Big Decision of High Court : मां-बाप मजबूर नहीं कर सकते कि किससे शादी करनी है!

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Big Decision of High Court : मां-बाप मजबूर नहीं कर सकते कि किससे शादी करनी है!

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी पसंद से शादी करने के बाद परिवार वालों की तरफ से मिल रही धमकियाें के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवा रको बड़ा फैसला दिया है।

कोर्ट ने सख्त लहजे में टिप्पणी की है कि जवान बेटा-बेटी को माता-पिता मजबूर नहीं कर सकते कि उन्हें किससे शादी करनी और किससे नहीं। यह जिंदगी का एक अहम हिस्सा और संवैधानिक रूप से भी एक युवा को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकारी है।

दरअसल, कुछ दिन पहले एक जोड़े ने

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता की घटना है और संविधान में प्रदत्त जीवन के अधिकार की गारंटी का अभिन्न हिस्सा है. अदालत ने साथ ही कहा कि अगर दो व्यस्क आपसी सहमति से विवाह करने का फैसला करते हैं तो इसमें माता-पिता, समाज या सरकार कोई बाधा ही नहीं है.

दिल्ली हाई कोर्ट का विवाह के अधिकार पर फैसला

उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक दंपति की याचिका पर सुनाया जिसने परिजनों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करने पर कुछ परिजनों से मिल रही धमकी के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा देने का अनुरोध किया था. अदालत ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दंपति को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक दूसरे से विवाह करने के अधिकार के तहत विवाह किया है और उन्हें अपने निजी फैसले या पसंद के लिए किसी सामाजिक मंजूरी की जरूरत नहीं है.

न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने हालिया आदेश में कहा, ‘विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता की घटना है. अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार न केवल सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा पत्र में रेखांकित किया गया है बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 का भी अभिन्न हिस्सा है जिसमें जीवन के अधिकार की गारंटी दी गई है.’

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परिवार वालों से परेशान होकर दंपति ने दायर की थी याचिका

न्यायाधीश ने कहा, ‘जब यहां पक्षकार दो सहमत वयस्क हैं जिन्होंने स्वेच्छा से विवाह के माध्यम से हाथ मिलाने की सहमति व्यक्त की है, तो रास्ते में शायद ही कोई बाधा हो सकती है, चाहे वह माता-पिता/रिश्तेदारों की ओर से हो या बड़े पैमाने पर समाज या सरकार से हो. यहां पक्षकारों के जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए किसी के पास कुछ भी नहीं बचा है.’

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस महीने के शुरुआत में मुस्लिम परंपरा से विवाह किया था लेकिन लड़की के परिजन नतीजे भुगतने की धमकी दे रहे हैं.

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विवाह का अधिकार मानवीय स्वतंत्रता की घटना, जीवन के अधिकार का अभिन्न पहलू: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता की घटना है और संवैधानिक रूप से गारंटीकृत जीवन के अधिकार का एक अभिन्न पहलू है और जब दो वयस्क सहमति से विवाह करना चुनते हैं तो माता-पिता, समाज या राज्य की ओर से शायद ही कोई बाधा हो सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है.

अदालत का आदेश एक जोड़े की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने अपनी इच्छा के विरुद्ध शादी करने के लिए परिवार के कुछ सदस्यों से मिल रही धमकियों के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।

संबंधित पुलिस अधिकारियों से जोड़े को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहते हुए, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है और “उन्हें अपने व्यक्तिगत निर्णयों और विकल्पों के लिए किसी सामाजिक अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है”।

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