
कांग्रेस का सत्ता पाने का कास्ट बेस्ड नव संकल्प …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
धार जिले के मांडू में चल रहे कांग्रेस पार्टी के नव संकल्प शिविर के पहले दिन राहुल गांधी ने विधायकों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर वह तस्वीर साफ कर दी है कि किन नव संकल्पों के जरिए पार्टी को मध्य प्रदेश और देश में फिर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने की सफल कसरत करनी है। कांग्रेस यानी राहुल गांधी और उनकी कही हुई हर बात को कांग्रेस के हर सिपाही के लिए सफलता का मूल मंत्र माना जाता है। जिस तरह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कही हुई बात का महत्व है, उसी तरह कांग्रेस में राहुल गांधी पार्टी की दशा और दिशा तैयार करने वाले प्रधान सेनापति हैं। और राहुल गांधी की नव संकल्प शिविर में कही हुई हर बात मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए अकाट्य है।
राहुल गांधी का नजरिया है कि कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक काम किया है। हमने पहली बार एक कास्ट बेस्ड इको- सोशल सर्वे तेलंगाना में करके दिखाया है। इसके माध्यम से तेलंगाना का हमने आर्थिक- सामाजिक एक्सरे कर लिया है। इस सर्वे के सवाल हमने बंद कमरे में नौकरशाहों से नहीं बनवाये। दलित, आदिवासी, सामान्य और सभी सामाजिक संगठनों से इन सवालों का प्रारूप तैयार करवाया है। आज हमारे पास तेलंगाना का जो भी डेटा आप चाहते हो वो हम दे सकते हैं। ये विकास का नया मॉडल है, भागीदारी का नया मॉडल है। इससे तेलंगाना में हम नई तरह की राजनीति करने जा रहे हैं, भागीदारी की राजनीति करने जा रहें। जैसे ही डेटा आयेगा 50 फीसदी आरक्षण की माँग तुरंत उठेगी। नरेंद्र मोदी को डेटा से परेशानी क्यों है? क्योंकि डेटा के पीछे सच्चाई छिपी है। तो यही सच्चाई अब कांग्रेस की सत्ता वापसी का ब्रह्मास्त्र बनने जा रही है। सरकार में जनसंख्या के अनुपात में सब की भागीदारी सुनिश्चित करने की राहुल की रणनीति आगामी आम चुनाव और राज्यों के चुनाव में अपनी परीक्षा देने को तैयार है। विकास का यह नया मॉडल खुद की परीक्षा देने के साथ कांग्रेस की परीक्षा लेने से भी नहीं चूकेगा। राहुल गांधी ने साफ किया कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो यहां जातीय जनगणना करवाई जाएगी। शासकीय नौकरियों में दलित , पिछड़ों, आदिवासियों और महिलाओं को मौका दिया जाएगा।
सत्ता में वापसी का दूसरा नव संकल्प राहुल के शब्दों में इस तरह सामने आया कि नफ़रत ना हो तो दो दिन में लोग बीजेपी से असली सवाल पूछने लगेंगे। आप मणिपुर चले जाइए। आप कश्मीर चले जाइए। वहाँ जो छोटे कारोबारी धंधा करते थे उन्हें परे किया गया। आप हिमाचल चले जाइए सेब का धंधा अडानी कर रहें हैं। इनकी रणनीति एक भाई से दूसरे को लड़वाने की होती है। पूरे देश में हिंदू से मुस्लिम को, मणिपुर में एक ट्राइब से दूसरे ट्राइब को, हरियाणा में जाट से नॉन जाट को लड़वाते है। यानी की नफरत और मोहब्बत जैसे मुद्दे कांग्रेस के सत्ता पाने के नव संकल्प में प्रमुखता से शामिल रहेंगे। राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि भाजपा देश में नफरत फैलाने का काम कर रही है।

राहुल की बातों को आगे बढ़ाएं तो उन्होंने कहा कि मैं बिना किसी शक के कह रहा हूँ महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया है। हमने अनेक बार चुनाव आयोग से इलेक्शन डेटा वोटर लिस्ट, और पोलिंग बूथ के वीडियो फुटेज मांगे लेकिन आज कोर्ट में कहने बोलने के बाद भी आज तक तक आयोग ने डेटा नहीं दिया। मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ। मध्य प्रदेश में चुनाव चोरी किया गया है अनेक बार चोरी किया गया है। अगर हम सावधान नहीं रहेंगे, हमारी पार्टी तैयारी नहीं करेगी तो जो महाराष्ट्र में हुआ वो एमपी में फिर होगा। हमने महाराष्ट्र चुनाव की वीडियोग्राफी मांगी, तो उन्होंने कानून बदल दिया। पुरानी वोटरलिस्ट को डिस्ट्रॉय कर दिया। तो कांग्रेस का तीसरा नव संकल्प यही है कि मतदाता सूचियां में गड़बड़ी को खत्म कर ही पार्टी सत्ता में वापसी करेगी। और अगर इसका विस्तार किया जाए तो बात ईवीएम तक भी पहुंच जाती है।
तो कांग्रेस का चौथा नव संकल्प राहुल गांधी के टारगेट पर हमेशा रहे अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपतियों से मुक्ति दिलाना है। राहुल गांधी जी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दो चार उद्योगपतियों के हाथ में है। इससे हर वर्ग परेशान है। और ऐसे में हर वर्ग की परेशानी को दूर करने के लिए नव संकल्प के साथ कांग्रेस ऐसे उद्योगपतियों से मुक्ति दिलाने के लिए मतदाताओं का साथ पाकर सत्ता में वापसी का पुरजोर प्रयास करेगी।

तो राहुल गांधी द्वारा मध्य प्रदेश के विधायकों को नव संकल्प के रूप में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि वरिष्ठ और युवा नेता सामंजस्य बनाकर मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करें। यानी कि राहुल गांधी की सीधी सी हिदायत है कि अब पार्टी के अंदर गुटबाजी की जगह एकता के साथ विजय की रणनीति पर अमल होना चाहिए। और इस बात पर अमल नहीं किया तो शायद सभी नव संकल्प खोखले नजर आएंगे।
और राहुल गांधी ने नव संकल्पों में कार्यकर्ताओं के संघर्ष के जज्बे को भी सत्ता पाने के लिए अनिवार्य बताया। गांधी ने कहा कि इस तरह के आयोजनों को जारी रखते हुए सड़क पर भी आंदोलन करने की रणनीति पर कांग्रेस को अमल करना चाहिए।
नव संकल्पों कड़ी में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने एआई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया को जोड़ा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने शोषण के खिलाफ महिला, युवा, गरीब, आदिवासी और प्रदेश के प्रत्येक नागरिकों की खुशहाली की बात कही। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि पार्टी शरीर है और विधायक उसका चेहरा है। हमारे पास 3 वर्ष और 4 माह का समय है। कांग्रेस के लिए यह परीक्षा की घड़ी है और 2028 में हमें पास होना है।
तो भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. हितेश बाजपेई ने कांग्रेस के नव संकल्प शिविर पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया है कि कांग्रेस हार कर पहुंची धार ! क्या कारण है कि भाजपा अपने चिंतन के लिए भगवन महादेव का स्थान चुनती है
और कांग्रेस मुस्लिम राजा होशंगशाह के मकबरे पर या बाजबहादुर की मजार पर अपनी अक्ल को ढूंडने जाती है ??
अपनी अपनी पसंद है !
सोचियेगा जरूर क्योंकि इससे इस सोच के पीछे की सोच आपको समझ आएगी!
तो कांग्रेस का धार जिले के मांडव में नव संकल्पों का यह मंथन मूल रूप से कांग्रेस के वही पुराने मुद्दे हैं जिन्हें नव संकल्प के रूप में लेकर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों में नई ऊर्जा का संचार करना चाहती है। ताकि सत्ता से बेदखली की लंबी खाई को भर कर कांग्रेस को सत्ता की सड़क पर दौड़ाया जा सके। इनमें कांग्रेस का कास्ट बेस्ड तेलंगाना विकास मॉडल नव संकल्पों का सिरमौर माना जा सकता है… पर मुश्किल यह है कि सत्ता में बैठी भाजपा कास्ट बेस्ड पॉलिटिक्स को जातिगत जनगणना के साथ पहले ही स्वीकार कर चुकी है।





