हार की समीक्षा बैठक के बाद नहीं दिखा कांग्रेस के नेताओं में समन्वय,MP को लेकर दिल्ली में कांग्रेस वेट एण्ड वॉच की स्थिति में

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हार की समीक्षा बैठक के बाद नहीं दिखा कांग्रेस के नेताओं में समन्वय,MP को लेकर दिल्ली में कांग्रेस वेट एण्ड वॉच की स्थिति में

 

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार पर दिल्ली में शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक के बाद भी प्रदेश कांग्रेस के नेता और प्रदेश प्रभारी के बीच में समन्वय नहीं दिखाई दिया। करीब सवा दो घंटे चली बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेता एक-एक कर अलग बाहर निकलते गए, जबकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता प्रदेश प्रभारी शेलजा के साथ बैठक से बाहर आए थे। हालांकि अब इस बैठक के बाद मध्य प्रदेश को लेकर दिल्ली वेट एण्ड वॉच की स्थिति में हैं।

दिल्ली में शुक्रवार की शाम को करीब सवा दो घंटे तक बैठक चली। बैठक खत्म होते ही सबसे पहले राहुल गांधी बाहर निकले। उनके निकलते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ निकले, पीछे से डॉ.गोविंद सिंह, उनके बाद कांतिलाल भूरिया इस बैठक से निकले। इनमे से किसी ने भी मीडिया से बात नहीं की। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला आए और बिना प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के उन्होंने मीडिया से बैठक को लेकर बात की।

वहीं मध्य प्रदेश की बैठक से पहले छत्तीसगढ़ की बैठक हुई थी। जिसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी नेता यहां की प्रभारी शेलजा के साथ बाहर आए और मीडिया से शेलजा ने यहां के नेताओं के साथ ही बात की।

बैठक में हार के साथ ही लोकसभा चुनाव को लेकर भी बातचीत हुई, लेकिन यह साफ हो गया है कि अब दिल्ली कुछ दिन और इंतजार करने के बाद कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहेंगे या नहीं इसे लेकर फैसला लेगी। यानि दिल्ली के नेता अभी वेट एण्ड वॉच की स्थिति में हैं।

सुरजेवाला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि संगठन को लेकर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ऊपर फैसला छोड़ दिया है। सुरजेवाला के बयान से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि खड़गे और अन्य नेता यहां के संगठन को जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहते हैं, इसलिए वह कुछ समय इंतजार करने के बाद किसी निर्णय पर पहुंच सकते हैं।

*ऐसी ही हार के बाद बदल गए थे भूरिया*

कांग्रेस में ऐसी ही हार के बाद कांतिलाल भूरिया को पद से हटाया गया था। वर्ष 2013 में कांग्रेस ने जबरदस्त हार का सामना किया था। उस वक्त प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया थे। भूरिया को पद से हटाने के लिए करीब एक महीने तक दिल्ली में मंथन किया गया। उस समय भी लोकसभा चुनाव चंद महीने बाद ही होना थे। इन सब को ध्यान में रखते हुए 14 जनवरी को भूरिया को इस पद से हटाकर अरुण यादव को प्रदेश कांग्रेस की कमान दी गई थी।