Bjp Strategy:अमित शाह,अन्नामलाई या शिवराज ! कौन बनेगा भाजपा अध्यक्ष ?
यूं तो भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपेक्षित बहुमत न मिलने के बावजूद एक तरफ केंद्र में सरकार बनाने की कवायद तेज गति से चल रही है तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है,इसे देखते हुए उनके स्थान पर किसी दमदार नेता को अध्यक्ष बनाने की चर्चा भी साथ ही चल पड़ी है।फिलहाल तो तीन नाम उभरे हैं,जिनमें पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री रहे अमित शाह,तमिलनाडु राज्य के अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रमुख हैं। एनडीए का प्रधानमंत्री किसे बनाया जायेगा,इस सवाल जितना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन बनाया जायेगा?
चूंकि भाजपा कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल है,इसलिये उसमें संगठन के क्रियाकलाप भी समानांतर चलते रहते हैं। बताने की आवश्यकता नहीं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से प्रणीत भारतीय जनता पार्टी की कार्य प्रणाली भी उसी रंग में रंगी होती है। लोकसभा चुनाव के परिणाम अपेक्षित न मिलने के परिप्रेक्ष्य में यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि कम से कम अगले दो कार्यकाल मिलाकर 4 साल के लिये भाजपा की कमान किसके हाथ में रहे। भाजपा यह मानकर चल रही थी कि उसे 2029 तक पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चलाना है।ऐसे में पार्टी अध्यक्ष पद पर कम चर्चित या कम महत्वाकांक्षी या यूं कहें कि नाम मात्र के अध्यक्ष से भी काम चल सकता था, किंतु बदली परिस्थितियों में इसे कमजोर हाथों में नहीं सौंपा जा सकता।
ऐसे में जो नाम दमदार हो सकते हैं,उनमें अमित शाह,अन्नामलाई और शिवराज सिंह चौहान प्रमुख हैं। अमित शाह का नाम इसलिये कि गठबंधन की सरकार में संभव है गृह मंत्रालय सहयोगी दल को देना पड़े। यदि उप प्रधानमंत्री पद भी बना तो दूसरे के खाते में ही जायेगा। रक्षा और वित्त मंत्रालय भाजपा के हिस्से में आ सकते हैं, लेकिन अमित शाह का बेहतर उपयोग संगठन के काम में हो सकता है। ऐसा इसलिये भी कि भले ही कछुआ गति से लेकिन दक्षिण भारत में भाजपा ने राह से कांटे हटाना प्रारंभ कर दिया है। केरल, तमिलनाडु, आंध्र,तेलंगाना में उसने दस्तक तो दे दी है। कर्नाटक में वह आगे-पीछे होती रहती है। इसलिये संगठन को मजबूती देने के लिये उसे एक ऐसे योद्धा की आवश्यकता है, जो दिन-रात एक कर कार्यकर्ताओं की फौज तैयार कर सके और जनता के बीच भी पैठ बना सके। 2015 से 2019 तक अमित शाह ने वह सब कर दिखाया है, जिसकी अपेक्षा थी।
दूसरा प्रमुख नाम तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी का हो सकता है। महज 40 वर्षीय अन्नामलाई बेहद ऊर्जावान और लोकप्रिय हैं। वे भले ही हालिया लोकसभा चुनाव में कोयंबटूर से हार गये हों, लेकिन साढ़े चार लाख वोट लाकर उन्होंने भाजपा की उपस्थिति दर्ज करा दी है। कर्नाटक के पूर्व डिप्टी पुलिस कमिश्नर अन्नामलाई उन बिरले राजनताओं में हैं, जो मात्र एक साल के कार्यकाल में कार्यकर्ता से सीधे प्रदेश अध्यक्ष बना दिये गये। वे 2020 में कर्नाटक से नौकरी छोड़कर तमिलनाडु भाजपा में आये थे और 8 जुलाई 2021 को राज्य इकाई का प्रमुख बना दिया गया। बी.ई और एम.बी.ए. अन्नामलाई भारतीय प्रशासनिक सेवा में आकर आईपीएस होने के बाद राजनीति में आये हैं। 4 जून को जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आये,उसी दिन उनका चालीसवां जन्म दिन था। वे दक्षिण भारत में भाजपा की आशा के केंद्र हैं। उनकी सरलता,विद्वता,संगठन क्षमता उन्हें लोकप्रिय राजनीति में आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक हैं।आने वाले बर्षों में अन्नामलाई भाजपा की राजनीति में उल्लेखनीय पहचान पाने की पात्रता रखते हैं।
तीसरा प्रमुख नाम मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हो सकता है। चौहान की संगठन क्षमता का आकलन-परीक्षण करने की आवश्यकता अब भाजपा नेतृत्व को कतई नहीं है। चार बार मुख्यमंत्री रहते हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में हाड़-तोड़ मेहनत कर विजय अभियान को 150 के पार पहुंचाने में उनकी भी प्रमुख भूमिका रही है। बदले हालात में उन्हें यदि सम्मानजनक मंत्रालय देने में दिक्कत पेश आई तो वे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाये जा सकते हैं। चूंकि 2024 से 2029 का कार्यकाल तालमेल,बड़प्पन और समायोजन से हरा-भरा रहने वाला है तो शिवराज सिंह चौहान को लेकर पुराने गिले-शिकवे भी भुलाये जा सकते हैं।
देश में भारतीय जनता पार्टी का 2014 से 2019 तक का कार्यकाल ज्यादातर फैसलों से चौंकाने वाला रहा है, लेकिन नये दौर की नई राजनीति में इस तरह के मौके कम ही आयेंगे,ऐसा लगता है। इसलिये अध्यक्ष के लिये एकदम से किसी नये और नाममात्र के अध्यक्ष जैसा कोई नाम तो शायद ही आये।