‘ग्रुप्स ऑफ कलेक्टर्स” की राजधानी वापसी
सरकार में नेताओं के बाद अफसरों का भी समय होता है। कई आईएएस अधिकारी कलेक्टर बनने का सपना देखते रिटायर हो गए हैं। कई ऐसे अफसर हैं जिनका कलेक्टरों का समूह है। हाल ही में हुए प्रशासनिक फेरबदल में है “ग्रुप्स ऑफ कलेक्टर्स” की राजधानी वापसी हो गई है। खास बात यह है कि “ग्रुप्स ऑफ कलेक्टर्स” जिन जिलों में रहे हैं, उनके कामकाज के चर्चे मंत्रालय तक सुनाई देते रहे।
राजधानी वापसी पर भी “ग्रुप्स ऑफ कलेक्टर्स” के अफसर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विभागों में पदस्थ किये गए हैं। जिसके पास हजारों करोड़ का फंड सीधे भारत सरकार से आता है। फिलहाल “ग्रुप्स ऑफ कलेक्टर्स” के चर्चे जोरों पर हैं।
वीरा राणा की मंत्रालय से दूरी
1988 बैच की आईएएस अधिकारी वीरा राणा मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे थीं। मौजूदा मुख्य सचिव के एक्सटेंशन के बाद वीरा राणा सहित अनेक अफसरों की हसरतों पर पानी फिर गया। पिछले महीने कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी)1988 बैच के आईएएस शैलेष सिंह के रिटायर होने के बाद राज्य शासन ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष वीरा राणा को एपीसी का प्रभार दिया है। वीरा इसके लिए तैयार नहीं थीं। वे मंत्रालय में बैठने को तैयार नहीं हैं। खबर आ रही है कि उन्हें यह कहकर राजी किया कि उन्हें मंत्रालय आने की कोई जरूरत नहीं है। कृषि उत्पादन आयुक्त से संबंधित फाइलें उन तक पहुंचा दी जाएंगी।
ठेंगे पर प्रभारी मंत्री के निर्देश!
शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को प्रभारी मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया के निर्देशों को ठेंगा दिखाने का पुरस्कार ग्वालियर कलेक्टर बनाकर दिया गया है। शिवपुरी कलेक्टर सिंह के बारे में चर्चा है कि वे भाजपा की बुआ जी यानि यशोधरा राजे सिंधिया के विश्वसनीय अफसर रहे हैं।
वे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री महेन्द्र सिसौदिया के कई निर्देशों को रद्दी की टोकरी में फेंक देते थे। कोलारस तहसीलदार ज्योति लक्षाकार को निलम्बित करने का आदेश हो या पिछोर के खाद्य अधिकारी को हटाने का कलेक्टर ने सिसौदिया की एक नहीं सुनी। शिवपुरी में चर्चा है कि प्रभारी मंत्री को ठेंगा दिखाने का ईनाम उन्हें ग्वालियर कलेक्टर बनाकर दिया गया है।
कमलनाथ का गुस्सा!
इस सप्ताह मप्र कांग्रेस कार्यालय में पहली बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ को इतने गुस्से में देखा। इंदौर के घटनाक्रम को लेकर कमलनाथ इसलिए भी गुस्से में हैं कि उनके खास लोगों ने ही उनके फैसले का विरोध किया। दरअसल इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कमलनाथ ने लगभग सभी नेताओं से सहमति ली।
इंदौर के दोनों कांग्रेस विधायकों ने अरविन्द बागडी के नाम पर सहमति दे दी इसके बाद ही उनके नाम की घोषणा हुई। कमलनाथ के खास माने जाने वाले विनय बाकलीवाल ने ही इस फैसले का विरोध कराया और पुतले जलवाए। बाकलीवाल से कमलनाथ इतने नाराज थे कि उन्हें अपने बंगले में नहीं घुसने दिया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया विभाग के कक्ष में जैसे ही कमलनाथ का सामना बाकलीवाल से हुआ कमलनाथ गुस्से से लाल थे। उन्होंने बाकलीवाल को जमकर फटकार लगाई।
सिंधिया समर्थकों में दहशत
कांग्रेस से विद्रोह कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों में कुर्सी को लेकर और विधायकों में भविष्य को लेकर दहशत साफ दिखाई दे रही है। भाजपा दफ्तर से बाहर आ रही खबरों पर विश्वास किया जाए तो सिंधिया समर्थक लगभग छह मंत्रियों को नकारा साबित कर कैबिनेट से बाहर किया जा सकता है।
पिछले दिनों कुछ खास सिंधिया समर्थक मंत्रियों को प्रदेश भाजपा कार्यालय बुलाकर नसीहत भी दी गई है। चर्चा यह भी है कि इस सप्ताह भोपाल में हुई भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने ज्योतिरादित्य सिंधिया आए जरूर थे, लेकिन उनमें हमेशा की तरह जोश और उत्साह दिखाई नहीं दे रहा था। राजनीतिक हलकों में यहां तक खबर है कि अगले विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थक आधे से ज्यादा विधायकों के टिकट भी कट सकते हैं।
चर्चा में तीर्थ दर्शन यात्रा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तीर्थ दर्शन यात्रा आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है। मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों के लिए यह योजना शुरू की है, लेकिन मप्र में इस योजना का लाभ सक्षम और धनाढ्य लोग भी उठा रहे हैं। मुरैना पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के शिक्षक पिता लालजी बागरी तीन वर्ष पहले जगन्नाथ की यात्रा कर आए थे। वे फिर से गरीब बनकर द्वारिकापुरी की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी किसी दिलजले ने सतना कलेक्टर से चुगली कर दी। कलेक्टर ने शासकीय शिक्षक लालजी बागरी को निलंबित कर दिया। अब खबर आ रही है कृषि मंत्री कमल पटेल की सासु मां गरीबों के कोटे से रामेश्वरम यात्रा पर रवाना हो गई हैं। स्वयं मंत्री जी सास को विदा करने स्टेशन पहुंचे। अब कांग्रेसी मंत्री जी के ससुराल की गरीबी को लेकर चटकारे ले रहे हैं।
और अंत में…!
मप्र केडर के एक वरिष्ठ आईएएस के परिजन में गजब का साम्प्रदायिक सद्भाव का माहौल नजर आ रहा है। आईएएस स्वयं मुस्लिम हैं। उन्होंने शादी हिन्दु महिला से की थी। यही कारण है कि उनके घर में हिन्दु और इस्लाम दोनों त्यौहारों को उत्साह से मनाया जाता रहा। अब आईएएस की बेटी ईसाई से विवाह करने जा रही है। यानि दामाद के आने के बाद इन आईएएस के घर में पूजा व नमाज के साथ साथ गिरजाघर की प्रार्थना भी सुनी जा सकती है !!