अटल जी की कल्पना, मोदी के नैतिक बल से संभव हुई केन-बेतवा लिंक परियोजना, जल्दी होगा भूमिपूजन – प्रहलाद पटेल

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भोपाल: मध्यप्रदेश में केन-बेतवा लिंक परियोजना की तैयारियां पूरी हो गई हैं, जल्दी ही भूमिपूजन होगा। यह कहना है केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का। वहीं मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन का लक्ष्य 2023 तक पूरा हो, इसके लिए मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। पटेल का मानना है कि मध्यप्रदेश में वह हमेशा ही सक्रिय हैं। और खाद्य प्रसंस्करण के जरिए देश आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने विस्तार से की बातचीत।

– केन-बेतवा लिंक परियोजना को लंबी प्रतीक्षा के बाद हरी झंडी मिल सकी है। कब तक इसका कार्य प्रारंभ होगा और कब तक परियोजना पूरी होगी।
– अटल जी की कल्पना “नदी जोड़ो योजना” की महत्वाकांक्षी योजना “केन-बेतवा लिंक परियोजना” को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नैतिक बल ने मूर्त रूप दिया है। इस परियोजना की तैयारी पूरी हो चुकी है। 16 प्रतिशत सूखे और 16.7 फीसदी बाढ़ की अधिकता से पीड़ित भारत में नदी जोड़ो योजना देश की रीढ़ की हड्डी साबित होगी। केन-बेतवा लिंक का भूमिपूजन जल्दी होगा और फास्ट ट्रैक में योजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।

– क्या मध्यप्रदेश में प्रहलाद पटेल की सक्रियता फिर बढ़ने जा रही है?
– मध्यप्रदेश में सक्रियता कभी कम ही नहीं हुई है तो बढ़ने का सवाल ही कहां है? सरकार और भाजपा संगठन ने जब भी जो काम दिया है, उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से हमेशा किया है, कर रहा हूं और करता रहूंगा।

– आत्मनिर्भर भारत की कल्पना साकार करने में आपका विभाग किस तरह सहयोगी साबित हो रहा है? क्या खाद्य प्रसंस्करण के बारे में लोगों को और ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है?
– खाद्य प्रसंस्करण विभाग आत्मनिर्भर भारत योजना की आत्मा है। “एक जिला-एक उत्पाद” योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के 51 जिलों में कार्य हो रहा है। हमने समस्याओं का निराकरण शीघ्र किया है। मेगा फूड पार्क स्कीम, कोल्ड चेन स्कीम, कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर, बैकवर्ड एंड फारवर्ड लिंकेज स्कीम, खाद्य प्रसंस्करण और परिरक्षण क्षमता विस्तार और खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला योजना जैसी स्कीम में केंद्र सरकार 35 से 40 फीसदी अनुदान देती है। मध्यप्रदेश में भी कई इकाईयां पूर्ण हैं, कई पर काम चल रहा है। लेकिन यह बात सही है कि विभागीय स्तर पर जागरूकता के लिए और कार्य करने की जरूरत है।

– खाद्य उत्पादों को लेकर किस तरह की चुनौतियों से सामना करना पड़ रहा है?
– देश में खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावनाएं हैं। दुनिया में भारतीय खाद्यों को बहुत पसंद किया जाता है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमारे उत्पादों के पैरामीटर्स अंकित करने में चूक होती है। इससे अन्य देशों के खाद्य उत्पादों के अनुरूप हम अपने उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत नहीं कर पाते। यह साबित करने में पिछड़ जाते हैं कि हमारे उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हैं। इस प्रक्रिया में सुधार लाकर बेहतर परफामेंस की उम्मीद की जा सकती है।

– प्रदेश के हजारों गांव अब भी पेयजल के लिए तरस रहे हैं? इस दिशा में आपका विभाग क्या काम कर रहा है?
– आजादी के अमृत महोत्सव के दो लक्ष्य हैं। एक आत्मनिर्भरता और दूसरा मूलभूत आवश्यकतओं की पूर्ति। जल जीवन मिशन में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय 2019 में एक भी प्रस्ताव नहीं भेजा गया, इससे मध्यप्रदेश पिछड़ गया। भाजपा सरकार आने के बाद स्थिति सुधरी।

पिछले चार महीने में इस योजना में पैसा खर्च करने के मामले में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर आ गया है। सिंगल विलेज स्कीम और मल्टी विलेज स्कीम के तहत काम हो रहा है। 75 समूह योजनाओं पर काम हो रहा है। 16853 सिंगल विलेज स्कीम हैं। मध्यप्रदेश में 8 हजार ऐसे गांव हैं, जहां पानी का कोई स्रोत नहीं है। इनके लिए दूर स्थित जलस्रोतों से पानी पहुंचाने की चुनौती है। केंद्र के फंड और मध्यप्रदेश सरकार के अंशदान से योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। 2023 तक जल जीवन मिशन के काम पूरे हो जाएंगे और घर-घर जल पहुंच सकेगा।