रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट
रतलाम. संसार को छोड़कर विरति धर्म में प्रवेश करने जा रहे रतलाम के तीन मुमुक्षु दीक्षार्थी ईशान कोठारी, जुड़वां बहनें पलक और तनिष्का चाणोदिया ने एक दिन पहले ऐतिहासिक वर्षीदान यात्रा में खुले हाथों से जी भर कर सांसारिक उपयोग की वस्तुओं को लुटाया।
शहर की सड़कों पर जिस जिस मार्ग से भी यह यात्रा निकली, वहां नागरिकों ने अपने द्वार पर दीक्षार्थियों के माथे पर कुमकुम तिलक एवं अक्षत से वैरागी का वंदन अभिनन्दन किया।
दीक्षा पर्व अंतर्गत तीनों ही मुमुक्षु वीर पथ पर गुरुवार सुबह विजय प्रस्थान करेंगे।
मुमुक्षुओं का उत्साह चरम पर
बंधु बेलड़ी प.पू. आचार्य देव श्री जिनचंद्रसागरसूरिजी म.सा.आदि श्रमण-श्रमणी वृन्द निश्रा में वर्षीदान यात्रा की शुरुआत शास्त्री नगर से लाभार्थी श्रीमती पुष्पा बेन रमणलाल, रविन्द्र कुमार, विशाल पायल निर्वाणी कोठारी के निवास से हुई।
मुमुक्षु ईशान कोठारी भव्य ऊंट गाड़ी पर जबकि जुड़वां बहनें बग्गी में सवार होकर वर्षीदान कर रही थी।
संयम जीवन में प्रवेशोत्सव की पावन वेला में प्रफूल्लित मुमुक्षुओं का उत्साह चरम पर रहा। पूरे समय वे भक्ति गीतों पर झूमते नजर आए। उनके साथ माता पिता एवं परिजन भी सवार रहे।
दीक्षार्थियों के हाथ नहीं थके
उन्होंने सम्पूर्ण मार्ग में सांसारिक जीवन में दैनिक उपयोग में आने वाली घरेलू उपयोगी वस्तुएं, कपड़े, साड़ियाँ, खिलौने, रुमाल, नेपकीन सहित अन्य ढेर सारी वस्तुएं लुटाई।
तीनों ही दीक्षार्थियों के हाथों से वस्तुएं प्राप्त करने वालों का काफिला पूरे समय साथ चलता रहा। लुटने वाले कई बार थक कर बैठ गए।
लेकिन दीक्षार्थियों के हाथ नहीं रुके।
लोकेन्द्र टॉकीज, शहर सराय, गणेश देवरी, बजाजखाना, चांदनी चौक, लक्कड़पीठा एवं बाजना बस स्टेंड क्षेत्र में जगह जगह विभिन्न संस्थाओं और समाजजनों ने स्वागत मंच बनाकर यात्रा का शीतल पेय आदि से स्वागत किया।
युवकों के समूह नासिक ढोल पर थिरक रहे थे जबकि युवतियों ने जयकारे लगाए।
यह रहे प्रमुख आकर्षण
लगभग एक किलोमीटर से लम्बी वर्षीदान यात्रा में सबसे आगे गजराज, अश्व पर धर्म पताका लिए तरुणाई, बग्गी में रतलाम श्रीसंघ के परम उपकारी पू.आचार्य श्री आनंद सागर सूरी जी म.सा.का चित्र शोभायमान था।
फूलों से सजे परमात्मा के रथ में हाथों में चंवर लिए भक्त, उनके पीछे केसरिया वस्त्रों में महिला मंडल की सदस्याएं हाथों में अष्टमंगल प्रतीक लिए जयकारा लगाते हुए चल रही थी।
बैलगाड़ी में दीक्षार्थी की छाप, शंख की प्रतिकृति सजाई गई थी। गुजरात से आये लोकनृत्य की प्रस्तुति के साथ वनवासी दल ढोल, थाली, डंका की गूंज पर परम्परागत नृत्य कर रहे थे।
जयपुर से खासतौर पर आये जिया बैंड एवं सांवरिया बेंड नीमच ने अपनी स्वर लहरियों से सभी को भक्तिभाव से सराबोर किया।
लाभार्थी परिवार के साथ शहर में वर्षीतप के 150 तपस्वी बग्गी में सवार रहे।
21 दीक्षाओं के लिए बहुमान
इस मौके पर दीक्षा महोत्सव समिति, व्यवस्था सहयोगी जैनानन्द युवक मंडल, चंद्रवीर परिवार, नवकार परिवार, नागेश्वर पूनम मंडल, पार्श्वनाथ सेवा समिति और जीव मैत्री परिवार रतलाम सहित अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी-सदस्य के साथ भारी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।
कोई चार घंटे से अधिक समय तक शहर के प्रमुख मार्गों पर यात्रा के भ्रमण पश्चात समापन दीक्षा महोत्सव स्थल आगमों उद्धारक विरति वाटिका जेएमडी परिसर सागोद रोड पर हुआ।
यहां आचार्य श्री ने मांगलिक एवं आशीर्वचन प्रदान किये।
सागर समुदाय में विगत वर्षों में क्षेत्र में हुई 21 दीक्षाओं के लिए उनके 38 परिजनों का एवं दीक्षा महोत्सव समिति ने महिला मंडल का बहुमान किया।
दीक्षार्थी का श्री नागेश्वर तीर्थ पेड़ी एवं समिति की और से बहुमान हुआ। गुरुवार सुबह 6 बजे से दीक्षा का विधान प्रारम्भ होगा।
कार्यक्रम का संचालन गणतन्त्र मेहता ने किया।