बाबा रामदेव कहीं धीरेन्द्र ब्रह्मचारी की तरह फ्लाइंग गुरु नहीं बन जाएं
आलोक मेहता
बाबा रामदेव ने योग के प्रचार प्रसार के साथ न केवल सत्ता की राजनीति में प्रभाव बनाया , बल्कि अब देशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चुनौती देते हुए दवाइयों के व्यापार से अपना आर्थिक साम्राज्य सा खड़ा कर लिया है | विभिन्न राज्यों में जमीन लेने और दवाइयों और घातक बीमारियों से बचाव के दावों से विवादों में उलझते जा रहे हैं | इसलिए भारत में नेहरू इंदिरा सत्ता काल में योग शिक्षा से सरकारों में प्रभाव और जमीनों , विमानों की खरीदी तथा हथियारों की फैक्ट्री और धंधों के कारण संकट में पड़ गए थे | उन्हें फ़्लाइंग गुरु कहा जाता था | भारत के पहले समाचार टेलीविज़न दूरदर्शन से धीरेन्द्र ब्रह्मचारी ने योग शिक्षा शुरु की थी , लेकिन बहुत धंधा करने पर रातोंरात वह कार्यक्रम बंद हुआ था | बहरहाल यह स्वीकारना होगा कि बाबा रामदेव के योग प्रचार और आयुर्वेद के उपयोग पर भी किसीको आपत्ति नहीं है | उनके गलत दावों और व्यापार के लिए देश दुनिया में कमाई , जमीन लेने , नियम कानून का पालन नहीं करने के आरोप गंभीर हैं | वह तो सुप्रीम कोर्ट को भी चुनौती दे रहे हैं कि चाहे एक हजार करोड़ का जुर्माना करें या फांसी की सजा दे दें , उनके दावे दवा इलाज ही सही है |
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रचार करने को लेकर ये फटकार लगाई गई है। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है। इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।
बेंच ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए एक व्यवहारपूर्ण समाधान ढूंढना होगा। कोर्ट ने सरकार से कंसल्टेशन के बाद कोर्ट में आने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी।पिछले साल भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी | तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए |’
रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था। 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था | 2015 में कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद सीएसडी ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी। 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी। कोरोना के अलावा, रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर, एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।
पतंजलि फूड्स के नए प्रोडक्ट लॉन्च करने के मौके पर बाबा रामदेव ने कहा था कि अभी पतंजलि ग्रुप का टर्नओवर करीब 45 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है और दुनिया में क़रीब 200 करोड़ और भारत में 70 करोड़ लोगों तक हमारी पहुंच है। बाबा रामदेव ने अनाज, दूध की तरह खाद्य तेलों में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने का अपना विजन रखते हुए कहा है कि 20 लाख एकड़ जमीन पर पाम प्लांटेशन का काम करना |उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में पतंजलि का टर्नओवर 1 लाख करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी पतंजलि ग्रुप का टर्नओवर करीब 45 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है। एक लाख करोड़ रुपये कारोबार का लक्ष्य हासिल करने में समूह की कंपनी पतंजलि फूड्स (पूर्व में रुचि सोया) अहम भूमिका निभाएगी।
बाबा रामदेव ने दावा किया है कि पतंजलि खुद पाम ऑयल का उत्पादन करेगा। इसकी खेती के लिए 40 से 50 हजार किसान पतंजलि से जुड़ चुके हैं और आने वाले समय में किसानों की संख्या 5 लाख तक करनी है। ऐसे में पतंजलि में पाम ऑयल का उत्पादन शुरू होने से 5 लाख किसानों को सीधे रोजगार मिल सकेगा। असम, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित 12 राज्यों में किसान पतंजलि से जुड़कर पाम ऑयल की खेती कर रहे हैं। अभी बंजर जमीन समेत उस जमीन पर प्लांटेशन हो रहा है, जो उपजाऊ नहीं है। इससे जंगल बढ़ेगा, पेड़ बढ़ेंगे, आक्सीनजन की मात्रा बढ़गी, बारिश ज्यादा होगी, जमीन उपजाऊ होगी और किसान की समृद्धि बढ़ेगी। पर्यावरण का नुकसान का सवाल ही नहीं है। खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों में पतंजलि की ओर से सालाना दस लाख टन का प्रोडक्शन हो सकेगा। यह पांच साल का प्रोजेक्ट है। एक दिन में पाम बोया जाता है, लगभग 35 से 40 साल तक चलता है।
पतंजलि फूड्स के नए प्रोडक्ट लॉन्च करने के मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि अभी पतंजलि ग्रुप का टर्नओवर करीब 45 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है और दुनिया में क़रीब 200 करोड़ और भारत में 70 करोड़ लोगों तक हमारी पहुंच है। उन्होंने कहा कि हमने कई विदेशी कंपनियों को शीर्षासन कराकर भारतीय बाज़ार से विदा किया है। पतंजलि फूड्स ने 14 नए प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं। पतंजलि फूड्स ने प्रीमियम प्रोडक्ट लॉन्च करने के अभियान में बिस्कुट, न्यूट्रेला के बाजरे से बने उत्पाद और प्रीमियम सूखे मेवों समेत कई उत्पाद लॉन्च किए । बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि ने गाय के घी का 1500 करोड़ रुपये का ब्रांड बनाया है और जल्द ही पतंजलि की तरफ से बफेलो घी भी लॉन्च किया जाएगा। पतंजलि फूड्स लिमिटेड का नाम पहले रुचि सोया इंडस्ट्रीज था और पतंजलि के इसका अधिग्रहण करने के बाद रुचि सोया का नाम बदलकर पतंजलि फूड्स किया है।
पतंजलि का नाम सामने आते ही हर किसी के जेहन में बाबा रामदेव की तस्वीर उतर आती है | ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि बाबा रामदेव ही इस कंपनी के असली मालिक हैं, लेकिन वास्तविकता इससे इतर है | पतंजलि की शुरुआत साल 2006 में हरिद्वार से हुई थी और योग गुरु बाबा रामदेव शुरुआत में इस कंपनी के सिर्फ ब्रांड प्रमोटर थे. कॉरपारेट मंत्रालय के अनुसार, कंपनी की 93 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी आचार्य बालकृष्ण के पास है, जो अभी पतंजलि आयुर्वेद के एमडी, चेयरमैन और सीईओ हैं |बाबा रामदेव की कुल संपत्ति करीब 20 हजार करोड़ रुपये है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा रॉयल्टी के तौर पर आता है | बाबा रामदेव कंपनी के ब्रांडिंग प्रमोटर हैं और कंपनी की मार्केटिंग के लिए योग गुरु के तौर पर अपने चेहरे का इस्तेमाल करते हैं |बालकृष्ण सुवेदी, जिन्हें आचार्य बालकृष्ण के नाम से जाना जाता है, उनके माता-पिता नेपाल के रहने वाले थे और बाद में भारत आ गए थे | हरियाणा के एक गुरुकुल में साल 1995 में उनकी मुलाकात बाबा रामदेव से हुई थी. शुरुआत में उन्होंने दिव्य फार्मेसी के नाम से कारोबार शुरू किया, जो बाद में पतंजलि ब्रांड बन गया. कंपनी में शीर्ष पदों पर भर्ती से लेकर मार्केटिंग और ब्रांडिंग तक सभी काम आचार्य बालकृष्ण ही देखते हैं | करीब 40 हजार करोड़ रुपये के पतंजलि समूह के मालिक और सीईओ आचार्य बालकृष्ण हैं| समूह के तहत वे करीब 34 कंपनियों और तीन ट्रस्ट की अगुवाई करते हैं | बाबा रामदेव को गाड़ियों का काफी शौक है। योग गुरू को हाल ही में Mahindra XUV700 को चलाते हुए देखा गया है। सोशल मीडिया पर शेयर एक वीडियो में रामदेव अपने साथी के साथ नई कार में घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं | बाबा रामदेव जिस XUV700 को चलाते हुए देखे गए हैं, उसमें पैनोरमिक सनरूफ दिखाई दे रहा है, इसका मतलब साफ है कि ये गाड़ी टॉप मॉडल है। उन्हें कुछ समय पहले जगुआर एक्सजे एल में देखा गया था। बालकृष्ण के पास लैंड रोवर रेंज रोवर लग्जरी गाड़ी है।बाबा रामदेव एक उत्साही बाइकर रहे हैं। अब तो वह विशेष निजी विमानों से देश विदेश की यात्राएं भी करने का दावा करने लगे हैं | धीरेन्द्र ब्रह्मचारी विमानों के शौक़ीन थे और योग शिक्षा के लिए जयप्रकाश नारायण और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के साथ पंडित नेहरू और श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रभावित कर बाद में सत्ता की राजनीति तथा आर्थिक धंधों में लग गए थे |बाबा रामदेव ने भी योग के जरिये ही देश के विभिन्न दलों के नेताओं और फिर अन्ना आंदोलन के बाद भाजपा की सत्ता का हर संभव लाभ उठाते रहे हैं | लेकिन योग से अधिक कंपनियों के व्यापार से आर्थिक साम्राज्य बना रहे हैं | लेकिन नियम कानून की अनदेखी और अहंकार के साथ यह आर्थिक उड़ानें कहीं उनके लिए गंभीर संकट न पैदा कर दे |