Close Combat : इंदौर की इस सीट पर दो दिग्गजों में मुकाबला भी नंबर-वन!
Indore : इस बार के विधानसभा चुनाव में रोचकता भी नजर आ रही है और रोमांच भी गजब का है। भाजपा ने दूसरी लिस्ट में सात सांसदों के साथ संगठन के जिस हाई प्रोफ़ाइल नेता को चुनाव के मैदान में उतारा, वो हैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय। कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला के सामने शहर के क्षेत्र-1 मुकाबले में उतारकर पार्टी ने इस सीट को प्रदेश को कांटाजोड़ मुकाबले वाली ख़ास सीट तो बना ही दिया। लेकिन, भाजपा के इस फैसले से कांग्रेस में संजय शुक्ला का कद जरूर बढ़ गया।
कभी कोई चुनाव न हारने वाले भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय की अपनी अलग ही राजनीतिक शैली है। वे दस साल बाद पार्टी के निर्देश पर चुनावी राजनीति में उतरे हैं। खास बात यह कि इंदौर की नंबर-एक सीट से उम्मीदवार बनाए जाने पर वे खुद भी चौके। क्योंकि, वे फ़िलहाल चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। उन्होंने ये बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी की, लेकिन, पार्टी का आदेश मानने के सिवाय उनके पास कोई चारा नहीं है।
भले ही कैलाश विजयवर्गीय चुनाव लड़ना अपनी मज़बूरी बता रहे हों, पर इस वजह से उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय का राजनीतिक और सामाजिक करियर जरूर दांव पर लग गया। क्योंकि, पिता के चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी शायद ही बेटे को फिर टिकट दे। वे इंदौर की ही विधानसभा-3 से पिछली बार विधानसभा चुनाव जीते थे।
यह कयास भी लगाए जाने लगे थे कि कैलाश विजयवर्गीय के सामने आने से कहीं संजय शुक्ला अपनी सीट तो नहीं बदलेंगे! लेकिन, उन्होंने इस संभावना से इंकार किया। संजय शुक्ला ने खुद स्पष्ट किया कि वे कहीं नहीं जा रहे। वे इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे और दमदारी से लड़कर जीतेंगे भी। संजय शुक्ला का कहना है कि मैंने पार्टी को भी इस बारे में जानकारी दे दी।
विधायक शुक्ला ने कहा कि ये इलाका मेरी जन्मभूमि, कर्मभूमि और धर्मभूमि है। मैं चुनाव यहीं से लडूंगा और कैलाश विजयवर्गीय के सामने लड़कर जीतकर भी बताऊंगा। उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय हमेशा अपनी सीट बदलते आए हैं। लेकिन, एक नंबर से तो मैं ही जीतूंगा। उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय बड़े नेता हैं और मेरे इलाके में उनका स्वागत है। मेरा क्षेत्र मेरा परिवार है और भाजपा के खिलाफ पूरा परिवार ही जंग में उतरेगा।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि भाजपा का दुर्भाग्य है कि पार्टी को उनको चुनाव लड़ाना पड़ रहा है, जो कभी प्रदेश और पश्चिम बंगाल में टिकट बांटते थे, वे मेरे सामने चुनाव लड़ेंगे। इसलिए कि भाजपा किसी भी हालत में मध्यप्रदेश का चुनाव जीतना चाहती है। जिस तरह मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा की सीटों का उम्मीदवार बनाया जा रहा, कहीं ऐसा न हो कि नरेंद्र मोदी जी या अमित शाह जी को ही किसी सीट से चुनाव मैदान में उतार दें। अफ़सोस की बात तो यह है कि इतने साल सरकार चलाने के बाद भी पार्टी के पास इतने दमदार नेता नहीं हैं, जो चुनाव लड़ सकें। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और संगठन के बड़े पदाधिकारियों को चुनाव लड़वाया जा रहा है। भाजपा की ये घबराहट बताती है कि कांग्रेस की सरकार बनने वाली है।