![2345-01](https://mediawala.in/wp-content/uploads/2023/02/2345-01-696x392.jpg)
Tense Relations Between Governors And CM’s: राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों के बिगड़ते रिश्ते
भारत के कई राज्यों में इन दिनों राज्यपालों को उनकी औकात बता देने का कंपटीशन चल रहा है। इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से कुछ साल पहले हुई। वहां की सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड को नीचा दिखाने की लगातार कोशिश की। यहाँ तक कि राज्य के बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी राज्यपाल के बुलाने पर भी राजभवन नहीं जाते थे। चूंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके संबंध मधुर नहीं थे इसलिए सत्ताधारी त्रृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवा कर राज्यपाल को कुलाधिपति पद से हटा कर विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के अधिकार से उन्हें वंचित कर दिया। धनखड एक जाने माने कानूनविद और हर बार वे राज्य सरकार को कानूनी पक्ष का ज्ञान देते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री पर उनके किसी भी ज्ञान का कोई असर नहीं पड़ा। राज्यपाल ने राज्य सरकार के गलत कार्यों, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर खूब ट्वीट किये। सत्ताधारी दल ने इसके लिए उनकी खूब आलोचना की।
केरल में मुख्यमंत्री विजयन की राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान से नहीं पट रही उन्होंने भी बंगाल का अनुसरण करते हुए राज्य विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवा कर राज्यपाल से कुलपति के नियुक्त करने के अधिकार ले लिया। बाद में केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना की उसके द्वारा नियुक्त कुलपति की कार्रवाई को राज्यपाल से अनुमोदित कराने को कहा।
तमिलनाडु में तो तनाव इतना बढ गया कि विधानसभा में चल रहे राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि राज्यपाल के भाषण की जगह राज्य सरकार द्वारा दी गई भाषण की प्रति को ही सदन से मंजूरी दी जाए। मुख्यमंत्री के इस निवेदन के बाद राज्यपाल आर एन रवि भाषण अधूरा छोड़ सदन से चले गए। सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल द्वारा आयोजित समारोह के बहिष्कार का ऐलान भी कर दिया। सत्ताधारी दल की ओर से तमिलनाडु के राज्यपाल को निशाना बनाकर बयानबाजी भी जारी है। गणतंत्र दिवस की शाम को राजभवन के समारोह डीएमके तो शामिल हुआ लेकिन कुछ अन्य दलों ने इसका बहिष्कार किया।
ताजा मामला तेलंगाना का है, जहां की के चंद्रशेखर राव की सरकार ने बाकायदा आदेश जारी कर कोविद को आधार बता कर गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन पर रोक लगा दी और कहा कि राजभवन में ही राज्यपाल झंडा रोहण कर ले। एक दिन पहले हाई कोर्ट ने राज्य सरकार का आदेश रद्द कर गणतंत्र दिवस समारोहपूर्वक मनाने का आदेश दिया। लेकिन राज्यपाल ने राजभवन मे और मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर झंडारोहण किया। राज्य के मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक तथा अन्य अधिकारी मुख्यमंत्री के यहां समारोह में गये। राजभवन की ओर जाने की किसी ने जरुरत नहीं समझी।
दिल्ली में आप की सरकार और उप मुख्यमंत्री के बीच तनातनी कयी सालों से जारी है। हालांकि पिछले नौ सालों में तीन उप राज्यपाल दिल्ली में रहे लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल की किसी से भी पटरी नहीं बैठी।
*किसका अहंकार ज्यादा – केंद्र अथवा राज्य सरकारों का*
राज्य सरकारों और केंद्र के बीच राज्यपालों की नियुक्ति को लेकर पहले भी टकराव होते रहे हैं। राज्यपालों और प्रदेश सरकारों के बीच भी कयी मुद्दों पर संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, जब से राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकारें सत्ता में आने लगीं, संबंधों में और कडुवाहट पैदा होने लगी। एकाध अपवाद को छोड़कर कयी राज्यों में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच संबंध मधुर सुनने को कम ही मिलते हैं।
![0123 0123](https://mediawala.in/wp-content/uploads/2022/01/0123-120x120.jpg)
अजय कुमार चतुर्वेदी
भारतीय सूचना सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी हैं। वर्तमान में वे स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कई मीडिया संस्थानों के लिए नियमित रूप से लिख रहे हैं। वे नोएडा में रह रहे हैं।