंशा से सौंपे गए।

सरकार को वित्तीय अनुशासन की जरूरत है इसलिए मनीष रस्तोगी को वित्त सौंपा गया और संजय दुबे को सामान्य प्रशासन दिए जाने का कारण यह समझा जा रहा है कि वे किसी की ज्यादा सुनते नही।

यही कारण है कि ऐसे अफसरों को मुख्य धारा में लाया गया है और उन्हें महत्वपूर्ण प्रभार दिए गए। 1993 बैच के IAS अधिकारी संजय दुबे को जब गृह विभाग से हटाया गया था तो माना जा रहा था कि वह कम महत्व के विभाग में पदस्थ किए गए हैं। लेकिन, कुछ ही दिनों में सरकार ने उन्हें फिर महत्वपूर्ण प्रभार देते हुए अब सामान्य प्रशासन विभाग का भी दायित्व सौंप दिया।

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मनीष रस्तौगी

मनीष रस्तोगी के बारे में कहा जाता है कि वे अव्यावहारिक अधिकारी हैं। लेकिन, उन्हें अपनी अलग तरह की कार्य कुशलता के लिए भी जाना जाता है। सरकार ने यह महसूस किया कि प्रदेश के वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने के लिए ऐसे ही अफसर की जरूरत है। इसी का परिणाम है कि उन्हें वित्त विभाग का प्रभारी बनाया गया। मनीष पूर्व में वित्त विभाग के सचिव भी रहे हैं और उन्हें इस विभाग का विशेष अनुभव है। सरकार शायद उनके इसी अनुभव का लाभ प्रदेश की वित्तीय स्थिति को पटरी में लाने के लिए करना चाहती है।

सरकार ने एक दिन पहले अमित राठौर को वित्त विभाग का प्रभार भी सौंपा था। लेकिन, 24 घंटे में ही इस आदेश में फिर बदलकर अमित राठौर से वित्त विभाग वापस ले लिया गया।

जब से लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं तब से यह माना जा रहा था कि अनुपम राजन की वापसी मंत्रालय में जल्द से जल्द होगी। प्रशासनिक क्षेत्र में यह सब जानते हैं की अनुपम परिणाम देने वाले अधिकारी रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंप कर अपने प्राथमिकता वाले क्षेत्र का काम सौंप दिया है। बता दे कि जब मुख्यमंत्री, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री थे तब अनुपम ही उस विभाग के प्रमुख सचिव हुआ करते थे। अब मुख्यमंत्री उनकी योग्यता और अनुभव का लाभ इस विभाग में लेना चाहते हैं जो उनके पसंदीदा कामों में शामिल है।

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भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2009 बैच के अधिकारी मनीष सिंह के नाम पर भले ही शिवराज सिंह चौहान की मोहर लगी हो, लेकिन, उनके बारे में सब जानते हैं कि वह जहां भी रहे हैं उन्होंने सरकार के लिए परिणाम दिए हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि सरकार ने उन्हें अब लूप लाइन से हटाकर बेहतर काम सौंपा है। वे हाउसिंग बोर्ड के एमडी बनाए गए हैं।

पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दामाद श्रीमन शुक्ला को शहडोल का कमिश्नर बनाकर सरकार ने यह संदेश दिया है कि वह अभी शुक्ला को कोई महत्वपूर्ण दायित्व नहीं देना चाहती है।

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अनुपम राजन

इलैया राजा को लेकर यह चर्चा जोरों पर थी कि वे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के PS बनाए जा रहे हैं लेकिन यह आदेश तो जारी नहीं हो पाए लेकिन उन्हें अपने वर्तमान दायित्व के साथ मुख्यमंत्री का अपर सचिव जरूर बना दिया गया हैं। जाहिर है उन्हें भी परिणाम देने वाला अधिकारी ही माना जाता है।

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राजेश राजौरा

कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि दोनों दिनों के प्रशासनिक फेरबदल में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा की छाप और सलाह साफ दिखाई दे रही है जो यह जानते हैं कि किस अधिकारी का उपयोग सरकार में श्रेष्ठ तरीके से किया जा सकता है!