Arun Yadav : ‘कांग्रेस में बदलाव जरुरी, संवादहीनता को भी ख़त्म किया जाए!’

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से 'मीडियावाला' की बातचीत'

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Arun Yadav : 'कांग्रेस में बदलाव जरुरी, संवादहीनता को भी ख़त्म किया जाए!'

Bhopal : आज अपने रोचक ट्वीट से अपने इरादों का इजहार करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव की चिंता पार्टी की एकता लेकर है। वे चाहते हैं कि अब सभी बड़े और छोटे नेताओं को गंभीरता से समझना होगा कि मुकाबला आसान नहीं है! लेकिन, इस सबके लिए पार्टी में सबको एक विचारधारा रखना होगी, तभी हम ताकत के साथ खड़े हो सकेंगे। उन्होंने पार्टी में बदलाव पर विचार करने की जरुरत पर जोर दिया और संवादहीनता ख़त्म करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया।

‘मीडियावाला’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरे ट्वीट (किसको फिक्र है कि ‘कबीले’ का क्या होगा, सब इसी बात पर लड़ते है कि ‘सरदार’ कौन होगा) में मैंने किसी को निशाना नहीं बनाया बल्कि उसमें एक संदेश है। हमें सबसे पहले पार्टी की चिंता करना है, क्योंकि आज हम जो भी हैं और जहाँ भी है कांग्रेस की वजह से ही है! कांग्रेस पार्टी जितनी सशक्त होगी, हर कार्यकर्ता और नेता उतना ही मजबूत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का अपना स्वर्णिम इतिहास है, जिसे कोई मिटा नहीं सकता। लेकिन, विपक्षी पार्टी उसकी जिस तरह व्याख्या कर रही है, वो उसकी अपनी समझ है।

अरुण यादव में उन नेताओं में भी माना जाता है, जो इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं। आज से पहले भी उन्होंने कई बार बयानों में बहुत कुछ कह दिया, जिसकी बाद में अलग-अलग तरह से व्याख्या की जाती रही!

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बारे में अरुण यादव ने कहा कि इसका दोष सिर्फ नेतृत्व को नहीं दिया जा सकता। ये पार्टी के छोटे, बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसे सोनिया जी, राहुल जी या प्रियंका जी की जिम्मेदारी बताकर हम अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते! लेकिन, आज विचार करने की भी जरुरत है और बदलाव की भी जरुरत है, इस पर बातचीत जरूर होना चाहिए। ये बदलाव राज्यों के साथ जिलों में भी होना चाहिए।

अरुण यादव ने इस बात को स्वीकार किया कि कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक संवादहीनता की स्थिति है। दिल्ली में भी है और भोपाल में भी। नेता कार्यकर्ता से चर्चा नहीं करते। नेता और कार्यकर्ता के बीच में संवादहीनता का गेप बहुत बड़ा है, पहले इसे भरने जरुरत है। जब नेता मिलना नहीं चाहेगा तो कार्यकर्ता जाए तो जाए कहां! अरुण यादव ने कहा कि जब कार्यकर्ता की हैसियत बनेगी तब ही नेता की हिम्मत बढ़ेगी और पार्टी मजबूत होगी।