बातचीत : योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर 

'प्रतिस्पर्धा से योग को दुनिया में नया आयाम और विस्तार मिलेगा!

270

बातचीत : योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर 

बेंगलुरु स्थित ‘अक्षर योग केंद्र’ में आज 12 नए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी!

वरिष्ठ पत्रकार और योग गुरु कर्मयोगी की रिपोर्ट

IMG 20250621 WA0005

सुखद संयोग ही है कि भारत की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बेंगलुरु से योग की अनूठी धारा दुनिया को हैरत में डालने वाली है। यूं तो बेंगलुरु आईटी हब है। लेकिन, यहां आध्यात्मिक ज्ञान व योग की भी वैश्विक ख्याति है। आजकल बेंगलुरु स्थित अक्षर योग केंद्र इन देश-विदेश के हजारों योग साधकों की गहमागहमी को केंद्र बना हुआ है। आध्यात्मिक व योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर के नेतृत्व में इतिहास रचने की तैयारी जारी है। जिसमें अमेरिका, यूरोप,अफ्रीका व एशिया के हजारों प्रतिभागी 12 गिनीज बुक रिकॉर्ड के ऑफिशियल प्रयास की तैयारी में जुटे हैं।

यह आयोजन इस बार 11वें विश्व योग दिवस पर होने जा रहा है। अन्य विधाओं के साथ योग में भी विश्व रिकॉर्ड बनाने की क्या जरूरत है। हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि यह प्रयास हमारी प्राचीन विरासत के संरक्षण के साथ दुनिया को यह बताना है कि इसके असली वारिस हम ही हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार 11वें विश्व योग दिवस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थीम ’योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ घोषित की है। इस आयोजन से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर अक्षर योग के संस्थापक और योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर से बातचीत :

IMG 20250621 WA0003

● इस बार बारह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाने की प्रेरणा क्या है?

★ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत से ही हम ऐसे आयोजन करते रहे हैं। शुरुआती वर्षों में हमने बड़े स्तर पर योग प्रतियोगिताएं आयोजित की और पाया कि जब प्रतिस्पर्धा में एक सकारात्मक तत्व जोड़ा गया, तो प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह और ऊर्जा देखने को मिली। एक विशेष आयोजन था 300 सूर्य नमस्कार का। जिसमें लगभग 6 से 6.5 घंटे लगे। इसका प्रभाव अद्भुत था, इससे योग साधकों में अनुशासन, एकाग्रता आयी और पूरे योग साधकों में गहराई से ऊर्जा का संचार हुआ।

हम पहले ही 9 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं और इस वर्ष के 12 रिकॉर्ड्स उसी यात्रा का अगला चरण हैं। यह प्रेरणा पहले आयोजनों की सफलता से मिली है। बीते कुछ महीनों से हम पूरी तरह से तैयारियों में जुटे हैं और विश्वास है कि यह भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण होगा।

 

● क्या योग को वैश्विक मान्यता के बाद योग की विरासत समृद्ध हुई?

★ निश्चित रूप से, योग भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक गहरा हिस्सा है। यह भारत की ओर से विश्व को मिला एक उपहार है जो स्वास्थ्य और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस सच्चाई को पहचाना और योग को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की दूरदर्शिता दिखाई। उन्हीं के प्रयासों से 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मान्यता दी। निर्विवाद रूप से यह पहल मोदी जी के ‘वन वर्ल्ड, वन हेल्थ’ के दृष्टिकोण को साकार करती है। उनकी दूर दृष्टि में योग को एक स्वस्थ, एकजुट विश्व के निर्माण की शक्ति के रूप में देखा गया है। हमारे आगामी आयोजन में जापान, फ्रांस, यूके, यूएसए, हांगकांग, मलेशिया, ताइवान समेत कई देशों के प्रतिभागी जुड़ रहे हैं। जब किसी परिवार में एक व्यक्ति योग करता है, तो इसका सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है। कल्पना कीजिए अगर ये अभ्यास वैश्विक स्तर पर हो जाए तो यह पहल 2025 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को विश्व भर को शांति, शक्ति और एकता की ओर समर्पित करने वाली बनाएगी।

 

● इस भव्य आयोजन के माध्यम से आप दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं?

★ उसकी ओर समर्पण के साथ बढ़ना कितना जरूरी है। संदेश सरल है ‘लक्ष्य बनाइए, और फिर पूरी मेहनत से उसकी ओर अग्रसर हो जाइए।’ हम चाहते हैं कि इस प्रयास से पूरी दुनिया के लोग अपने भीतर की शक्ति को पहचानें, अपने उद्देश्य को समझें, और पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ें। जीवन या योग दोनों में यात्रा एक स्पष्ट इरादे से शुरू होती है।

 

● आप इन 12 रिकॉर्ड्स के माध्यम से भारत की प्राचीन योग परंपरा को वैश्विक स्तर पर कैसे प्रचारित करेंगे?

★ वैसे तो योग स्वयं में एक सनातन धरोहर है, जिसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। संयुक्त राष्ट्र पहले ही इसे मान्यता दे चुका है। इन 12 रिकॉर्ड्स का उद्देश्य योग की महानता बढ़ाना नहीं है। क्योंकि, योग पहले से ही संपूर्ण, प्राचीन और सर्वोच्च है। यह प्रयास जागरूकता फैलाने के लिए हैं। ताकि अधिक से अधिक लोग इस जीवन विज्ञान के निकट आएं और इसके रूपांतरणकारी प्रभाव का अनुभव करें। यह मिशन आयुष मंत्रालय के उस प्रयास से भी जुड़ा है जो भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को विश्व मंच पर लाने के लिए लगातार काम कर रहा है। यह प्रयास उन महान गुरुओं को समर्पित है, जिन्होंने इस ज्ञान को सुरक्षित रखा और हमें सौंपा। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इसे आगे बढ़ाएं।

 

● आप मानते हैं यह क्षण भारत के लिए विश्व मंच पर अपनी आध्यात्मिक नेतृत्व भूमिका को पुनर्स्थापित करने का अवसर है?

★ निस्संदेह, भारत को हमेशा से आध्यात्मिक भूमि के रूप में जाना जाता रहा है। हिमाचल, काशी, वृंदावन, ऋषिकेश हर स्थान में दिव्यता है, जो विश्व भर के साधकों को आकर्षित करती है। जब भी कोई आध्यात्मिक राजधानी की बात करता है, तो भारत ही सबसे पहले नाम बनकर उभरता है। ऐसे प्रयास योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिकता पर केंद्रित भारत की विरासत को न केवल उत्सव के रूप में प्रस्तुत करते हैं, बल्कि इसकी शुद्धता के साथ उसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाते हैं। यह निःसंदेह एक निर्धारक क्षण है, जो भारत को योग और आध्यात्मिकता के वैश्विक अग्रणी के रूप में पुनः स्थापित कर रहा है।

 

● एक साथ 12 वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तैयारी में मुख्य चुनौतियां क्या रही हैं?

★ बारह रिकॉर्ड्स की एक साथ योजना बनाना बहुत ही विशाल और जटिल कार्य है। गिनीज रिकॉर्ड्स की प्रक्रिया स्वयं में बहुत सख्त होती है। खासकर जब यह बड़े समूहों से संबंधित हो।सबसे बड़ी चुनौती होती है लॉजिस्टिक्स स्थान, दस्तावेज़ीकरण, दिशा निर्देशों का पालन और सब कुछ समन्वित ढंग से करना।इस बार हमने सिर्फ अपने योग केन्द्र के छात्रों को ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना, वायुसेना, कर्नाटक पुलिस, विदेशी नागरिकों, स्कूल/कॉलेज के छात्रों, गृहणियों, योग प्रेमियों और पेशेवरों को भी शामिल किया है। इतने विविध समूहों को प्रशिक्षण देना और उन्हें एक समान स्तर तक लाना, एक बड़ी चुनौती है।

 

● इन प्रतिभागियों और आपकी कोर टीम के लिए कैसी तैयारी और अनुशासन की आवश्यकता होती है?

★ वास्तव में कोर टीम को पहले स्वयं सभी 12 आसनों की पूर्ण जानकारी और अभ्यास रखना होता है तकनीक, समय और निष्पादन। फिर उन्हें पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर जाकर समूहों को प्रशिक्षित करना होता है। सेना, कॉलेज, स्कूल, पुलिस आदि। प्रत्येक समूह के हिसाब से योजना बनानी होती है।प्रतिभागियों को भी हर आसन की शुद्धता और समय-संयम समझना होता है और लगातार अभ्यास करना होता है।यह सिर्फ शारीरिक शक्ति नहीं, बल्कि मानसिक एकाग्रता और एकता की भावना भी विकसित करता है।

 

● इस पहल में अंतरराष्ट्रीय योग साधकों की कितनी भागीदारी है?

★ हालांकि आयोजन भारत में हो रहा है, लेकिन यह केवल भारत तक सीमित नहीं है। इसमें अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। हम 12 अलग-अलग रिकॉर्ड्स कर रहे हैं, इसलिए प्रतिभागियों को उनके सुविधाजनक रिकॉर्ड्स में भाग लेने की अनुमति दी गई है। अब तक 40 से अधिक देशों से प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है हांगकांग, मलेशिया, जापान, ताइवान, फ्रांस, यूके, यूएसए और कई अन्य।यह पहल एक वैश्विक योग आंदोलन बन चुकी है।

IMG 20250621 WA0004

● अब तक आपकी आध्यात्मिक यात्रा क्या रही है और योग ने आपके जीवन को कैसे आकार दिया?

★ निस्संदेह, यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर शुरुआत में। लेकिन, जब आप गहराई से आध्यात्मिक पथ पर चल चुके होते हैं, तो भूत, वर्तमान और भविष्य का भेद मिट जाता है। जीवन हर पल में जिया जाता है न अतीत की चिंता, न भविष्य की। यही सच्चा आध्यात्मिक अनुभव है।अब मैं पूरी तरह वर्तमान में जीता हूं। केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समाज, राज्य और राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करता हूं। योग ने मेरी इस यात्रा में बेहद रूपांतरणकारी भूमिका निभाई है। हर आसन सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा को भी रूपांतरित करता है।अगर कुछ ही महीनों में योग से वजन कम हो सकता है, तो कल्पना कीजिए दीर्घकालिक अभ्यास से आंतरिक परिवर्तन कैसा होगा।हिमालय की शिक्षाओं से पथ प्रदर्शित होने पर यह परिवर्तन और भी सकारात्मक बन जाता है।

 

● आप यदि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर पूरी दुनिया को एक संदेश दे सकें, तो वह क्या होगा?

★ हमारे ऋषि-मुनियों और गुरुओं ने पहले ही सबसे महान संदेश दुनिया को दे दिए हैं, मैं तो केवल उनकी अनादि वाणी की गूंज हूं। मेरा संदेश है जीवन एक पवित्र उपहार है। इसे व्यर्थ मत जाने दीजिए। अपने अस्तित्व का गूढ़ सत्य समझिए। अपने जीवन का उद्देश्य खोजिए। जब वह स्पष्ट हो जाए, पूरी ऊर्जा और दृढ़ता से उसकी ओर बढ़िए। योग दिवस हमें यह याद दिलाने के लिए है कि हमारा जीवन अर्थपूर्ण, शक्तिशाली और संभावनाओं से भरा हुआ है। जैसे-जैसे आप आंतरिक रूप से शक्तिशाली होते हैं, आपका बाहरी जीवन भी सुंदरता से खिलता है। योग इस बोध की ओर आपका मार्गदर्शक बन सकता है।