Arjuna Tree: टूटी हड्डियों और हृदयरोग के लिए वरदान है अर्जुन की छाल

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Arjuna Tree

Arjuna Tree:टूटी हड्डियों और हृदयरोग के लिए वरदान है अर्जुन की छाल

डॉ. विकास शर्मा

नए फ्लेवर के साथ कप में आप जो देख रहे हैं यह है अर्जुन की चाय। क्योंकि काढ़ा कहने से लोग नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं।

अर्जुन वृक्ष भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज (नदी नालों के किनारे होने के कारण) भी कहते हैं।

अर्जुन की चाय बनाने के लिए अर्जुन की छाल या छाल के पाउडर की आधा चम्मच अनुमानित मात्रा लेकर उसे चायपत्ती की तरह खूब उबालें, थोड़ी मात्रा में अदरख, इलायची, दालचीनी, बहुत थोड़ा सा सेंधा नमक और आवश्यकतानुसार गुड़ भी साथ मे प्रयोग करें। दूध डालना या न डालना भी आपकी इच्छा पर है। फिलहाल इस चाय में दूध के साथ साथ ये सभी जड़ी बूटियाँ भी हैं। रंग भी देखने मे बड़ा आकर्षक है और स्वाद के तो क्या कहने। अर्जुन की छाल के कारण इस चाय में एक प्राकृतिक लाल रंग उत्पन्न होगा, अतः चायपत्ती की आवश्यकता नही है। गाँव मे रहने वाले बुजुर्ग पेड़ पौधों के जानकार कहते हैं कि यह एक चमत्कारिक औषधीय पेड़ है। इसकी छाल में हड्डियों को जोड़ देने की अभूतपूर्व क्षमता होती है। हृदय रोगियों के लिए तो यह किसी वरदान से कम नही है। गाँव देहात में इसे कहुआ/ कौहा के नाम से जाना जाता है।
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अर्जुन के वृक्ष नदी नाले के आसपास उगते हुये पाये जाते हैं, जो कि 30- 40 फ़ीट की ऊंचाई तक का हो सकते हैं। इसे इसके चिकने सफ़ेद रंग के तने और चार पंखों वाले फल (star fruit के सामान) के कारण आशानी से पहचाना जा सकता है।
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अर्जुन का वृक्ष आपने आपमें एक दिव्य चमत्कारिक औषधि है। यूँ तो इसके अनेको उपयोग हैं किन्तु सबसे ज्यादा लोग ह्रदय संबंधी बीमारी, मधुमेह और टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। इसके तनो की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सीधा भी प्रयोग किया जा सकता है। इसमें टैनिन, एल्कलॉइड, कार्बोहाइड्रेट टरपीनोइड्स, स्टेरॉइड्स, फ्लेवेनोइड्स, एवं फिनॉल आदि द्वितीयक उत्पाद पाये जाते हैं जिसके कारण कई असाध्य रोगों पर यह कारगर औषधि की तरह सटीक इलाज करता है।
बुखार, दर्द सूजन, परजीवी आक्रमण, मधुमेह, हृदय रोग सभी मे यह रामवाण औषधि है। मंद पड़े हृदय को इसके सेवन से नई चेतना मिलती है। बीमारी के बाद शरीर को पुनः हष्ट पुष्ट बनाने के लिए तो यह मास्टरमाइंड है। साज एवं अर्जुन के कोमल पत्ते जानवरो को ताकतवर बनाने के लिए सांदी/ भोजन मिश्रण / चारा में मिलाकर खिलाये जाते हैं। #अर्जुनारिष्ट इसी से बने काढ़े को कहते हैं।
Elsevier: जर्नल ऑफ ट्रेफिशनल एंड कॉम्पलेमेंट्री मेडिसिन के शोध पत्र, रिवीलिंग टर्मिनेलिया अर्जुना : एन एंसीएन्ट कार्डियोवैस्कुलर ड्रग सहित कई अन्य शोध पत्र इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इसकी छाल के काढ़े से सीने के दर्द, तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदयाघात सहित कोलेस्ट्रॉल की समस्या से मुक्ति दिलाता है। बाकि जिसे मानना है माने, न मानना है न माने मर्जी आपकी। लेकिन ध्यान रखियेगा आपका शरीर बाकायदा अलार्म बजाकर बताता है कि अब शरीर पर ध्यान देना पड़ेगा। बाद में अस्पताल की खाक छानने से अच्छा है, अभी समय समय और शरीर जी सर्विसिंग करते रहें। घूमते फिरते रहें, प्रकृति के अमूल्य उपहारों का फायदा उठाते रहें।
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाडा (म.प्र.)