अपन मातृभाषा में बतकाव करें आज, हमाई तो बुंदेलखंडी है…

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अपन मातृभाषा में बतकाव करें आज, हमाई तो बुंदेलखंडी है…

भैया आज मातृभाषा दिवस है। राष्ट्रीय नईं अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है भैय्या। जौ हर साल 21 फरवरी खौंई मनाव जात। 17 नवंबर 1999 खौं यूनेस्को ने ई पै मुहर लगाईती। ईकौ उद्देश्य जौई है कि अपनी अपनी भाषा बोली खौं लैके सब खौं जागरूक करौ जाए। अब जौ समझ सकत कै विकीपीडिया ने हमें बताव कै भारत में मध्यप्रदेश के और उत्तर प्रदेश के भौत बड़े क्षेत्र में बुंदेलखंड में बुंदेलखंडी भाषा बोली जात। ईके बोलवे वारे यद्यपि भौत हैं, तबऊं बच्चन में पराई भाषान सैं प्रेम बढ़ कल हौ। ईसै जरूरी है कै बुंदेलखंडी भाषा खौं जैसे होय बढ़ावा दैवे कौ काम होय, लोगन खौं जागरूक करो जाय और सरकारी कार्यक्रमन में बुंदेलखंडी बोलवौ अनिवार्य करौ जाय। बिना ईकै बुंदेलखंडी भाषा खौं बचावै कौ कौनऊ उपाय नईंयां भैय्या।

अपन मातृभाषा में बतकाव करें आज, हमाई तो बुंदेलखंडी है...

अब जब अपने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हिंदी में डॉक्टरन और इंजीनइयरन की पढ़ाई शुरू करवा दी, तब का अपन की जिम्मेदारी नईंयां कै अपनी मातृभाषा की इज्जत करैं, ऊमै बात करैं और अपनी छाती चौड़ी करैं। अब तुमई बताओ कै मराठी बोलवे वारे दो जनैं मिल जाएं, फिर वे मराठी में बातैं कर कितनौ अपनौपन जताउत हैं अपनी मातृभाषा के प्रति। जौई हाल सिंधी, गुजराती, उरिया, बंगाली और सबई कौ है भैय्या। फिर अपन खौं अपनी बुंदेलखंडी से का दुश्मनी है। जब मौका मिले, तबई बुंदेलखंडी में बतकाव करन लगौ। अब मध्यप्रदेशई की बात‌ करें तो मालवा के लोग मालवी, विंध्य के जनै बघेली और भील भीली, गौंड गौंडवी भाषा में बतियातई हैं, फिर ससुर हम बुंदेलखंडियन खौंई काय‌ बुंदेलखंडी बोलवै में सरम खांय जात। चुल्लू भर पानी में डूबकै मरवै की बात है जौ कै नईंयां भैय्या तुमई बताव।

वैसें एक बात बताय भैया। वो अपनौं बागेश्वर धाम गढ़ा बारौ वौ धीरेंद्र कृष्ण बड़ौ संत बन गओ। वौ जब बुंदेलखंडी में बोलत है कै ठठरी बदांव सारे, आ जाओ हम तुमाई ठठरी बांद दैं…तबै मन खौं भौतई चैन मिल जात। और वौ तो इंग्लैंड गओतो उन अंग्रेजन के देस में, जिन ससुरन ने हमाय ऊपर सैकड़न साल राज करौ तौ…वो अपनौं बागेश्वर उतई लंदन में उनकी ठठरी बांद आओ। उनन खौं कां समझ में आनै कै जौ हमाई ठठरी बांद रऔं। वे तो बागेश्वर के भगतई बन गए। सारैन सैं अपनौ लूटौ भऔ धन और लौटा लातौ वौ बागेश्वर सरकार तौ कितनौं नौंनौ रतौ। तुमाई सौं भैय्या जिंदगी भर गुलामी करते ऊ बागेश्वर की। हम का फिर तौ मोदी और पूरौ देसई बागेश्वर के पावन में लोटतौ। सांची बोल रए कै नईं भैय्या। वेई अंग्रेजन खौं तो नाकन चना चबवायते अपनी लक्ष्मीबाई नैं। दुष्टन की बजै सें तौ ऊने जान दै दईती पर ऊके सरीर खौं हाथ नईं लगा पाएते वे नासमिटे। और अब तौ मोदी नै स्टेशन कौ नाव भी वीरांगना लक्ष्मीबाई नगर रख दऔ, कितनौ नौंनो काम करौ। ऐईसैं तो मोदी की पूरी दुनिया में जय जयकार हो रई भैय्या, अब कोऊखौं बुरव लगै सो लगत‌ रय ऊसै मोदी की सेहत पै का फरक पड़त।

अब शिवराज ने भी नई आबकारी नीति बना दई भैया। नशा न करै कोऊ ईकौ पूरौ इंतजाम कर दऔ शिवराज ने। वौ अपनी बुंदेलखंड की उमा भारती है, ओईकी जिद तौ है जौ कै प्रदेस में दूध की गंगा बहानै है। और अब ओरछा के रामराजा के मंदिर के पास वारी शराब की दुकान की तो ठठरी बंद गईं, संग में पूरे प्रदेश में स्कूल, कॉलेजन और मंदिरन के सौ मीटर दूरईं खोल पैं नासपिटे सराब की दुकान। भौतई उम्दा काम हो गऔ। ससुर कै पीके जितने करम कर सकत, उतने करत। जितने गुंडा हैं, सब सराब पीकै तो हुड़दंग और बदमाशी करत हैं। ई सराब खौं तो पूरे से लकईया लग जाए, तौ भौतई बड़ियां काम हो जाए। लगत‌ तौ है कै अब ओई ताईं काम आगें बढ़ रऔ। तौ भैय्या आज इतनौई ठीक है। सब खौं राम-राम। पर आज‌ कौलई है सब खौं, जो अपनी मातृभाषा में न बोलै, भलेई थोरी भौतई सई।