धर्म, संप्रदाय से परे, भावना योग सबके लिए है – मुनि श्री प्रमाणसागर

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धर्म, संप्रदाय से परे, भावना योग सबके लिए है – मुनि श्री प्रमाणसागर

 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का दिन पूरी दुनिया में बहुत खास था। यहां योग तो था ही, पर उससे भी खास था भावना योग। वह योग जो भाव के रास्ते खुद में परमात्मा की अनुभूति कराने में सक्षम है। वह योग जो धर्म, संप्रदाय से परे हर वर्ग के व्यक्ति को अपूर्णता से पूर्णता तक की यात्रा करा सकता है। वह योग जो रोगी को रोग मुक्त, असमर्थ को समर्थ, मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बना सकता है। ऋषि, मुनियों की परंपरा से चली आ रही प्राचीन वैज्ञानिक साधना की आधुनिक व्याख्या ‘भावना योग’ के रूप में कर मुनि प्रमाणसागर महाराज ने इसे जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया है। और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भोपाल में उपस्थित मुनि प्रमाणसागर जी ने हजारों लोगों को ‘भावना योग’ कराकर इस दिन को उनके जीवन का सबसे खास दिन बना दिया। हमने सीधी बात की युग प्रभावक दिगंबर जैनाचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनिराज श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज से।

– राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ‘भावना योग’ कराकर आपने हजारों लोगों को पूर्णता के भाव से भर दिया। ‘भावना योग’ के बारे में आपके क्या विचार हैं?

– ‘भावना योग’ एक अभिनव प्रयोग है। ऐसी विधा है, जिससे हर वर्ग के लोग लाभांवित हो सकें। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इसका अभ्यास कराने का यही उद्देश्य है कि यह जन-जन तक पहुंचकर सबका कल्याण करे। भोपाल में 2020 में भी शिविर लगाकर लाखों लोगों को ‘भावना योग’ का तीन दिवसीय अभ्यास करवाया था। इसके बहुत सारे फायदे हैं। यह बात लोगों तक पहुंचे ताकि इसका अभ्यास कर लोग फायदा उठा सकें। इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए ताकि युवाओं को इसका लाभ मिल सके। डिप्लोमा, डिग्री कोर्स में ‘भावना योग’ को शामिल किया जा सकता है। सामने बैठे प्रोफेसर साहब की तरफ इशारा करते हुए प्रमाणसागर महाराज ने बताया कि एसएटीआई विदिशा में कोरोना पीरियड में तत्कालीन डायरेक्टर जेएस चौहान ने 2021-22 में विद्यार्थियों को ‘भावना योग’ करवाया था। जिसका लाभ युवाओं को मिला।

– ‘भावना योग’ कैसे जन-जन तक पहुंचेगा? क्या सनातन की राह चलने वाली सरकारें इसमें सहयोगी बन सकती हैं?

– ‘भावना योग’ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसकी परंपरा ऋषि-मुनियों से शुरू हुई है। इसका किसी धर्म, पंथ, संप्रदाय, समाज से कोई संबंध नहीं है। यह तो बहुजन हिताय के लिए है। धर्म, संप्रदाय से परे यह हर वर्ग के लिए है। इसका उद्देश्य यही है कि ‘मंगल-मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय। इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय’। सरकारों को ‘भावना योग’ को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए आगे आना चाहिए। नई शिक्षा नीति में वेल्यू एडीशन के तौर पर ‘भावना योग’ को शामिल करना चाहिए। संबंधित उच्च शिक्षा विभाग से मिलकर इसकी रूपरेखा बनानी चाहिए।

– भावना योग के साथ आपने पौधे भी वितरित करवाए हैं। इसके पीछे क्या सोच है?

– इस साल से हम पौधारोपण का विशेष अभियान चलाने जा रहे हैं। पर्यावरण पर यूएनओ की रिपोर्ट है कि वर्तमान में विश्व में 15 लाख करोड़ पौधे लगाने की जरूरत है। इसमें हम कुछ अंशदान दे सकें, इसलिए प्रतीकात्मक स्वरूप में पौधे वितरित कर इसकी शुरुआत की है।

– धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे मौतें हो रही हैं। आपको भी चिंता होती है?

– धरती के लगातार बढ़ते तापमान से भयंकर चिंता होती है। यह गंभीर विषय है। इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण करना चाहिए। जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी है। पर्यावरण की चिंता करनी पड़ेगी। ताकि अगली पीढ़ियां सुरक्षित हो सकें।

– आतंकवाद भी बड़ी समस्या है। यह कब खत्म होगी?

– आतंकवाद को खत्म करने केे लिए हमें आत्मवाद पर जोर देना पड़ेगा। समानता का भाव लाना पड़ेगा। आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलकर आत्मशांति का लक्ष्य पाना पड़ेगा। आतंकवाद और उग्रवाद खत्म करने के लिए इनके मूल कारणों को समझकर उन्हें खत्म करना पड़ेगा।

– वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य और भारत के विश्व गुरू बनने को लेकर आपके क्या विचार हैं?

– वर्तमान में मोदी जैसा नेतृत्व देश को मिला है। भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया में हो रहा है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। और मोदी भारत का गौरव पूरी दुनिया में बढ़ाने में सक्षम हैं, यह बहुत ही शुभ संकेत हैं। वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में भारत को भारत बनने की बात चरितार्थ होने की पूरी संभावना है। और इससे पुराना गौरव लौटेगा और भारत विश्वगुरू बनेगा।

– पर महाराज जी, सनातन के इस दौर और राम मंदिर निर्माण के बाद मोदी के नेतृत्व में भाजपा को केंद्र में बहुमत नहीं मिल पाया। अयोध्या में ही भाजपा हार गई?

– यही तो लोकतंत्र की विशेषता है। इसमें फूलन देवी जीत जाए और अटल बिहारी वाजपेयी हार जाएं, तब भी कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इसमें सब संभव है।

– युवाओं को संदेश ।

– युवाओं को अपनी क्षमताओं का पूरा दोहन कर रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। ताकि देश और समाज के विकास में वह अपना अधिक

तम योगदान दे सकें।