

Coaching Institute Controlled and Regulation Bill 2025: कोचिंग इंस्टिट्यूट पर 5 लाख रुपये तक के दंड का प्रावधान
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगने के बाद भजन लाल सरकार ने विधानसभा में बुधवार को ‘राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025’ पेश किया। राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने सदन में यह बिल रखा। इस बिल पर 21 मार्च को विधानसभा में चर्चा होगी।
यह विधेयक कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण के लिए तैयार किया गया है। इस बिल को विधानसभा के मौजूदा सत्र में ही बहस के बाद पारित करवाया जाएगा।
राजस्थान के विभिन्न नगरों में विशेष कर कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर सभी क्षेत्रों में इस बिल का स्वागत किया जा रहा है। प्रदेश में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों से राजस्थान की छवि पर भी हो रहे प्रतिकूल असर और माननीय न्यायालय के आदेश की अनुपालना में भजन लाल शर्मा सरकार के इस कदम को सभी ने उचित बताया हैं। हालांकि इस बिल को केंद्र सरकार की गाइड लाइंस के अनुरूप लाया गया है, लेकिन एक महत्वपूर्ण बदलाव राज्य में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि राजस्थान सरकार द्वारा पहले के ड्राफ्ट बिल में 16 साल से कम उम्र के छात्रों को कोचिंग में प्रवेश नहीं देने की शर्त लगाई थी, लेकिन बुधवार को पेश हुए अंतिम बिल में यह प्रावधान हटा दिया गया। केंद्र सरकार की गाइड लाइंस में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के दाखिले पर रोक का प्रावधान था, जिसे राजस्थान सरकार ने भी अपने ड्राफ्ट में शामिल किया था। हालांकि,अंतिम बिल में उम्र की यह सीमा हटा दी गई।
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इस विधेयक का उद्देश्य कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही तय करना,फीस नियंत्रण,छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और उन पर अनावश्यक दबाव को कम करना है। इसके तहत बिल में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं जिनमें अब हर कोचिंग सेंटर का पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। साथ ही फीस पर नियंत्रण रखा जाएगा और फीस लौटाने के प्रावधान भी होंगे।
बिल पारित होने पर छात्रों के मानसिक तनाव को रोकने के लिए काउंसलिंग और हेल्पलाइन सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही भ्रामक विज्ञापनॉ पर प्रतिबंध लगेगा। बिल में नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने और कोचिंग सेंटरों की मान्यता रद्द करने तक का प्रावधान रख गया हैं।
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विधेयक के अनुसार 50 से अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थान कानूनी दायरे में आएंगे। इस बिल के मुताबिक एक बैच में अधिकतम छात्रों की संख्या तय होगी। कोचिंग सेंटरों को बैच की संख्या अपनी वेबसाइट और प्रॉस्पेक्टस में स्पष्ट करनी होगी। वहीं, बैच शुरू होने के बाद नए नामांकन नहीं जोड़े जा सकेंगे।
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इस बिल में यह प्रावधान भी किया गया है कि अब प्रदेश में सभी कोचिंग संस्थानों को अनिवार्य रूप से अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके साथ ही राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन अथॉरिटी बनाई जाएगी,जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव करेंगे।
इस बिल के स्वीकृत होने पर कोचिंग सेंटर छात्रों से मनमाने तरीके से फीस नहीं वसूल कर पाएंगे। वहीं,छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाएगी। छात्रों को तनावमुक्त माहौल दिया जाएगा, जिससे उन्हें बिना दबाव के पढ़ाई का अवसर मिलेगा। वहीं, भ्रामक विज्ञापनों के जरिए कोचिंग संस्थान झूठे और अतिशयोक्तिपूर्ण दावे नहीं कर पाएंगे। इस बिल में प्रावधान किया गया है कि कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा और इसके लिए काउंसलिंग सिस्टम विकसित करना होगा। जिला समिति सुनिश्चित करेगी कि प्रशिक्षित काउंसलर उपलब्ध हों, जिनके संपर्क नंबर छात्रों को दिए जाएंगे। छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए कोचिंग सेंटर जागरूकता अभियान चलाएंगे।
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इस बिल में यह प्रावधान भी किया गया है कि अगर कोचिंग सेंटर पहली बार नियम तोड़तो हैं तो उन पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, दूसरी बार गलती करने पर 5 लाख रुपये तक का दंड दिया जाएगा तथा बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर कोचिंग संस्थान का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। अगर कोचिंग सेंटर जुर्माना नहीं भरता, तो यह भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूला जाएगा।
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि छात्रों को नामांकन से पहले पाठ्यक्रम की कठिनाई,परीक्षा पैटर्न और आवश्यक तैयारी के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। कोचिंग संस्थानों को फीस, क्लासेस, हॉस्टल, फूड सर्विस और फीस रिफंड पॉलिसी की जानकारी लिखित रूप में देनी होगी।
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि छात्र, अभिभावक, शिक्षक या कोचिंग सेंटर का कर्मचारी शिकायत कर सकेंगे। जिला समिति 30 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करेगी।
इस बिल में स्टेट लेवल पर प्राधिकरण और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर समिति का गठन करने का प्रावधान भी रखा गया है। ये दोनों बॉडी कोचिंग सेंटर को स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर मॉनीटर करेगी। दोनों बॉडी में 11-12 सदस्य होंगे। इन सदस्यों में सरकारी अधिकारी, कोचिंग, अभिभावक, हेल्थ, पुलिस के लोग हैं लेकिन किसी भी बॉडी में ज्यूडिशरी, स्थानीय जन प्रतिनिधि और किसी भी एनजीओ के व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया है।
कई शिक्षाविदों ने बिल का स्वागत करते हुए शिक्षा को व्यवसाय बनाने वाले कतिपय कोचिंग सेंटर्स पर नियंत्रण की दृष्टि से राजस्थान विधानसभा में लाए गए इस विधेयक के लिए भजन लाल सरकार को बधाई दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य विधानसभा में यह बिल सर्वसम्मति से पास होगा या नहीं तथा विधेयक के पारित होने के बाद राजस्थान में छात्रों की आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं पर अंकुश लगेगा अथवा नहीं?
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