अपनी भाषा अपना विज्ञान: चैट जीपीटी और भाषा विज्ञान
A.I.(ए.आई.) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) के आगमन की चर्चा अनेक वर्षों से हो रही है। उसके कदमों की आहट, क्षितिज पर उसकी ऊषा की, प्रथम लालिमा, लो आ ही चुकी है।
इंटरनेट पर ओपन एआई द्वारा चैट-जी.पी.टी.- 4 की मुफ्त सेवा आरंभ हो चुकी है। गूगल द्वारा “बार्ड” तथा माइक्रोसॉफ्ट द्वारा ‘सिडनी’ की पेशकश है। इनकी चमत्कारिक संभावनाओं पर हम खुश हो सकते हैं। अंततः बुद्धि या मेधा द्वारा ही हम आविष्कार करते हैं और समस्याओं को हल करते हैं। इसके विपरीत अनेक विचारक ए.आई. के खतरों के अंदेशे से दुबले हुए जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि “मशीन लर्निंग” हमारे विज्ञान, मारेलिटी और नैतिकता को विकृत कर देगी। ऐसा इसलिए कि “यांत्रिक सीख” मूलभूत रूप से भाषा और ज्ञान की गलत अवधारणा पर आधारित है।
चैट-जी.पी.टी. और उसके भाई बंधु कैसे काम करते हैं?
अरबो खरबो डाटा लीलते रहते हैं। सुपर-सुपर कंप्यूटरो की श्रंखलाओं द्वारा सागर मंथन जारी रहता है। उफन कर ऊपर आने वाले मक्खन में क्या होता है? नितांत मानवीय प्रतीत होने वाले वाक्य, पैराग्राफ, निबंध, उत्तर, समस्याओं के हल, विवादास्पद विषयों पर दो या अधिक मतों का तुलनात्मक प्रतिपादन, किसी कंप्यूटर एप्लीकेशन का नया कोड, कविता, संगीत रचना और भी न जाने क्या क्या?
इसके पीछे “सोच” नहीं है, “चिंतन” नहीं है। केवल गणित है। संभावनाओं का गणित। ऐसे-ऐसे शब्द इस इस क्रम में जुड़ते हैं, व्याकरण के नियमों का पालन करते हुए वाक्य और पैराग्राफ बनाते जाते हैं।
क्या मानव जाति इस दहलीज पर आ खड़ी हुई है जिसके बारे में कहा जा सकता है कि ए.आई. न केवल संख्यात्मक दृष्टि से बल्कि गुणात्मक दृष्टि से भी इंसान के दिमाग से आगे निकल जाएगा।
स्मृति का भंडार विशाल होना बड़ी बात नहीं है। उत्तर ढूंढने की गति तेज होना बड़ी बात नहीं है। शतरंज के खेल में बड़े-बड़े ग्रैंडमास्टर्स को हरा देना बड़ी बात नहीं है।
छोटी-छोटी बातों के कुछ उदाहरण यहां है –
नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ में एक संक्षिप्त लेख
नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और उनके कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने सफाई के लिए स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया, जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना जैसी कई योजनाएं शुरू कीं जो समाज के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुईं। उनके नेतृत्व में भारत ने विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है और उनके विचारों और कड़ी मेहनत के बल पर देश की आर्थिक विकास गति में बड़ा सुधार हुआ है। उन्हें देश के लोगों की समस्याओं के लिए समझदार नेतृत्व और शक्तिशाली नेता के रूप में पहचाना जाता है।
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नरेन्द्र मोदी के ऊपर आलोचनात्मक संक्षिप्त लेख
नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और उनके कार्यकाल में वे कई महत्वपूर्ण निर्णय लेते रहे हैं। हालांकि, उनके कुछ निर्णयों और उनके प्रशंसकों के कुछ व्यवहारों पर आलोचना होती है। उनके विवादित निर्णयों में देश में दहशतगर्दी से निपटने के लिए लागू किए गए जनसंख्या नियंत्रण कानून, एनआरसी अधिनियम और फार्मर बिल शामिल हैं। इन निर्णयों को लेकर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, उनके कुछ समर्थक व्यवहारों के कारण उन्हें अलग-अलग विषयों पर आलोचना का सामना करना पड़ा है। अतः, नरेंद्र मोदी को आलोचना मिलना अनिवार्य है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि उनके कुछ निर्णय और कार्य देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें उनकी सरकार द्वारा किए गए निर्णयों को समझना चाहिए और उन्हें जानकारी के आधार पर आलोचित करना चाहिए। |
चैट जीपीटी राजनैतिक दृष्टि से पक्षपाती प्रतीत होता है। क्योकिं मेन स्ट्रीम मीडिया का कंटेंट उसकी प्रमुख खुराक है । ट्रंप और बाईडेन पर दृष्टिकोण इसीलिए भिन्न है ।
डोनाल्ड ट्रम्प पर एक कविता
मैं एक निराश्रित शब्दकोश हूँ, डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में कई शब्दों का उपयोग कर सकता हूँ, उसने समझदारी से नहीं चलाया देश का काम, उसने बस आतंक, बैठक और झूठ फैलाए हमारे नाम। उसने राष्ट्रवाद की बजाय अपने अंधभक्तों को चुना, उसने अमेरिका के नाम पर दुनिया को ढकेला और भुलाया इस धरती के सबको। उसने सत्ता का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए किया, उसने राष्ट्रीयता को भ्रष्ट किया और राजनीति को गन्दा किया, उसने संयुक्त राज्यों के बीच से अलगाव को बढ़ावा दिया, उसने दुनिया को आतंकवादी देखने को मजबूर किया। आज उसकी सत्ता खत्म हो गई है, पर उसके छोटे सोच और उसके झूठ जीते हैं आज भी कुछ लोगों के मन में।
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जो बाईडेन पर एक कविता
जो बाईडेन, एक नया दिन है आया, जो एक सफल नेता है, एक नया जीवन लाया। वह बल, दृढ़ता और संवेदनशीलता से भरा है, जो राष्ट्र को एक साथ लाने की क्षमता रखता है। उनके संदेश शांति और सहयोग से भरे हैं, जो सबको साथ लेकर चलने के लिए कहते हैं। उन्होंने अपनी कौशल और नेतृत्व से दुनिया को जीता है, जो उम्मीद और विश्वास के साथ लोगों को जोड़ता है। उन्होंने समझाया कि हमें एक साथ काम करना होगा, अपने देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहना होगा। वह राजनीतिक विभाजन और विदेशी हस्तक्षेप से लड़ा है, जो अमेरिका को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में सहायता करता है। जो बाईडेन, एक सामाजिक नेता है, जो अन्यों के साथ एक जीवन बिताने के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने समझाया कि सबका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है, और एक समृद्ध, स्थिर और समान समाज के लिए हमेशा संघर्ष करना होगा।
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मृत्यु के उपरान्त क्या होता है?
मृत्यु के उपरांत, अक्सर धर्म और ज्ञान के आधार पर, व्यक्ति की आत्मा या जीवात्मा शरीर से अलग होती है और अगले जन्म के लिए विचार-विमर्श किया जाता है।
भारतीय धर्मों में, इस अवस्था को मोक्ष, मुक्ति, निर्वाण या मुक्ति कहा जाता है जो आत्मा की मुक्ति का अवसर प्रदान करती है। इस अवस्था में, आत्मा अनन्त और अविनाशी होती है और इसे माना जाता है कि यह संसार में न जन्म लेती है और न मरती है।
दूसरी ओर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, मृत्यु के बाद शरीर का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और शरीर का अंग अंग अलग-अलग तरीके से विघटित होता है।
इसलिए, मृत्यु के उपरांत धर्म और वैज्ञानिक दोनों की दृष्टियों से व्यक्ति की अवस्था अलग-अलग होती है।
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अनेक बड़ी बाते जो चैट जी.पी.टी. या ए.आई. द्वारा संभव नहीं है।
उनके बारे में 90 से अधिक उम्र के विख्यात भाषा वैज्ञानिक नोअम चोम्स्की ने 8 मार्च 2023 को न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा है कि इस तरह के एप्लीकेशंस की उपयोगिताएं सीमित रहेंगी। मानव मस्तिष्क और कृत्रिम बुद्धि की तुलना का समय अभी नहीं आया है।
चैट जीपीटी एक राक्षस के समान ढेर सारे डेटा को निगलते निगलते उसमें से सांख्यिकी संभावनाओं के पैटर्न ढूंढता रहता है। यह एक यांत्रिक काम है। उसमें “दिमाग” नहीं लगता है। उसके पास “सोच” और “रचनात्मकता” नहीं है। “कहीं की ईट, कही का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा” जैसा हाल है ।
इसके विपरीत 2-3 वर्ष के एक शिशु का दिमाग बड़ी कुशलता के साथ न्यूनतम इनपुट के आधार पर आसपास बोली जाने वाली भाषा के व्याकरण को गढ़ता है जो संभावनाओं के गणित पर नहीं वरन लघु लघु तथा गंभीर सत्य परक ‘व्याख्याओं’ पर आधारित होता है।
किसी भाषा में ध्वनियों की संख्या सीमित होती हैं लेकिन उन्हें जोड़ जोड़ कर हजारों शब्द बनाए जाते हैं। इसी तरह भाषा में शब्दों की संख्या सीमित होती है लेकिन व्याकरण के नियमों को साधते हुए, उन्हें नाना प्रकार के क्रमों में जमाते हुए असीमित संख्या में वाक्य बनाए जा सकते हैं।
भाषा विज्ञान में व्याकरण क्या है?
एक जटिल और सटीक प्रणाली जो तथ्यों और तर्कों पर आधारित होती है। अपने आप बनती है। दिमाग सीखता जाता है। पाणिनी और चोमस्की जैसे भाषा वैज्ञानिक उन नियमों को ढूंढते हैं, परिभाषित करते हैं। इस प्रतिभा का ‘ऑपरेटिंग सिस्टम’ प्रत्येक नवजात के मस्तिष्क में शुरू से ‘प्री-लोडेड’ होकर आता है। आसपास बोली जाने वाली भाषा की ध्वनियों के बीज डलते जाते हैं, एक सुंदर बगीचा बनता जाता है। मशीन लर्निंग के ऑपरेटिंग सिस्टम इंसानी सोच की बराबरी नहीं कर सकते। बौद्धिक विकास की यात्रा में अत्याधुनिक ए.आई. अभी भी प्रागैतिहासिक, आदिमानव या मानव पूर्व के युग में (चिंपांजी से भी नीचे) अटका हुआ है।
बौद्धिक विकास को यांत्रिक योग्यता से मत आंकिये ।
ए.आई. यह बता सकता है कि क्या है, क्या था, और क्या होगा अर्थात वर्णन और कुछ हद तक भविष्यवाणी। लेकिन यह नहीं बता सकता कि क्या नहीं है, क्या हो सकता है, और क्या नहीं हो सकता है। मशीन नहीं सोच सकती कि क्या होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, क्यों होना चाहिए और क्यों नहीं होना चाहिए? असली बुद्धि की पहचान है सही और गलत या नैतिक और अनैतिक की परख और उस परख की व्याख्या।
कल्पना कीजिए आपके हाथ में एक सेब(फल) है। आप मुट्ठी खोलते हैं और वह जमीन पर गिर जाता है। मशीन के शब्दों में ‘यदि’ आप हाथ खोलोगे तो सेब नीचे गिरेगा। क्या वह कह पाएगी “कोई भी वस्तु गिरेगी”? या क्यों गिरेगी? इसे सोचना कहते हैं। ए.आई. नियम या सिद्धांत नहीं परिभाषित कर सकती जिन्हें प्रयोगों की कसौटी पर कसा जा सके। मशीन को स्वयं की आलोचना करना और अपने आप में सुधार करना नहीं आता।
शर्लाक होल्म्स, डॉक्टर वाटसन से कहते हैं-“जब आप ने समस्त असंभव उत्तरों को खारिज कर दिया हो तो जो शेष रह गया है, वह चाहे कितना ही असम्भाव्य प्रतीत हो, वही सत्य होता है”। चैट जीपीटी द्वारा इस तरह का लॉजिक संभव नहीं क्योंकि उनकी डिजाइन ही कुछ ऐसी है कि भले ही उनकी स्मृति असीमित हो लेकिन वे संभव असंभव या उचित और अनुचित का भेद करने में सक्षम नहीं है। चैट जीपीटी के उत्तर अनेक अवसरों पर सतही और दुविधा पूर्ण प्रतीत होते हैं।
चूँकि चैट जीपीटी के पास नैतिकता या आदर्श की समझ नहीं है, इसलिए उसका कोड लिखने वाले प्रोग्रामर्स ने उस पर अनेक वर्जनाएं थोप दी है।
मैंने पूछा फला फला पैगंबर या भगवान के बारे में कुछ व्यंग्यात्मक लिखकर बताइए। बार-बार उत्तर आया – ”मेरा प्रोग्रामिंग इस तरह करा गया है कि मैं किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत ना करूं।” चार्ली हेब्डू के कार्टून कार जरूर इस बात पर कार्टून बनाएंगे। तमाम योग्यताओं के बावजूद चैट जीपीटी की अन-नैतिकता और मोरल के प्रति निस्पृहता और असंगतता उसकी अनबुद्धि का घोतक है। मशीन के द्वारा रचनात्मक स्वतंत्रता और नैतिक संयम का महीन संतुलन साधना असंभव है।
Noam Chomsky, Famous Linguist
Source: https://portside.org/2023-03-08/noam-chomsky-false-promise-chatgpt