Dance at Midnight: मध्य रात्रि का वह चर्चित नाच!
राजीव शर्मा
ग्रामीण विकास और पंचायती राज हमारी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली में ज्वलंत चर्चा का विषय रहे हैं.पंचायती राज अधिनियम से मनरेगा तक सदा राष्ट्रीय विमर्श का लोकप्रिय विषय रहे हैं.क़िस्सा मण्डला का है जब भोपाल से सूचना मिली कि केंद्रीय पंचायत राज मंत्री श्री मणिशंकर अय्यर दो दिन बाद मप्र के दौरे पर आ रहे हैं.वे मण्डला भी आयेंगे और ग्राम पंचायतों में पंचों सरपंचों व जनता से सीधे संवाद करेंगे .प्रकट तौर पर इस भ्रमण का उद्देश्य पंचायती राज की स्थिति का आकलन करना था किंतु यह आशंका भी बलवती थी कि कमियाँ पाये जाने पर राज्य सरकार निशाने पर आ सकती थी क्योंकि केंद्र व राज्य में परस्पर विरोधी दल सत्तासीन थे .
मेरी टीम ने तैयारियाँ शुरू की .विकेंद्रीकरण व स्थानीय स्वायत्तता का प्रबल समर्थक होने से मैंने अपने ज़िले के सरपंचों को सशक्त बनाने के लिये उन्हें निरंतर प्रशिक्षण दिया था .वही मेहनत इस दौरे में उपयोगी साबित हुई .केंद्रीय मंत्री जी यह देखकर मंत्र मुग्ध हो गये कि हमारे जनजातीय सरपंच सभी विधिक प्रावधानों का दक्षता पूर्ण उपयोग जानते थे .महिला सरपंच भी उन्नीस नहीं थीं.कोई भी पति या सचिव पर निर्भर नहीं थीं.मंत्री जी ने जो भी प्रश्न पूछे उनका सटीक उत्तर पाकर गदगद हो गये .
महिला स्व सहायता समूहों की उपस्थिति व सक्रियता देख मंत्री जी भाव विभोर होकर ग्रामीणों की माँदल की थाप पर थिरकने लगे .उस रात पाँच या छह पंचायतों में ढोल ढमाकों के संग नाचते नाचते सुबह का चार बज गया .मप्र के पंचायती राज में ख़ामी खोजने आया केंद्रीय दल शाबाशी देकर अगले दिन विशेष विमान से वापस उड़ गया .
मध्यरात्रि का वह नाच वर्षों तक चर्चा का विषय बना रहा .