200 साल पुराने क्राइस्ट चर्च महू का द्वि शताब्दी महोत्सव मनाया गया
दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट
महू: सन 1823 में निर्मित क्राइस्ट चर्च का रविवार को द्वि शताब्दी समारोह मनाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में आर्मी वार कॉलेज के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम और उनकी पत्नी उषा पांडे मौजूद थे। इसके अलावा बहुत सारे वरिष्ठ सैन्य अफसर, सेना के जवान और चर्च के सदस्य और नगर के गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे। दिनेश सेठ ने सबका स्वागत किया।
इस मौके पर चर्च के पादरी रेवरेंट मेजर पॉल (आर) जो की 1992 से चर्च के देखरेख कर रहे हैं, उन्होंने इस कार्यक्रम में संबोधित कर परिचय दिया। चर्च का इतिहास सेवा निवृत्त मेजर जनरल बिनॉय पूनन ने बताया। इस अवसर पर सामूहिक प्रार्थना और ईश भक्ति के भजन गाए गए। वीना पॉल ने प्रार्थना करवाई।
इस अवसर पर कमांडेंट ले जनरल पांडे को मेमोंटो भेंट किया गया। सचिव सिंथिया जेम्स ने अंत में आभार व्यक्त किया।
*क्राइस्ट चर्च का इतिहास….*
1880 में मंदसौर के संधि पर हस्ताक्षर करने की अगली कड़ी के रूप में होलकर के महाराजा ने मालवा क्षेत्र में अपने क्षेत्र को ब्रिटिश रियासतों में शामिल करना स्वीकार कर लिया| अंग्रेजों ने दो पैदल सेना बटालियन को रखने के लिए महू में एक छावनी बनाने का निर्णय लिया|
छावनी के दक्षिणी छोर पर सैनिकों के लिए बैरक का निर्माण किया गया था जो आज तक मौजूद है और उत्तरी छोर पर चर्च का निर्माण 1818 में ब्रेकनौकशायर और वार्विकशायर बटालियन के सैनिक द्वारा किया गया था
चर्च का निर्माण अंग्रेजी गोथिक शैली का है। इसमें 10 मीटर ऊंचा एक सुंदर मीनार है जिसके ऊपर घंटाघर है जिसमे घंटी लगी है। उसके ऊपर एक ऊंचा शिखर है। केंद्रीय भाग मूलतः सागौन के ढांचे पर बनाया गया था और दीवारें ईंटों और मोर्टार से बनी है| छत शुरू में कैनवस से बनी थी और बाद में इसकी जगह लकड़ी और टाइल्स लगाई गई| ज्यादा से ज्यादा सैनिकों को रखने के लिए 1870 में चर्च का विस्तार किया गया। संगमरमर के ऊपर चर्च में दो सुंदर रंगीन कांच की खिड़कियां है|
इस वर्ष की शुरुआत से ही चर्च में नवीनीकरण का कार्य शुरू किया गया| जिसमें छत की मरम्मत और दीवारों को मजबूत बनाया गया रेवरेंड मेजर पॉल (आर) 1992 से इस चर्च के पादरी है|