Chinnaswami Bangluru Stampede: कैट ने IPS विकास कुमार का निलंबन रद्द किया, तत्कालीन पुलिस कमिश्नर समेत अन्य निलंबित अधिकारियों की बहाली का रास्ता खुला 

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Chinnaswami Bangluru Stampede: कैट ने IPS विकास कुमार का निलंबन रद्द किया, तत्कालीन पुलिस कमिश्नर समेत अन्य निलंबित अधिकारियों की बहाली का रास्ता खुला 

बेंगलुरु: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने निलंबित IPS अधिकारी विकास कुमार को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करते हुए 4 जून, 2025 को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई दुखद भगदड़ से संबंधित उनके निलंबन को रद्द कर दिया है। न्यायाधिकरण ने आदेश दिया है कि उन्हें सभी सेवा लाभों के साथ बहाल किया जाए, जिससे मामले में शामिल अन्य निलंबित अधिकारियों की बहाली का रास्ता खुल सकता है।

बता दे कि 4 जून को बैंगलोर के प्रतिष्ठित चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) क्रिकेट टीम की जीत का जश्न मनाने के दौरान भगदड़ मच गई। भारी भीड़ के कारण 11 लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक 14 वर्षीय लड़की भी शामिल थी।

इस त्रासदी के बाद कर्नाटक सरकार ने पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जिनमें IPS अधिकारी विकास कुमार, बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी. दयानंद और डीसीपी शेखर एच. तेप्पनवर शामिल हैं। निलंबन का आधार घटना की पूर्व जानकारी के बावजूद अपर्याप्त पुलिस व्यवस्था के आरोप थे।

 *CAT का फैसला: निलंबन अवैध घोषित* 

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की बेंगलुरू पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य संतोष मेहरा शामिल थे, ने 30 जून, 2025 को यह फैसला सुनाया। न्यायाधिकरण ने IPS अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को अवैध घोषित करते हुए उसे रद्द कर दिया। आदेश में यह भी कहा गया है कि कुमार को सेवा नियमों के तहत मिलने वाले सभी सेवा लाभ मिलेंगे।

विकास कुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ध्यान चिन्नप्पा ने कहा कि यह फैसला न केवल कुमार को दोषमुक्त करता है, बल्कि पुलिस आयुक्त बी दयानंद और डीसीपी शेखर एच. तेप्पनवर की बहाली का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।

ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) को भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इसमें खुलासा किया गया कि RCB ने सोशल मीडिया पर अचानक विजय जुलूस का निमंत्रण पोस्ट करने से पहले पुलिस से अनुमति नहीं ली, जिससे अप्रत्याशित रूप से भीड़ उमड़ पड़ी।

न्यायाधिकरण ने टिप्पणी की, “पुलिसकर्मी भी इंसान हैं, न भगवान और न ही जादूगर। उनके पास अलादीन का चिराग नहीं है कि वे तुरंत सभी सुरक्षा व्यवस्थाएं कर सकें।” न्यायाधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस के पास आखिरी समय में सोशल मीडिया पर आए निमंत्रण के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था – केवल 12 घंटे।

यह स्पष्टीकरण विकास कुमार पर निलंबन हटाने के न्यायाधिकरण के निर्णय के केंद्र में था, जिसमें स्वीकार किया गया कि इतने कम समय में पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था करना असंभव था।

सरकारी आरोप और पुलिस की प्रतिक्रिया

कर्नाटक सरकार ने पहले पुलिस पर आरोप लगाया था कि वह पहले से सूचना होने के बावजूद बड़ी भीड़ का अनुमान लगाने में विफल रही। पुलिस की आलोचना इस बात के लिए की गई कि उसने सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया या भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त बल तैनात नहीं किया और वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन नहीं लिया।

*अधिकारियों का निलंबन और अगला कदम* 

घटना के बाद सरकार ने पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद,अतिरिक्त आयुक्त विकास कुमार,डीसीपी शेखर एच. तेप्पनवर

एसीपी सी बालकृष्ण,

इंस्पेक्टर ए.के. गिरीश।

आईपीएस अधिकारियों को अनुशासन एवं अपील नियम 1969 के तहत निलंबित किया गया, जबकि एसीपी और इंस्पेक्टर के खिलाफ कर्नाटक पुलिस अनुशासन नियम 1965 के तहत कार्रवाई की गई ।

कैट द्वारा विकास कुमार का निलंबन रद्द करने के बाद, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निलंबन पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है।