Bank Embezzlement Case : बैंक गबन मामले में क्रिकेटर नमन ओझा के पिता गिरफ्तार

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बैंक गबन मामले में क्रिकेटर नमन ओझा के पिता गिरफ्तार

Bank Embezzlement Case : बैंक गबन मामले में क्रिकेटर नमन ओझा के पिता गिरफ्तार

सवा करोड़ के गबन की साजिश में पिछले आठ साल फरार रहे

Multai : बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र में 2013 में हुए सवा करोड़ के बैंक गबन मामले में 8 साल से फरार बैंक के तत्कालीन मैनेजर विनय कुमार ओझा को सोमवार को मुलताई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वे इस गबन मामले में फरार चल रहे थे। पुलिस ने ओझा को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें एक दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया। गिरफ्तार किए गए ओझा मशहूर क्रिकेटर नमन ओझा के पिता है।
थाने में नमन ओझा भी मौजूद थे और उन्होंने पिता की जमानत के लिए कोशिश भी की। बैंक ऑफ महाराष्ट्र की झोलखेड़ा शाखा में 2013 में करीब सवा करोड़ रुपए का गबन का मामला सामने आया था। इस मामले में 2014 में तत्कालीन मैनेजर रहे विनय कुमार ओझा पर FIR भी हुई थी।

वीके ओझा पर धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज है। इसके बाद से ही वे फरार चल रहे थे, जिनकी पुलिस को तलाश थी। इस मामले के सभी आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
2013 में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की झोलखेड़ा में बैंक मैनेजर अभिषेक रत्नम ने इस गबन की साजिश रची थी। उन्होंने तबादला होने के बाद सफाई कर्मी और अन्य के साथ मिलकर 2 जून 2013 को लगभग 34 फर्जी खाते खोलकर केसीसी लोन खोलकर करीब सवा करोड़ इन खातों में ट्रांसफर कर लिए थे।

अभिषेक रत्नम ने तबादले के बाद छुट्टी के दिन बैंक खोलकर ये लेनदेन किया था। अभिषेक रत्नम ने खाते खोलने के लिए तत्कालीन बैंक कैशियर दीनानाथ राठौर के आईडी और पासवर्ड का उपयोग किया था। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने तत्कालीन बैंक मैनेजर और कैशियर को थाना बुलाकर बयान भी लिए थे।

तत्कालीन कैशियर दीनानाथ राठौर ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया था तत्कालीन बैंक मैनेजर अभिषेक रत्नम ने उनके आईडी और पासवर्ड का उपयोग कब और कैसे किया था। इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। इस मामले का खुलासा होने पर जांच हुई, तो उन्हें इसकी इसकी जानकारी मिली।
पुलिस ने इस मामले में तत्कालीन बैंक मैनेजर के भी बयान लिए है। मुलताई के जौलखेड़ा शाखा में पदस्थ रहे तत्कालीन बैंक मैनेजर वीके ओझा और मोरखा शाखा के तत्कालीन मैनेजर धनजंयसिंह से भी पूछताछ की गई। वीके ओझा ने बताया था उनकी आईडी और पासवर्ड अभिषेक रत्नम को कैसे मिली और इसका उपयोग उसने कब किया था, इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी।