CAT Stay On IFS Transfer : ट्रांसफर के 48 घंटे में CAT ने स्टे दिया

CAT ने कहा 'शशि मलिक मामले में संशोधित सर्विस रूल का उल्लंघन हुआ

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Bhopal : 14 फरवरी को हुए ट्रांसफर आदेश के खिलाफ अखिल भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के MP Coder के 1993 बैच के अधिकारी शशि मलिक ने कैट (Central Administrative Tribunal) से स्टे ले लिया। उन्हें यह Stay 48 घंटे में मिला। मप्र में इस सर्विस (IFS) का यह पहला मामला है, जब किसी अधिकारी ने ट्रांसफर आदेश को कैट में चुनौती दी है।

ग्वालियर सर्किल में तैनात अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (CPCCF) शशि मलिक का कहना है कि वे जिस पद पर हैं, 22 फरवरी 2022 को वहां उन्हें एक साल होगा। लेकिन, इससे पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। सामान्यतः फॉरेस्ट में पदस्थापना के 6 से 8 महीने तो काम को समझने में लगते हैं। इससे पहले ट्रांसफर हो जाएगा, तो व्यक्ति काम कैसे समझेगा और करेगा। वे जब DFO थे, उनके बच्चे किसी भी स्कूल में एक सेशन भी पूरा नहीं कर सके थे। उनका कहना है कि कब तक सामान ढोते रहेंगे, कहीं तो रुकना ही होगा।

शशि मालिक को जिस रूल के आधार पर स्टे मिला वो IFS (Cadre Rule) 1966 में 28 जनवरी 2014 का संशोधित रूल है। इसके रूल 7 में कहा गया कि ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसा जरूरी है। मलिक ने इसी रूल का हवाला देकर CAT से स्टे लिया है। 2013 में टीएसआर सुब्रमण्यम एवं अन्य वर्सेस केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें तबादलों पर सिविल सर्विस बोर्ड बनाएं। इसी में ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्णय लें।

मामले की सुनवाई अब 9 मई को

सुनवाई के दौरान CAT ने स्पष्ट किया कि IFS के अधिकारी शशि मलिक के मामले में 28 जनवरी 2014 को हुए सर्विस रूल में संशोधन रूल का उल्लंघन हुआ है। सर्विस बोर्ड की कोई अनुशंसा नहीं की गई। इसीलिए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए ट्रांसफर ऑर्डर पर स्टे दिया जाता है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 मई को होगी। इस दौरान सरकार अपना पक्ष रखे।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) आरके गुप्ता का कहना है कि शशि मलिक को शासन का फैसला मानना था। अब उन्होंने CAT से स्टे ले लिया है, तो शासन आगे की प्रक्रिया अपनाएगा। APCCF (प्रशासन एक) आरके यादव ने CAT का आदेश मिलने की पुष्टि भी की है।