Art Exhibition : ‘कला के रंग’ प्रदर्शनी में 50 कलाकारों के 115 आर्ट वर्क

कलाकार शुभा वैध ने कला की बारीकियां सिखाई

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Indore : दो दिनी कला प्रदर्शनी ‘कला के रंग’ का समापन रविवार को हुआ। क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी की इस प्रदर्शनी में 5 से 55 साल तक के 50 कलाकारों के 115 आर्ट वर्क प्रदर्शित हुए। संस्था अध्यक्ष दीपक शर्मा में बताया की समापन पर सभी कलाकारों के लिए फोक आर्ट वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसमे वरिष्ठ कलाकार एवं फोक आर्ट एक्सपर्ट शुभा वैद्य ने सभी को डेमो देते हुए कुछ टेक्निक्स बताई।

वरिष्ठ कलाकार शुभा वैद्य ने बताया की अपनी रचनात्मकता और प्रतिभा को एक कलाकार के भांति निखारें और खुद को पहचाने और कला सार्विक भाषा है जिसमें समस्त लोगों को एकजुट करने की क्षमता होती है। कलाएं अनेक तरीकों से जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करती हैं। उन्होंने सभी रंगों को मिला कर नया रंग बनाना, अलग अलग कलर्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा की जब भी कोई व्यक्ति पेंटिंग, इमारत, लेख या ज़िन्दगी की बात करते है तब सबसे पहले आती है नीव डालना। पेंटिंग में नीव चालू होती है बैकग्राउंड से। बैकग्राउंड को हम अलग अलग टेक्सचर और कलर्स दे सकते है जैसे हर कला का अपना एक रंग होता है।

उन्होंने बताया सभी कलाकार अपना ब्रश, प्लेट और अन्य बेसिक चीज़े हमेशा वही यूज़ करिए जो करते आए। क्योंकि, उसमें आपका हाथ जमा हुआ है और बार-बार नया और अलग इस्तेमाल करने से हाथ नही जम पाएगा जो की आज के युवा सबसे बड़ी गलती है। बार-बार ब्रश और बेसिक आर्ट मटेरियल बदल के करते है। अपने पास कम से कम तीन साइज़ के ब्रश रखें। एक पतला जो आपको फाइन लाइन्स और शेड्स में मदद करे, एक बड़ा जो बेस को स्मूथ बनाने में काम आए और एक मीडियम जिससे आप बड़े एलिमेंट्स आसानी से बना पाएं।

शेड्स बनाते समय जितना ज़रुरत हो उतने पानी का इस्तेमाल करे! क्योंकि, ज्यादा पानी से कलर फ़ैल जाता है। हमेशा ध्यान रखे बनाते समय और सावधानी बरतें। वरिष्ठ कलाकार शुभा वैद्य ने लोक कला किसी भी क्षेत्र या स्थान का लोक सांस्कृतिक परम्पराओं का दर्पण होता है। किसी भी क्षेत्र या स्थान की जातियों व जनजातियों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही पारंपरिक कलाओं को लोककला कहते हैं। भारत जैसे देश में विभिन्न प्रान्तों में विविध रूपों में लोककला देखी जा सकती है।