Bhimkund: मध्य प्रदेश के छतरपुर में है नीले जल वाला भीमकुंड, इसकी तीन बूंदों से बुझ जाती है प्‍यास!

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 Bhimkund: मध्य प्रदेश के छतरपुर में है नीले जल वाला भीमकुंड, इसकी तीन बूंदों से बुझ जाती है प्‍यास!

आज मैं आपको एक ऐसी जगह के बारे में बता रही हूं, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते होंगेमध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा तहसील से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध तीर्थस्थल ‘भीमकुंड’।कहते हैं कितनी भी तीव्र प्यास लगी हो इसके जल की तीनबूंदों से प्यास बूझ जाती है।

मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित यह स्थान प्राचीनकाल से ही ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों एवं साधकों की स्थली रही है।यहां स्थित जल कुंड भू-वैज्ञानिकों के लिए भी कौतूहल का विषय है। दरअसल, यह कुंड अपने भीतर ‘अतल’ गहराइयों को समेटे हुए हैं।

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भीम कुंड की मान्यता है की महाभारत के समय ,जब पांडव अज्ञातवास में इस जगह से गुजर रहे थे तब द्रौपदी को प्यास लगी थी। द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए वहा पर कोई स्त्रोत नहीं था तब द्रोपदी को व्याकुल देखकर भीम ने क्रोधित होकर उनकी गदा से पहाड़ पर पूरी ताकत से प्रहार किया था। भीम के इस प्रहार से इस कुंड का निर्माण हुआ और इसलिए इसे भीम कुंड कहा जाता है।
वैसे ये कुंड देखने में तो बिल्कुल साधारण सा लगता है, लेकिन इसकी खासियत आपको हैरान कर देगी। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा (बाढ़, तूफान, सुनामी) घटने वाली होती है, तो कुंड का पानी अपने आप बढ़ने लगता है।

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भीमकुण्ड, छतरपुर मध्य प्रदेश/ Bhimkund, Chhatarpur Madhya Pradesh - Nature Worldwide

 

भीमकुंड एक अद्भुत जगह है। इस कुंड का पानी पारदर्शी है। यहां पानी इतना साफ है कि एक कांच की तरह लगता है। भीम कुंड में आपको शिवलिंग के दर्शन करने के लिए भी मिलते हैं। हम बारिश के मौसम में यहां ग‌ए थे फिर भी पानी इतना ही साफ था और शिवलिंग पानी में डूबा हुआ था। सीढ़ियां पानी में डूबे होने के बाद भी बिल्कुल स्पष्ट दिख रही थी,न कोई काई,न फिसलन।आप पानी के नीचे स्थित चट्टाने, मछलियां और सभी चीजें देख सकते हैं। यह कुंड बहुत सारे रहस्य अपने अंदर समेटे हुए हैं। यह कुंड बहुत खूबसूरत है। लोग इस कुंड में नहाने का मजा भी ले सकते हैं, जिन्हें तैरना आता है वह इस कुंड में तैरते भी हैं।

भीमकुंड को लेकर मान्‍यता है क‍ि यह एक शांत ज्वालामुखी है। इसकी गहराई की बात करें तो अब तक कई भू-वैज्ञानिकों ने गोताखोरों द्वारा इसकी गहराई का पता लगाने का प्रयास किया। लेक‍िन क‍िसी को भी कुंड का तल नहीं म‍िला। कहा जाता है क‍ि कुंड की अस्सी फिट की गहराई में तेज जलधाराएं प्रवाहमान हैं जो शायद इसे समुद्र से जोड़ती हैं। हालांक‍ि भीमकुंड की गहराई आज भी भू-वैज्ञानिकों के लिए रहस्य ही बनी हुई है।  कहा जाता है कि इसका कोई ओर-छोर नहीं है। इसमें डूबे व्यक्ति का कोई अता-पता नहीं चलता है, क्योंकि ये माना जाता है कि ये समुद्र से जुड़ा है। डिस्कवरी चैनल वाले भी इसकी गहराई का पता नहीं लगा सके हैं।

भीमकुंड को लेकर मान्‍यता है क‍ि इसमें स्‍नान करने से त्‍वचा संबंधी गंभीर से गंभीर बीमार‍ियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा क‍ितनी भी प्‍यास लगी हो इसकी तीन बूंदें ही सारी प्‍यास बुझा देती है। इसके अलावा जब भी देश में कोई बड़ा संकट आने वाला होता है तब इस जलकुंड का जलस्‍तर बढ़ जाता है। यानी क‍ि आपदा का संकेत यह कुंड पहले से ही दे देता है।
इस रहस्यमय, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कुंड की यात्रा एक बार अवश्य करनी चाहिए। एक बहुत अच्छा अनुभव होता है, यहां आ कर।

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– निरुपमा खरे,भोपाल 

 

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