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Nai Delhi : कांग्रेस को अगले साल अक्टूबर तक पार्टी का अध्यक्ष मिल जाएगा। सोनिया गांधी के तेवर देखकर आज पार्टी के नाराज नेता (G-23) भी सकते में आ गए।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी में उथल-पुथल का दौर है। पर, अब सोनिया गांधी के तेवर सख्त नजर आए। शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में उन्होंने साफ किया कि पार्टी की फुल-टाइम अध्यक्ष वही हैं। उनके इस लहजे में उन नेताओं के लिए संदेश था, जो अध्यक्ष के मुद्दे पर सवाल उठाते रहते थे। सोनिया ने कहा कि उन्हें हमेशा खुलापन भाया है। उन्होंने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि किसी को उनसे बात करने के लिए मीडिया की मदद लेने की जरूरत नहीं है। यह भी स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस को अगले साल अक्टूबर से पहले नया अध्यक्ष नहीं मिलेगा। सोनिया के नेतृत्व में ही कांग्रेस अगले साले 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
CWC मीटिंग में सोनिया
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में अगर पार्टी एकजुट रहेगी, तो ही अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी। उन्होंने खुद से ज्यादा कुछ कहने के बजाय महासचिवों और राज्य प्रभारियों को राज्यों को ब्रीफ करने का जिम्मा सौंप दिया। संगठन चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हर कोई चाहता है कि कांग्रेस नए रूप में सामने आए। लेकिन, इसके लिए एकता और पार्टी के हितों को सर्वोपरि’ रखना जरूरी है। उन्होंने ‘आत्म-नियंत्रण और अनुशासन’ की बात भी कही।
सोनिया गांधी ने कहा कि उन्हें ध्यान है कि वह 2019 से अंतरिम अध्यक्ष हैं। उन्होंने कोविड के चलते संगठन के चुनाव टल जाने का भी हवाला दिया। हालांकि, स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन के चुनाव का कार्यक्रम तैयार हो गया है। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल बाद में CWC को पूरी प्रक्रिया समझाएंगे।
G-23 को मैसेज
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जिस तरह अनुशासन और सेल्फ कंट्रोल की बात की, उससे लगता है कि वे पार्टी के मंचों से इतर दिए जा रहे बयानों पर सख्त होंगी। पिछले दो साल में कई वरिष्ठ नेताओं ने नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए पार्टी छोड़ी है। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ कांग्रेसियों का गुट G-23 लगातार कांग्रेस नेतृत्व को असहज करने वाले बयान देता रहा है।
ये नेता संगठन में व्यापक बदलाव और जल्द से जल्द नए अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा पंजाब, केरल जैसे कई राज्यों में आंतरिक कलह भी सोनिया की चिंता का सबब बनी। सोनिया ने इशारों में ही सही, यह साफ कर दिया है कि किसी को कुछ कहना है तो सीधे उनसे कहे, मीडिया में हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है।
नाराज नेताओं से संपर्क
CWC बैठक से पहले ही पार्टी नेतृत्व ने G-23 नेताओं के साथ सुलह की कोशिशें की थी। इसके संकेत इसी हफ्ते तब मिले जब लखीमपुर खीरी की घटना पर पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने गया। उन्हें सौंपे गए ज्ञापन पर गुलाम नबी आबाद के हस्ताक्षर भी थे। आजाद जी-23 के प्रमुख सदस्य हैं। जी-23 के तेवर भी थोड़े नरम दिखे। आनंद शर्मा ने लखीमपुर कांड को प्रमुखता से उठाने के लिए गांधी परिवार की तारीफ की थी।