Breaking News – मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा प्रायोजित वनवासी लीला में “लछमन चरित” का मंचन तुरंत बंद होना चाहिए-शिक्षाविद श्री चन्द्रे आरोप रामकथा को तोड़ा मरोड़ा गया

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Breaking News – मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा प्रायोजित वनवासी लीला में “लछमन चरित” का मंचन तुरंत बंद होना चाहिए-शिक्षाविद श्री चन्द्रे आरोप रामकथा को तोड़ा मरोड़ा गया

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । नगर के उत्कृष्ट विद्यालय प्रांगण के मुक्ताकाश मंच पर मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय श्री रामकथा वनवासी लीलाओं का मंचन आपत्ति जनक बताया जारहा है । जानकारों एवं सुधिजनो ने लछमन चरित की गरिमा को निम्न निरूपित किया है । जो वास्तविकता से बहुत दूर है ।

प्रदेश के विभिन्न जिला स्थानों पर यह प्रस्तुतियां वनवासी लीला के माध्यम से दी जा रही है । मंदसौर के त्रिदिवसीय नाट्य मंचन में निषादराज गुहा , भक्तिमति शबरी के बाद 31 मई की शाम लछमन चरित की प्रस्तुति हुई । इस नाट्य मंच का निर्देशन नर्मदापुरम के रत्नेश साहू द्वारा किया गया है ।

बुधवार की शाम दिनांक 31 मई 2023 को मंदसौर में लक्ष्मण चरित नामक नाटक प्रस्तुत किया गया जो गोंडवी रामायणी पर आधारित था।

इस बारे में शिक्षाविद एवं दशपुर जागृति संगठन के रमेश चंद्र चंद्रे ने कहा कि गोंडवी रामायणी का कोई लिखित आधार मौजूद नहीं है यह गोंड समाज में लोककथा के आधार पर गायन और मंचन के साथ प्रस्तुत किया जाता है इस समाज की राम कथा में कथा के केंद्र में लक्ष्मण का चरित्र मुख्य होता है इसके साथ ही राम सीता और हनुमान तथा पंडवानी कथा के अंतर्गत भीम यह गोंड समाज के आदर्श हैं किंतु संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा मंचित लक्ष्मण चरित्र में लक्ष्मण को अत्यंत ही कमजोर सिद्ध करने का प्रयास किया गया है जिसमें उन्हें एक बाजा बजाते बजाते 12 साल तक सो जाने वाला तथा एक कमजोर चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया है

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इस प्रसंग में इंद्र की पुत्री इंद्र कामिनी लक्ष्मण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए षड्यंत्र करती है और कभी बाज और मक्खी बनकर लक्ष्मण को परेशान करती है और एक बार तो वह मंत्र शक्ति से लक्ष्मण को बकरा बना कर इंद्रपुरी ले जाती है जहां से भगवान श्री राम उन्हें छुड़ाकर लाते हैं

एक स्थान पर इंद्र की यह पुत्री सीता से युद्ध करती पाई जाती है इसके बाद असंख्य भंवरों की सेना लेकर लक्ष्मण पर आक्रमण कर उसे बंदी बना लेती है जहां श्री राम, भीम की सहायता से उन्हें छुड़ाने जाते हैं और भीम वहां पराजित हो जाते हैं उसके बाद हनुमान जी लक्ष्मण जी को मुक्त करते हैं इस कथा में लक्ष्मण को अपने चरित्र की शुद्धता को सिद्ध करने के लिए राम द्वारा निर्देशित अग्निपरीक्षा से भी गुजरना होता है।

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इन कथा प्रसंगों का वाल्मीकि रचित एवं तुलसीकृत रामायण से कोई संबंध नहीं है यह राम लक्ष्मण के चरित्र को विकृत रूप से प्रस्तुत किया जाने का कुत्सित प्रयास है।

इसके साथ ही इस लक्ष्मण चरित नामक नाटक में रामायणी एवं पंडवानी कथा का घालमेल कर हिंदू समाज को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है।

अपने वक्तव्य में शिक्षाविद रमेशचन्द्र चन्द्रे ने कहा कि आज से 300 साल पूर्व अंग्रेजों के द्वारा भेजी गई मिशनरियों ने आदिवासी गोंड जाति के धर्मांतरण को लेकर अभियान चलाया था जिसमें उन्होंने हिंदुत्व के प्रति कट्टरता की भावनाओं को खंडित करने के लिए वहां के गोंड रामायणी एवं पंडवानी गायको, पंडित एवं पुजारियों को भय एवं लालच के दबाव देकर उन्हें राम कथा को प्रभावित कर तथा इसे विकृत करने का षड्यंत्र रचा गया था ताकि गोंड समाज जो लक्ष्मण राम सीता तथा हनुमान एवं भीम के अनन्य भक्त थे उनकी श्रद्धा इन महापुरुषों प्रति खंडित हो जाए और इस समाज के मन में यह बात उत्पन्न हो जाए कि राम लक्ष्मण बहुत कमजोर देवता थे इसी बात में वामपंथी दलों एवं मिशनरी ने निरंतर बनाए रखने का प्रयास किया।

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श्री चन्द्रे ने कहा कि दुर्भाग्य है कि प्रदेश में भाजपा की हिंदुत्ववादी सरकार होने के बावजूद और संस्कृति मंत्रालय में दुर्गा वाहिनी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उषा ठाकुर मंत्री के रूप में होने के बाद भी हिंदू समाज को तोड़ने के इस षड्यंत्र को वह समझ नहीं पा रहे हैं और इस लक्ष्मण चरित्र नाटक को मंचित करने की अनुमति दे दी

श्री चन्द्रे ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं संस्कृति मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर को पत्र लिखकर मांग की है कि शासन के संस्कृति विभाग द्वारा मंचित किए जाने वाले लक्ष्मण चरित को आगामी सभी जिलों में रद्द कर देना चाहिए अन्यथा उन्होंने यह भी कहा है कि मौका पड़ने पर जिन जिलों में इस चरित्र का प्रदर्शन होगा वहां जन जागरण की दृष्टि से वे स्वयं जाकर दर्शकों को सत्य से अवगत कराएंगे ।

श्री चंद्रे ने क्षेत्रीय सांसद सुधीर गुप्ता एवं मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया के संज्ञान में लछमन चरित को विकृत रूप में होरही प्रस्तुति लाई है ।

पतंजलि योग से जुड़े बंशीलाल टांक , अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला अध्यक्ष नरेंद्र भावसार , पेंशनर महासंघ जिला सचिव नंदकिशोर राठौड़ ने भी लछमन चरित प्रस्तुति को आपत्तिजनक बताया है ।

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हिंदू जागरण मंच के पूर्व संयोजक एवं जगद्गुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ की सेवा में रहे रवींद्र पांडेय ने आश्चर्य प्रकट किया कि रघुकुल के लक्ष्मण को एक अवसर पर बकरा तक बनाया गया जो कहीं अबतक जानकारी में नहीं आया है , कल्पना के आधार पर रामकथा के लक्ष्मण चरित्र को विकृत किया गया है । जबकि रामचरितमानस एवं वाल्मीकि रामायण में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता ।

ज्ञातव्य है कि सरकार के अधीन संस्कृति विभाग द्वारा श्रीरामकथा साहित्य और लोक आस्था के चरित्रों की लीलाओं की नाट्य मंचन कर प्रस्तुतियां की जारही हैं । इसी कड़ी में मंदसौर में जिला प्रशासन के सहयोग से कार्यक्रम हुआ । जो चर्चा में आगया है । तीव्र प्रतिक्रिया हुई है ।

प्रशासन के अलावा घुमंतू एवं घुमक्कड़ जाति जनजाति व उपेक्षित वर्गों के लिए कार्यरत सेवाव्रती रवीप्रताप सिंह बुंदेला नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रमादेवी गुर्जर , संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष नरेंद्र कुमार त्रिवेदी , समरसता मंच के विनोद मेहता , वाल्मीकि समाज प्रमुख मुकेश पटेल , समाजसेवी राजाराम तंवर , पार्षद सुनीता अशोक भावसार सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे ।