
Compassionate Appointments : माता-पिता फर्जी, उनकी नौकरी फर्जी, मौत भी फर्जी, फिर भी 6 को मिली असली अनुकंपा नियुक्ति!
Rewa : जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां पिछले एक साल में 6 लोगों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई। हैरानी की बात यह है कि उनके माता-पिता जीवित थे और उन्होंने कभी भी राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग में काम नहीं किया। इन नियुक्तियों के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए, जिसमें ‘फर्जी माता-पिता’ की मृत्यु दिखाई गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घोटाले के सामने आने के बाद, रीवा के संभाग आयुक्त ने पिछले तीन वर्षों में अनुकंपा के आधार पर की गई सभी नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए। यह जांच रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिलों में होगी।
रीवा के संभाग आयुक्त बीएस जामोद ने बताया कि उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले तीन सालों में अनुकंपा के आधार पर हुई सभी नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए हैं। जिले के एसडीएम जांच का नेतृत्व करेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग और कोषालय विभाग के एक-एक अधिकारी टीम के सदस्य होंगे। उन्हें 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इसके साथ ही रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया।
पिछले एक साल में 36 अनुकंपा नियुक्तियां सामने आई, सभी को नोटिस दिए गए। कागजात सहित जिला शिक्षा कार्यालय बुलाया गया, लेकिन 10 नहीं पहुंचे। उनके कागजात जांचे तो 6 पूरी तरीके से फर्जी निकले। वहीं 4 अभी संदिग्ध हैं। यह सारे मामले सिर्फ एक साल में दी गई अनुकंपा नियुक्ति के हैं। खुलासे के बाद अब पुराने प्रकरण भी संदेह के घेरे में हैं।
छह आरोपियों के खिलाफ केस
एफआईआर के अनुसार, छह आरोपियों हीरामणि रावत, ओम प्रकाश कोल, सुषमा कोल, विनय कुमार रावत, उषा देवी और एक अन्य ने जाली दस्तावेजों का उपयोग कर अनुकंपा के आधार पर नौकरी हासिल की। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में तैनात एक क्लर्क, प्रसन्नधर द्विवेदी, जो अनुकंपा के आधार पर भर्ती के लिए जिम्मेदार था, पर भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
ऐसे मामले पहले भी आ चुके
जानकारी के अनुसार, इन छह लोगों के अलावा, पहले भी ऐसा एक मामला सामने आया था। इसके बाद, अधिकारियों ने रीवा में पिछले एक साल में अनुकंपा नियुक्ति वाली सभी नौकरियों का सत्यापन किया।।रीवा संभाग के आयुक्त बीएस जमोद ने कहा कि ये नियुक्तियां मेरे कार्यकाल के दौरान हुईं और मैंने ही अनियमितता का पर्दाफाश किया।
मृतकों ने सरकारी नौकरी नहीं की
रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी एसएल गुप्ता के मुताबिक, उन्होंने पिछले एक साल के सभी मामलों की जांच करवाई। तब पता चला कि छह और मामले मिले हैं। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को मृत दिखाया गया, उसने न तो सरकार के लिए काम किया और न वह नौकरी पाने वालों का असली माता-पिता था। सारे रिकॉर्ड जाली थे।





