‘मोदी’ के बाद ‘मोहन’ बोले ‘साइबर अरेस्ट’ से डरें नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें…

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CM Mohan Yadav's VC

‘मोदी’ के बाद ‘मोहन’ बोले ‘साइबर अरेस्ट’ से डरें नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें…

 

अक्टूबर के आखिरी रविवार को ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट के मामलों पर देशवासियों को सतर्क करते हुए धोखाधड़ी करने वालों से लोगों को सावधान किया था। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है। ये सिर्फ फ्रॉड है। तो इसके एक पखवाड़े बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव पुलिस को प्रोत्साहित करने राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय पहुंच गए। उन्होंने अपील की, कि डिजिटल अरेस्ट या अन्य साइबर क्राइम की स्थिति में तत्काल पुलिस को सूचित किया जाए। हमारी जागरूकता, साइबर जालसाजों का साहस के साथ सामना और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से इन अपराधों से बचा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी लोगों को इस दिशा में जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। गत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट से बचाने के उपाय बताते हुए कहा था कि डिजिटल अरेस्ट से डरें नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें। तो मोदी के बाद मोहन का पुलिस को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य यही था कि साइबर क्राईम और डिजिटल अरेस्ट से डरें नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें।

भोपाल साइबऱ पुलिस द्वारा हाल ही में लाइव रेड कर एक पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट से बचाकर दुनिया का पहला उदाहरण पेश किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अरेरा कॉलोनी में हुई डिजिटल अरेस्ट संबंधी घटना के बारे में बताया कि 9 नवम्बर को एक व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट की सूचना उनके परिचित राजीव ओबेरॉय ने साइबर पुलिस को दी। पुलिस टीम बिना एक पल गंवाए अरेरा कॉलोनी स्थित पीड़ित विवेक ओबेरॉय (जो कि दुबई में कॉर्पोरेट सेक्टर उद्यमी हैं) के घर पहुंची। टीम ने पाया कि पीड़ित को अज्ञात साइबर जालसाजों द्वारा ईडी, सीबीआई ऑफीसर बनकर दुबई और सीरिया के वर्चुअल नंबर से कॉल कर डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है। दोपहर एक बजे से उनके ही घर के कमरे में छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। साइबर जालसाजों द्वारा पीड़ित और उनके परिवार की निजी जानकारियां, बैंकिंग डिटेल्स ले ली गईं और न बताने पर उन्हें गिरफ्तार करने और परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाने की धमकियां दी गईं। साथ ही यह भी कहा गया कि डिजिटल अरेस्ट के संबंध में किसी को न बताया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि साइबर पुलिस द्वारा रेड करने पर जालसाजों द्वारा तत्काल वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया गया। टीम द्वारा पीड़ित को समुचित तरीके से समझाइश देते हुए उन्हें फोन और लैपटॉप की डिजिटल अरेस्ट की वर्चुअल दुनिया से बाहर निकाला गया। रियल टाइम पर उनके साथ होने वाले करोड़ों की ठगी को रोका गया। पीड़ित ने स्वयं कहा कि यदि पुलिस टीम त्वरित रूप से उनके पास नहीं पहुंचती तो वे जालसाजों को करोड़ों रूपए ट्रांसफर कर देते और लंबे समय तक अपने ही घर में डिजिटल अरेस्ट की प्रताड़ना सहते। पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस और राज्य साइबर पुलिस को धन्यवाद दिया गया।

इस घटना को हुए दो दिन बीत गए, पर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की भूमिका में डॉ. मोहन यादव का सायबर मुख्यालय पहुंचकर पुलिस को प्रोत्साहित करना प्रशंसनीय है और ऐसी घटनाओं के प्रति जन-जन को जागरूक करना वाकई सराहनीय है। जिस तरह साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं और निर्दोष जनता शिकार हो रही है, उसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री की तरह ही दूसरे जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार नौकरशाहों को जन जागरूकता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निष्ठा के साथ निर्वहन जरूरी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट या अन्य साइबर क्राइम की स्थिति में तत्काल पुलिस को सूचित करें। वास्तव में जागरूकता और त्वरित कार्यवाही साइबर जालसाजों से बचने में कारगर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने साइबर अपराध में पुलिस टीम द्वारा दिखाई गई तत्परता की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय और प्रेरणादायक बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनसामान्य प्राय: सीबीआई, ईडी आदि की कार्यवाही से अनभिज्ञ रहता है और चालाक अपराधी ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। मध्यप्रदेश पुलिस सूचना प्राप्त होते ही एक्शन में आई और ठोस कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से साइबर फ्रॉड के इस प्रकरण में देश-दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि डिजिटल अरेस्ट से डरने की जरूरत नहीं है। समय पर पुलिस को सूचना दी जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए तो अपराध से बचा जा सकता है और ऐसे अपराधियों को पकड़ा भी जा सकता है।

साइबर अपराध और शिकायतों में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। भयावहता को महसूस किया जा सकता है कि वर्ष 2019 में लगभग चार हजार शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जबकि वर्ष 2024 में अब तक लगभग पांच लाख शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। और लाखों पीड़ित ऐसे होंगे, जो अपनी ठगी को अपने मन में ही रखे हैं ताकि उनकी और परिवार की इज्जत बची रहे। तो साइबर क्राइम के आंकड़ों की भयावहता सुुुरसा की तरह मुंह फैलाए है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी यही है कि हर व्यक्ति को जागरूक करें…और डरें नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें.

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