Bhopal News: अब CR लिखने में देरी के दोषी अफसर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही

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Bhopal News: अब CR लिखने में देरी के दोषी अफसर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही

 

भोपाल: मध्यप्रदेश के शासकीय सेवकों की गोपनीय चत्रिावली लिखने में विलंब करने वाले प्रतिवेदक, समीक्षक और स्वीकारकर्ताओं पर अब न केवल अनुशासनात्मक कार्यवाही होगी बल्कि उनकी गोपनीय चरित्रावली में भी इसका उल्लेख किया जाएगा।

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के साल भर किए गए कामकाज की समीक्षा के बाद काम के आधार पर हर साल उनकी सीआर तय होती है। इस सीआर को फाइनल करने में प्रतिवेदक, समीक्षक और स्वीकारकर्ता की अहम भूमिका होती है। पहले शासकीय कर्मचारी अधिकारी अपनी परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट खुद लिखता है इसके बाद यह गोपनीय चरित्रावली प्रतिवेदक के पास जाती है जो उसके महकमें में उसके कामकाज का मूल्यांकन कर उसके अच्छे और बुरे कामों के आधार पर उसे रैकिंग देते हुए अपनी टिप्पणी दर्ज करता है। इसके बाद स्वमूल्यांकन और उस पर की गई टिप्पणी की समीक्षा करने के बाद वरिष्ठ अधिकारी अपनी समीक्षा दर्ज कर अपना मत व्यक्त करता है। सबसे अंत में गोपनीय चरित्रावली स्वीकारकर्ता अधिकारी इस पूरी सीआर पर प्रतिवेदक और समीक्षक की टिप्पणियों को देखने के बाद अपने मूल्यांकन के आधार पर अपना मत दर्ज कर सीआर को स्वीकार कर फाइनल कर देता है। लेकिन अक्सर किसी न किसी स्तर पर अधिकारी इसमें देरी करते है जिसके कारण शासकीय सेवकों की कई सालों की सीआर फाइनल नहीं हो पाती जिसके चलते जब भी प्रमोशन के लिए डीपीसी की बैठक होती है उसमें उन्हें समय पर पदोन्नति नहीं मिल पाती है। इस ढर्रे को सुधारने के लिए अब सामान्य प्रशासन विभाग ने सीआर लिखने में देरी के लिए दोषी अफसरों के लिए सजा तय कर दी है। विलंब के लिए दोषी अफसरों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उस दोषी अफसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए दोषी अधिकारी के गोपनीय प्रतिवेदन में भी इसका उल्लेख किया जाएगा।

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों के विभागाध्यक्षों और सभी संभागायुक्तों और सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम जो 19 जून 2025 से प्रभावशील हो गए है उसमें शासकीय सेवकों के गोपनीय प्रतिवेदन की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए अपने सभी स्तरों को निर्देशित करे कि लोक सेवकों से प्राप्त गोपनीय प्रतिवेदन का समय सीमा में निष्पादन सुनिश्चित करे, यदि किसी स्तर पर प्राप्त गोपनीय प्रतिवेदन का समयसीमा में निष्पादन होंना नहीं पाया जाता है तो इसे गंभीरता से लिया जाए और दोषी अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करे।