मुरली की बेसुरी तान से भाजपा परेशान!

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दिल्ली से मध्यप्रदेश भेजे गए भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव का अपना अलग ही आलम है! वे जब भी माइक के सामने होते हैं, कोई न कोई ऐसा विवाद उगल देते हैं, जो कई दिनों तक चर्चा में बना रहता है।

उनके बयानों से अभी तक कोई सियासी उथल-पुथल तो नहीं हुई, पर विपक्ष को सरकार और भाजपा पर तलवार भांजने का मौका जरूर मिल जाता है। कभी वे ब्राह्मण-बनियों को जेब में होने का दावा करते हैं, कभी अपनी ही पार्टी के नेताओं को ‘नालायक’ तक कहने से बाज नहीं आते!

अब उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तुलना क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली से कर दी। राव ने कहा ‘शिवराज एक दिन लेट कर सकते हैं, लेकिन बूथ विस्तारक बन 100 घंटा पूरा करेंगे। विराट कोहली की तरह बैटिंग करेंगे।’

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ये तुलना असहज सी है, वो भी ऐसी स्थिति में जब क्रिकेट टीम ने टीम की कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया हो! उनके इस बयान के कई मतलब निकाले गए और कांग्रेस को भी इसके छिद्रान्वेषण का मौका मिल गया! कांग्रेस ने तत्काल तीर चला दिया ‘लीजिए शिवराज जी के कप्तानी छोड़ने के कयासों पर मुहर लग गई!’

ब्राह्मण और बनिया समुदाय के ‘जेब’ में होने के उनके बयान के बाद भी जमकर विवाद हुआ था। वे कांग्रेस ही नहीं, भाजपा के भी निशाने पर आ गए। क्योंकि, ये राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि सामाजिक धरातल को सीधा प्रभावित करने वाली बात थी। जबकि, वोट बैंक के हिसाब से भाजपा की ताकत ब्राह्मण और बनियों को ही माना जाता रहा है!

ऐसे में यदि पार्टी का कोई नेता उन्हें अपनी ‘जेब’ में होने की बात कहे, तो विवाद होना तय है। इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलट वार करते हुए कहा था कि भाजपा के नेता सत्ता के नशे व अहंकार में चूर हो गए हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव कह रहे हैं कि मेरी एक जेब में ब्राह्मण हैं और एक जेब में बनिया हैं।

जिस वर्ग के नेताओं ने भाजपा को खड़ा करने में महती भूमिका निभाई है, उन वर्गों का यह कैसा सम्मान! मुरलीधर राव ने एक बैठक में यह भी कहा था कि लगातार चार-पांच बार से सांसद, विधायक बनना, लगातार प्रतिनिधित्व करना, यह जनता का दिया हुआ वरदान होता है।

इसके बाद तो रोने के लिए कुछ नहीं होना चाहिए। ऐसे नेता अगर ये कहें कि उन्हें मौका नहीं मिला, तो ‘उनसे बड़ा नालायक कोई नहीं, उन्हें मौका मिलना भी नहीं चाहिए।’

मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी पी मुरलीधर राव अपने बयानों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं। ये पहली बार नहीं है, जब मुरलीधर राव ख़बरों की सुर्ख़ियों में आए हों!

उनकी बेबाकी से पार्टी के भीतर ही मुरलीधर राव के खिलाफ विरोध होने लगा। संघ और पार्टी के बड़े नेता भी मुरलीधर राव की बयानबाजी से परेशान हैं।

हालांकि, राव को भविष्य में ऐसे बयानों से बचने की नसीहत भी संघ और पार्टी आलाकमान की तरफ से दी जा चुकी है।

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प्रदेश की राजनीति के हिसाब से मुरलीधर राव पार्टी के जूनियर कैडर के नेता है। वे स्वदेशी जागरण मंच और बौद्धिक मंचों से जरूर जुड़े रहे, पर राजनीति की तासीर से वे वाकिफ नहीं हैं।

सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका भी बहुत सीमित रही। प्रदेश भाजपा में भी उन्हें भाजपा के जिन नेताओं के साथ पार्टी और संगठन की दृष्टि से काम करना है, वे भी उनसे ज्यादा वरिष्ठ हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 80 के दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। वे विधायक, सांसद, प्रदेश अध्यक्ष के बने और पांचवी बार मुख्यमंत्री बने हैं।

उनके बारे में अनर्गल बातें करने से पहले उन्हें सोचना चाहिए! मुरलीधर राव के पास राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है।

पार्टी ने उन्हें केवल मध्यप्रदेश का जिम्मा सौंपा है। यहाँ भाजपा की सरकार है और विधानसभा चुनावों में भी लम्बा वक्त है।

आशय यह कि यहां ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश नहीं है। अनुमान लगाया जा सकता है कि कहीं ऐसा कि राव इसलिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं, ताकि सुर्खियों में बने रहें।

दिल्ली भाजपा ने मुरलीधर राव को प्रदेश भाजपा को कंट्रोल करने के लिए भेजा था। लेकिन, अब स्थिति ये आ गई कि पार्टी को खुद उनकी जुबान काबू करने की जरूरत पड़ने लगी। उनके विवादस्पद बयानों से पार्टी के साथ संघ के नेता भी परेशान होने लगे।

बताते हैं कि प्रदेश प्रभारी के इन बड़बोले बयानों को हाईकमान तक पहुंचाया गया है। कहा गया कि मुरलीधर राव पर नकेल डालना जरूरी है, अन्यथा किसी दिन बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।

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उनके हिंदी भाषी नहीं होने को भी एक कारण बताया जा रहा है! लेकिन, अभी तक की उनकी बयानबाजी में कहीं भाषा अड़चन नहीं बनी! उन्होंने जो कहा स्पष्ट किया।

प्रदेश के कई नेता उनके ऐसे बयानों से बेहद नाखुश हैं। उनके बयानों से हुए विवादों की जानकारी और उनके कामकाज की शैली को लेकर केंद्रीय नेतृत्व को भी दी गई है।

प्रदेश में भाजपा राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री और प्रभारी के तौर पर शिवप्रकाश काम देख रहे हैं। वे भोपाल में ही हैं, इसलिए प्रदेश में उनकी सक्रियता भी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले अपनी टीम के साथ प्रदेश में एक्टिव है। बताते हैं कि पार्टी के अलावा संघ के स्तर पर भी मुरलीधर राव की निगरानी शुरू हो गई, इसके बावजूद उन पर काबू नहीं किया जा सका है।

भाजपा के पूर्व विधायक और जाने-माने कवि सत्यनारायण सत्तन ने तो कविता के जरिए मुरलीधर राव के ब्राह्मण-बनियों को लेकर दिए गए बयान का जवाब दिया था। उन्होंने एक कविता ही लिख दी।

मुरली की धुन

ब्राह्मणों और बनियों को जेब में लिए फिरते,
भाजपा के महासचिव मुरलीधर राव जी।
नड्डा ने तो गड्ढा खोदा हिमाचल में,
आप किस बूते पर दिखा रहे ताव जी।
ब्राह्मण अटलजी ने भाजपा को अटल किया,
एक वोट तक का नहीं किया भाव-ताव जी।
अपनी जेब में चाहे जितना भी भरो आप,
लेकिन, भाजपा की डुबाओ मत राव जी
मुखर्जी और उपाध्याय दोनों ही ब्राह्मण थे,
आप की जेब में वो दोनों ही समा गए।
मोदी की गोदी में महासचिव बने आप
शिवराज की मेहनत धूल में मिला गए।
भारी भरकम पाकिट में जो अहंकार भरा,
उसी अहंकार के गड्ढे में रमा गए।
भाजपा को जनता ने सम्मान सौंपा था,
आप उस मान को मिट्टी में मिला गए।