Ban on Arrest : पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक रोक लगाई! 

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा 'दिल्ली पुलिस और यूपीएसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा!' 

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Ban on Arrest : पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक रोक लगाई! 

New Delhi : धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांग कोटा का लाभ हासिल करने की आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली। हाई कोर्ट ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस और यूपीएसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही 21 अगस्त तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। खेडकर की अग्रिम जमानत पर 21 अगस्त को सुनवाई होगी।

पूजा खेडकर ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत के लिए गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया। यूपीएससी ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया। एक अगस्त को यहां की एक सत्र अदालत ने खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं जिनकी गहन जांच की आवश्यकता है।

खेडकर ने सत्र अदालत में दायर याचिका में कहा था कि उन पर तुरंत गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। सत्र अदालत ने कहा था कि पूरी साजिश का पता लगाने और साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता स्थापित करने के लिए आरोपी से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह अपनी जांच पूरी निष्पक्षता से करे। तभी पता लगाया जा सकेगा कि हाल के दिनों में किन उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से ऐसे लाभ उठाए होंगे। क्या यूपीएससी के किसी व्यक्ति ने भी खेडकर की मदद की थी!

पूजा के पिता की मुश्किलें बढ़ी 

पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर के खिलाफ पुणे जिले में एक लोक सेवक को धमकाने और उनके काम में बाधा डालने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। अधिकारियों ने बताया कि पुणे जिलाधिकारी कार्यालय के एक तहसीलदार स्तर के अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर यहां बंडगार्डन पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि शिकायत में कहा गया कि सहायक जिलाधिकारी के रूप में पूजा खेडकर की तैनाती के दौरान दिलीप खेडकर ने कथित तौर पर तहसीलदार दीपक अकाडे के खिलाफ धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपनी बेटी के लिए एक केबिन आवंटित करने को कहा था। जबकि, दिलीप को प्रशासनिक कामकाज में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।