Cotton Outlook : बम्पर पैदावार और कमजोर मांग से खत्म होगा तेजी का दौर!

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Cotton Outlook : बम्पर पैदावार और कमजोर मांग से खत्म होगा तेजी का दौर!

बिजनेस विशेज्ञ बसंत पाल की स्पेशल रिपोर्ट

कॉटन की कीमतों में चल रही तेजी का दौर अब खत्म होता नजर आ रहा है। बम्पर पैदावार और चीन में लॉकडाउन के चलते मांग घटने से कीमतों पर दबाव बढ़ा है। माना जा सकताIMG 20220627 WA0034 है कि घरेलू और विदेशी बाजारों में महंगे कॉटन का दौर अब खत्म होता दिखाई दे रहा है। साल 2022 के अंत तक घरेलू बाजार में कॉटन का भाव 30 हजार रुपए के नीचे लुढ़क सकता हैं।
विदेशी बाजार यानी ICE पर कॉटन दिसंबर वायदा का भाव भी गिरकर नीचे में 80 सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर आने का अनुमान है। जानकारों का कहना है कि मांग कमजोर रहने, डॉलर में मजबूती, पैदावार बंपर रहने के अनुमान और ग्लोबल लेवल पर मंदी की आशंका के चलते कॉटन की कीमतों में गिरावट आ रही है। कीमतों पर यह दबाव आगे भी जारी रहने का अनुमान है।
भारत में कॉटन के भाव में 50,330 रुपये प्रति गांठ की रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 18 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मई 2022 की शुरुआत में ही कॉटन में ढाई साल की तेजी का दौर खत्म हो चुका। बीते 2 महीने से भी कम समय में विदेशी बाजार में कॉटन का भाव 11 साल की रिकॉर्ड हाई 155.95 सेंट प्रति पाउंड से 37 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है।
कॉटन की कीमतों में हालिया गिरावट का संबंध अमेरिका और वैश्विक शेयर बाजारों में हुए नुकसान से जोड़कर भी देखा जा रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की दिशा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं और जिसका असर कमोडिटी बाजार पर भी पड़ रहा है। ग्लोबल लेवल पर अगर मंदी की आशंका और गहराती है, तो अमेरिकी डॉलर में मजबूती आएगी। क्योंकि ऐसे में ज्यादा से ज्यादा फंड डॉलर जैसे सुरक्षित निवेश की ओर शिफ्ट हो जाएगा। मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए अमेरिकी डॉलर 108-110 प्रति रुपए तक बढ़ सकता है।
चीन में लॉकडाउन के चलते भी कीमतों पर दबाव बढ़ा है। चीन दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा आयातक है और ग्लोबल इंपोर्ट में चीन की 21 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा इस साल कॉटन की पैदावार बंपर रहने का अनुमान है, जिससे सप्लाई बढ़ेगी। वहीं डिमांड भी कमजोर है। इन सभी वजहों से कॉटन में गिरावट बढ़ रही है।

निर्यात में कमी की आशंका
2021-22 के फसल वर्ष में मई 2022 तक भारत से तकरीबन 3.7-3.8 मिलियन गांठ कॉटन का निर्यात किया जा चुका है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 5.8 मिलियन गांठ कॉटन का निर्यात किया गया था। इस साल भारत का कॉटन निर्यात 4.0-4.2 मिलियन गांठ तक सीमित रह सकता है।
भारतीय व्यापारियों और मिलों ने ड्यूटी हटने के बाद 5,00,000 गांठ कॉटन की खरीदारी की है। 2021-22 के लिए कुल आयात अब 8,00,000 गांठ हो गया है। सितंबर के अंत तक अन्य संभावित 8,00,000 गांठ के आयात के साथ 2021-22 के लिए कुल आयात 16 लाख गांठ हो जाएगा।

कॉटन पैदावार बढ़ने का अनुमान
इस खरीफ सीजन में देश में कॉटन का रकबा 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. पिछले 2 साल से किसानों को कपास में अच्छा पैसा मिला है।वहीं सोयाबीन की कीमतों में आई हालिया तेज गिरावट से किसान कपास की बुआई की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। मौसम विभाग के ताजा अपडेट के मुताबिक कॉटन की बुआई वाले एरिया में इस साल अच्छी बारिश का अनुमान है।
USDA-NASS के मुताबिक अमेरिका में 19 जून 2022 तक फसल वर्ष 2022-23 के लिए कपास की बुआई 96 फीसदी पूरी हो चुकी है, जो कि पिछले हफ्ते की बुआई 90 फीसदी से 6 फीसदी ज्यादा है।