दो केन्द्रीय मंत्रियों के बीच समन्वय!
मप्र से जुड़े दो केन्द्रीय मंत्रियों ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेन्द्र सिंह तोमर के बारे में खबर आ रही है कि दोनों ने आपस में समन्वय बढ़ाने और ग्वालियर चंबल संभाग में मिलकर काम करने पर फोकस किया है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से दोनों के समर्थकों में यह संदेश था कि इन दोनों नेताओं की पटरी नहीं बैठ रही है।
ग्वालियर में आईजी की पदस्थापना और जिला भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर इन नेताओं के बीच खाई साफ दिखाई दी। चर्चा है कि आपसी समन्वय बढ़ाने की पहल सिंधिया की ओर से हुई है। वे दिल्ली में अचानक तोमर के घर पहुंचे और लगभग तीन घंटे अनेक मुद्दों पर बात की। तोमर ने भी इसे आगे बढ़ाया और कुछ दिनों बाद वे भी सिंधिया के घर सौजन्य मुलाकात करने पहुंच गये। यानि ग्वालियर चंबल संभाग में यह संदेश देने का प्रयास तो चल ही रहा है कि तोमर-सिंधिया एक हैं।
*मंत्रीजी ने दारू छोड़ी!*
मप्र के एक कैबिनेट मंत्रीजी ने शराब की लत छोड़ने का फैसला किया। वे कुछ मित्रों के साथ हरिद्वार के गायत्री मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने दोस्तों को साक्षी बनाकर भविष्य में शराब न पीने का संकल्प लिया। अभी तीन सप्ताह ही हुए हैं। रात दस बजे के बाद मंत्रीजी के दोस्त मंत्रीजी के यहां फोन लगाकर पता करते हैं कि मंत्रीजी शुरू तो नहीं हो गये हैं। लेकिन बीते तीन सप्ताह में मंत्रीजी ने दारू से हाथ नहीं लगाया है। दरअसल मंत्री जी को अपने राजनीतिक भविष्य की चिन्ता सता रही है। दारू के नशे में वे ऊल जलूल बयान दे जाते हैं। इससे मंत्रीजी की काफी फजीहत भी होती है। दारू उतरती है तब अहसास होता है कि गलत बयानी हो गई। बताते हैं कि उनके राजनीतिक आका ने भी उनसे दारू छोड़ने को कहा था।
*आर-पार के मूड में उमा भारती!*
मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का आखिर एजेंडा क्या है? मप्र की शराब नीति और अवैध खनन तो बहाना है उमा भारती किसी “हिडन एजेंडे” को लेकर मप्र में शिवराज सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और देश की दिग्गज नेता उमा भारती कभी शराब की दुकान पर पत्थर फेंकती हैं, कभी गोबर फेंकती हैं तो कभी शराब की दूकान के सामने गाय बांध देती हैं। ओरछा में उन्होंने अभी तक का सबसे मार्मिक बयान दिया कि मप्र की भाजपा सरकार के लिए उन्होंने वोट मांगे थे, इसलिए मैं दोषी हूं। मुझे फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।
यानि यह तय है कि उमा भारती अब मप्र में आर-पार के मूड में हैं। सूत्रों के अनुसार मप्र की प्रस्तावित शराब नीति पर शिवराज सिंह चौहान की पार्टी नेताओं से चर्चा हो गई है। उमाजी के किसी भी सुझाव को प्रस्तावित नीति में शामिल न करने का निर्णय भी हो चुका है। अब देखना है कि उमा भारती क्या करेंगी? वे भाजपा छोड़ेंगी या भाजपा फिर से उन्हें निकालेगी? इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उमा भारती की भूमिका पर सबकी नजर रहेगी।
*सहाराश्री को कौन बचा रहा है?*
यह खबर हम इस काॅलम में पहले भी छाप चुके हैं। लेकिन अब ताजा मामला भोपाल का है। सहाराश्री यानि सहारा ग्रुप के चेयरमेन सुब्रत राय और उनकी कंपनी के खिलाफ भोपाल के एमपी नगर थाने करोड़ों की हेराफेरी की एफआईआर दर्ज की गई है। सहारा ग्रुप के खिलाफ मप्र के अनेक शहरों में एफआईआर दर्ज है। कई थानों के रिकार्ड के अनुसार सहाराश्री फरार मुल्जिम हैं। कुछ थानों की पुलिस तो उनकी गिरफ्तारी का नाटक करने लखनऊ तक हो आई है। मजेदार बात यह है कि जिन सहाराश्री को पुलिस गिरफ्तार करना चाहती है, भोपाल के एमपी नगर में उनका शानदार ऑफिस संचालित हो रहा है। उनके ग्रुप का टीवी चैनल चल रहा है। यदि वाकई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है तो उन पर ईनाम घोषित होना चाहिए। उनके संस्थानों के खिलाफ कोर्ट के जरिये कार्यवाही होना चाहिए। उन्हें न्यायालय से फरार घोषित कराना चाहिए। लेकिन पुलिस इस मामले में “ऊपर के इशारे” से संचालित होती है। इशारे पर एफआईआर हो जाती है और इशारे पर ही गिरफ्तारी नहीं होती। जबकि सहाराश्री लखनऊ में शानदार सार्वजनिक जीवन जी रहे हैं।
*पीएमओ के इशारे पर हुई ओएसडी की विदाई!*
मप्र से ताल्लुक रखने वाले एक केन्द्रीय मंत्री ने अपने सबसे भरोसेमंद और राजदार ओएसडी को न केवल अचानक हटा दिया है, बल्कि उससे दूरी भी बना ली है। अचानक हुए इस फैसले से केन्द्रीय मंत्री के हजारों समर्थक हैरान हैं। दरअसल इस ओएसडी के जरिये ही लोग केन्द्रीय मंत्री तक पहुंच बना पाते थे और अपने काम करा पाते थे। यह ओएसडी इतना पावरफुल था कि उसकी हर बात को या उसके मैसेज को केन्द्रीय मंत्री की इच्छा माना जाता था। अब दिल्ली से खबर आ रही है कि केन्द्रीय मंत्री ने अपनी इच्छा से नहीं पीएमओ के इशारे पर ओएसडी को हटाया है। चर्चा है कि पीएमओ के पास ऐसी जानकारी पहुंची थी कि ओएसडी किसी निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने बड़ा खेल कर रहे थे। मजेदार बात यह है कि पीएमओ के पास ओएसडी की भूतकाल की भी पूरी कुंडली मौजूद है।
*हनीट्रैप में फंसा भाजपा नेता*
मप्र भाजपा पिछड़ा वर्ग के प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाये गये और भाजपा से निष्कासित नेता भगत सिंह कुशवाह ने एक साल बाद स्वीकार किया है कि वह हनीट्रैप में फंस चुका है। कुशवाह ने एक साल बाद चुप्पी तोड़ी है कि महिला ने उन पर एक करोड़ की अड़ी डाली थी। महिला ने कथित पत्रकार के साथ मिलकर वारदात की। दोनों जेल गए।
कुशवाह का दावा है कि महिला ने कई लोगों को ब्लेकमेल किया है। रीवा में शराब व्यापारी से गाड़ी लूटी और उसे जबलपुर के पास बोरिया गांव में अरविंद सिंह के घर पर रखा। रीवा कोर्ट ने महिला को हनीट्रैप की गैंग का सदस्य माना है। पर्यटन के अधिकारी हेमंत सिंह को ब्लैकमेल किया। आरटीओ के संगीत जैन समेत 6 लोगों पर झूठा दुष्कर्म का आरोप लगाया। पांच लोगों से शादी कर चुकी है। कई लोगों को ब्लैकमेल कर चुकी है। कुशवाह ने महिला के खिलाफ कदम उठाया है। कुशवाह का दावा है कि मप्र के इंदौर के चर्चित हनीट्रैप में जितने लोग जेल गए थे, उनसे भी बड़ी गैंग इस महिला की है। इनकी गैंग में पाकिस्तानी, अफगानी और जादूगर हैं। एसपी-आईजी इनके पैर पड़ते हैं। इन गंभीर आरोपों पर मप्र सरकार की चुप्पी रहस्यमयी है।
*और अंत में….!*
देश की न्याय व्यवस्था पर भोपाल के 76 वर्ष के एक बुजुर्ग ने 537 पेज की पुस्तक जारी की है। पुस्तक का नाम है *हाईकोर्ट में झूठ*। मप्र लघु उद्योग निगम से महाप्रबंधक पद से जबरन रिटायर किये गये सुरेस चन्द जैन पिछले 21 वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। 2002 से 2007 तक विभाग में अपना पक्ष रखा। 2007 से 2023 तक हाईकोर्ट में लड़ाई जारी है। हाईकोर्ट से उनके पक्ष में फैसला भी हुआ, लेकिन सरकार ने डबल बैंच में ले जाकर मामला लटका दिया। जैन ने अपनी पुस्तक में अपने दस्तावेजों को छापकर इसे देश के न्यायविदों को भेजकर उनके प्रकरण को न्यायिक इतिहास के “केस स्टडी” के रूप में पहचान दिखाने का आग्रह भी किया है। जैन का कहना है कि जिस हाईकोर्ट को मैं राहत का जरिया समझता था, वह मेरे लिए यातना का कारण बना हुआ है।