Ban On Export Of Wheat : सरकार की नीति और नीयत में फ़र्क़ से किसान, व्यापारी परेशान

आनन-फ़ानन में निर्यात पर रोक लगाकर भारत ने साख पर बट्टा लगाया

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बिजनेस विशेषज्ञ बसंत पाल की रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने 13 मई को अचानक गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी। सरकार की इस घोषणा से हज़ारों गेहूं व्यापारी और किसान संकट में आ गए।

एक और जहां वाणिज्य मंत्रालय अपना प्रतिनिधि मंडल विदेशों में निर्यात संभावनाएँ तलाशने भेजने की तैयारी कर रहा था, वहीं मध्य प्रदेश सरकार निर्यातकों को गेहूं निर्यात पर इनसेंटिव देने की घोषणा कर चुकी थी।

ऐसे हालातों में सरकार ने आनन-फ़ानन में निर्यात पर रोक लगाकर विदेशों में अपनी साख को बट्टा लगा लिया।

15 अप्रैल को प्रधानमंत्री कहते है कि भारत दुनिया का पेट भरने को तैयार है, उसके बाद वाणिज्य मंत्री की और से ट्वीट किया जाता है, कि भारत अब इजिप्ट का अधिकृत गेहूं निर्यातक देश बन गया। भारतीय व्यापारी और किसानों को उम्मीद जगती है कि इस वर्ष उन्हें गेहूं की फसल से अच्छी कमाई होगी।

पर कुछ दिनों में ही हालात बदल जाते है।

सरकारी योजनाओं पर संकट

सरकार की ग़रीबों को पाँच किलो मुफ़्त गेहूं देने की योजना पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अब गेहूं के स्थान पर चावल भी देने की योजना है।

समर्थन मूल्य पर गेहूं की ख़रीदी का संशोधित लक्ष्य 195 लाख टन कर दिया। सरकार के पास 1 अप्रैल 22 को 189.9 लाख टन गेहूं का स्टाक था।

उसमें भी कमी आई। सरकार ने समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के अनुमान को घटाकर 135 लाख टन कर दिया है।

देश में गेहूं उत्पादन कमजोर

कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को जारी अपने ताजा अनुमान में कहा कि देश का गेहूं उत्पादन पिछले साल के मुकाबले फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में लगभग 3 प्रतिशत घटकर 10 करोड़ 64.1 लाख टन रहने की संभावना है।

आंकड़ों में बताया गया कि हालांकि, यह उत्पादन अनुमान फसल वर्ष 2021-22 के लिए पहले अनुमानित 11 करोड़ 13.2 लाख टन से 4.61 प्रतिशत कम है।

फसल वर्ष 2020-21 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 10 करोड़ 95.9 लाख टन का हुआ था। कृषि सचिव मनोज आहूजा ने पिछले हफ्ते गेहूं के उत्पादन में गिरावट के लिए मुख्य रूप से गर्मी की वजह से पंजाब और हरियाणा में कम फसल पैदावार को जिम्मेदार ठहराया था।

उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि इस साल गेहूं का उत्पादन घटकर 10.5-10.6 करोड़ टन रह सकता है। मंत्रालय की और से जारी खाद्यान्न उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, गेहूं के अलावा कपास और मोटे अनाज के उत्पादन में मामूली गिरावट का अनुमान है।

अन्य खाद्यान्नों और नकदी फसलों के मामले में उत्पाद के आंकड़े पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हैं।

चावल का उत्पादन

फसल वर्ष 2021-22 में चावल का उत्पादन बढ़कर 12 करोड़ 96.6 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल में यह 12 करोड़ 43.7 लाख टन था।

दलहन उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 के दो करोड़ 54.6 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2021-22 में दो करोड़ 77.5 लाख टन होने का अनुमान है।

मोटे अनाज का उत्पादन समीक्षाधीन अवधि के दौरान पांच करोड़ 13.2 लाख टन से मामूली घटकर पांच करोड़ सात लाख टन रहने की उम्मीद है।

गेहूं और अन्य दो जिंसों के उत्पादन में संभावित गिरावट के बावजूद देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2021-22 में 31 करोड़ 45.1 लाख टन के एक नए रिकॉर्ड को छूने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 31 करोड़ 7.4 लाख टन रहा था।

रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़े गेहूं के दाम?

रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला होने के चलते पहले तो वहां पर गेहूं की फसल प्रभावित हुई। वहीं, दूसरी और निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया।

गेहूं निर्यात के मामले में यूक्रेन करीब 12 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, ऐसे में निर्यात बंद होने से किल्लत होना स्वाभाविक ही था।

वहीं रूस भी करीब 14-15 फीसदी गेहूं निर्यात करता है और युद्ध की वजह से वहां से भी निर्यात पर काफी असर पड़ा है, जिसके चलते गेहूं की सप्लाई घटी है। सप्लाई घटने से गेहूं के दाम बढ़े हैं।

वैसे तो भारत ने निर्यात बढ़ाया, लेकिन देश में ही मांग अधिक होने की वजह से सरकार को निर्यात पर बैन लगाना पड़ा।वैश्विक स्तर पर गेहूं का उत्पादन अनुमान 782 मिलियन टन आंका जा रहा है।जो पुर्वानुमान से कम है।

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बसंत पाल

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कारपोरेट, कमोडिटी मार्केट के जानकार हैं। इन विषयों पर तीन दशकों से निरंतर लेखन कर रहे हैं। आर्थिक मामलों के समीक्षक होने के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से भी सम्बद्ध रहे।
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