कुंवर पुष्पराज सिंह की रिपोर्ट
1920 में तत्कालीन महाराज ने पुत्री की स्मृति में शुरू किया था गर्ल्स स्कूल बागली
बागली (देवास): बागली सहित क्षेत्र में बालिका शिक्षा के प्रयास अब भी अधूरे नजर आते है। हालांकि नगर में उत्कृष्ट और मॉडल स्कूल है। लेकिन मॉडल स्कूल अधोसंरचनात्मक विकास के अभाव में अतिथि शिक्षकों की सहायता से संचालित होता है।
जबकि सेपरेट कन्या हायर सेकंडरी स्कूल की मांग के साथ वर्षों से केवल कक्षा 10 तक ही सीमित है।
जबकि बागली में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए स्वाधीनता से 27 वर्ष पहले ब्रिटिश इंडिया में वर्ष 1920 में बागली के तत्कालीन महाराज ने बालिका स्कूल की स्थापना की थी। जिसमें सभी वर्ग की छात्राओं को प्रवेश दिया जाता था।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1920 में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए बागली रियासत के तत्कालीन महाराज रणजीतसिंह ने अपनी पुत्री की स्मृति में कंचन कुंवर गर्ल्स स्कूल की शुरुआत की थी।
जिसकी आधारशिला बिर्टिश मालवा प्रांत के राजनैतिक प्रतिनिधि कर्नल ह्युज अगस्तस गूच ने रखी थी।
रियासत के खर्च पर स्कूल शुरू हुआ और संचालित भी हुआ। स्वतंत्रता के बाद से अब तक शिक्षा नीति में कई प्रकार के बदलाव हुए।
स्कूलों की संख्या ब़ढ़ी, गर्ल्स स्कूल परिसर में दूसरी इमारतें भी खड़ी हुई और पृथक कन्या प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल शुरू हुए। अब इस परिसर को जनपद शिक्षा केंद्र परिसर के नाम से जाना जाता है।
इसमें नविन भवन बनने से पूर्व तक कन्या हाईस्कूल का संचालन भी होता रहा।
34वें क्रम पर थीं बालिका स्कूल में दर्ज
नगर की शिक्षाविद मदनकुंवर सेंगर वर्ष 1954 -1955 के दौरान कंचन कुंवर गर्ल्स स्कूल में 34वें नंबर इनरोल थीं।
सम्भवतः वे नगर में की पहली ग्रेजुएट लड़की थीं। शिक्षा के दौरान ही उन्होंने शिक्षकीय पेशा चुना और कई वर्ष तक कंचन कुंवर गर्ल्स स्कूल जो कि अब कन्या माध्यमिक स्कूल में तब्दील हो चुका था में शिक्षण किया।
बाद में इसी परिसर में संचालित कन्या हाई स्कूल में शिक्षण करते हुए वे रिटायर हुईं। उन्होंने बताया कि लगभग सभी बालिकाओं को स्कूल भेजा जाता था।
बागली में रियासतकाल में बालिका शिक्षा की शुरुआत हुई थी उस अनुसार बागली को बालिका शिक्षा का हब होना चाहिए था।
30 प्रतिशत बालिकाएं छोड़ देती है पढ़ाई
रियासतकाल में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने वाली बयार का असर अभी भी पूरी तरह से नहीं हुआ है। कन्या हायर सेकंडरी स्कूल आज भी नहीं है। कन्या हाईस्कूल को हायर सेकंडरी में तब्दील करने की मांग बरसों से लंबित है।
इस कारण लगभग 30 प्रतिशत बालिकाएं कोएजुकेशन वाले स्कूलों में जाने के स्थान पर कक्षा 10वीं के बाद ही अपनी पढ़ाई बंद करने के लिए विवश होती है।
एक पूर्व छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब तक पढ़ाई बालिका स्कूल में हुई। परिवार ने नि:संकोच स्कूल भेजा। लेकिन जब कोएजुकेशन की बात आई तो न चाहते हुए भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
परिसर का नाम बदलना चाहिए
बागली राजा राघवेंद्रसिंहजी ने बताया कि बागली के पहले बालिका स्कूल का नाम कंचन कुंवर गर्ल्स स्कूल था।
शुभारम्भ का शिलालेख स्कूल की पुरानी बिल्डिंग की दीवार में लगा हुआ है, इसलिए अब जनपद शिक्षा केंद्र का नाम बदलकर कंचन कुंवर शिक्षा केंद्र परिसर किया जाना चाहिए।
यह उन प्रयासों की सार्थक धन्यवाद होगा जिसमें बालिका शिक्षा शुरू करने के लिए प्रयास किए गए।
कन्या हायर सेकंडरी स्कूल में तब्दील होना चाहिए
कन्या शाला में शिक्षित कई पूर्व छात्राओं रजनीसिंह, डॉ नीलू सिसौदिया, कृष्णा तंवर, प्रेमकुंवरसिंह और शिला राठौर आदि ने शासन से कन्या हाई स्कूल को हायर सेकंडरी स्कूल में तब्दील करने की मांग की।
पूर्व छात्राओं ने बताया कि यह समय की मांग है ही लड़कियों के लिए पृथक हायर सेकंडरी स्कूल हो। जिससे वे स्वछंदता से उच्च शिक्षा हासिल करने की और प्रगतिरत हों और उन्हें पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश नहीं होना पड़े।