डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करेगी बीजेपी, हर बूथ से 2 कार्यकर्ता होंगे चिन्हित

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डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करेगी बीजेपी, हर बूथ से 2 कार्यकर्ता होंगे चिन्हित

भोपाल: प्रदेश के डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को मध्यप्रदेश भाजपा ट्रेंड करेगी। ट्रेनिंग पाने वाले कार्यकर्ता हर बूथ से बुलाए जाएंगे और इनकी हर बूथ से इनकी संख्या कम से कम दो होगी। इसके लिए जल्द ही प्रदेश संगठन यह तय करने वाला है कि इन्हें आने वाले दिनों में अपनी वर्किंग में किस तरह का बदलाव लाना है।

इन्हें ट्रेनिंग देने के लिए संभाग और प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों में जुटी बीजेपी ने संगठन के सबसे छोटे और सबसे मजबूत माने जाने वाले कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारियों के लिए एक्सपर्ट बनाने का फैसला किया है। इन्हें शुरुआती दौर में सबसे अधिक एक्टिव सोशल मीडिया और आईटी सेक्टर में बनाया जाएगा। इसलिए संगठन ने तय किया है कि बूथ स्तर के कम से कम दो ऐसे कार्यकर्ता जो आईटी सेक्टर की जानकारी रखते हैं, उन्हें ट्रेंड किया जाए। ये कार्यकर्ता सीधे बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय से जुड़े रहेंगे। इन्हें संगठन की गतिविधियों को बूथ स्तर पर आईटी तकनीक से पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी और ट्रेनिंग के बाद ये बूथ के दूसरे कार्यकर्ताओं को अपने स्तर पर ट्रेंड करने का काम करेंगे।

पार्टी चूंकि बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए को पहले ही ट्रेनिंग दे चुकी है, इसलिए अब बूथ कार्यकर्ता पर फोकस किया जा रहा है। प्रदेश में 65400 पोलिंग बूथ हैं और इन बूथों पर नियुक्त कार्यकर्ताओं के लिहाज से करीब डेढ़ लाख कार्यकर्ता ट्रेनिंग लेंगे।

 *संभागीय या प्रदेश मुख्यालय में होगी ट्रेनिंग* 

इन कार्यकर्ताओं को संभागीय मुख्यालय में सोशल मीडिया और आईटी वर्किंग की ट्रेनिंग दी जाए या प्रदेश स्तर पर प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाए। अभी इसका फैसला होना बाकी है। इसका निर्णय होने के साथ ही 15 नवम्बर तक प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

*शिवप्रकाश और राव के निशाने पर हैं सोशल मीडिया, आईटी* 

भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव प्रदेश के आईटी और सोशल मीडिया को लेकर खासे चौकन्ने हैं। दोनों ही नेता अपनी बैठकों के दौरान पार्टी के सोशल मीडिया और आईटी सेल की बैठक लेना नहीं भूलते। इनकी कोशिश है कि बूथ स्तर पर संगठन को इतना ताकतवर बनाया जाए कि संगठन का निर्णय सीधे वोटर के घर तक पहुंचे। इसलिए अब इस लाइन पर भी वर्किंग तेज की जाएगी।