बेटियों को सर्वहितकारी क्षेत्रों में महत्व मिलेगा तभी बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ नारा सार्थक होगा – श्री वर्मा

संयुक्त आयोजनों से निखरेगी साहित्यिक प्रतिभाएं- डॉ बटवाल, रंगपंचमी पर साहित्यिक संस्थाओं की संयुक्त काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह सम्पन्न

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बेटियों को सर्वहितकारी क्षेत्रों में महत्व मिलेगा तभी बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ नारा सार्थक होगा – श्री वर्मा

मन्दसौर। प्रमुख स्वयं सेवी संस्था जनपरिषद , अखिल भारतीय साहित्य परिषद, एवं म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन की मंदसौरजिला इकाईयों के तत्वावधान में संयुक्त सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन अपर जिला कलेक्टर मंदसौर श्री आर.पी. वर्मा के मुख्य आतिथ्य, जिला जनपरिषद जिला संयोजक वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल, म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रांतीय प्रतिनिधि ब्रजेश जोशी एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र भावसार के विशेष आतिथ्य एवं पुरातत्व वेत्ता श्री कैलाशचन्द्र पाण्डेय के सानिध्य में विबोध स्कूल परिसर में सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर प्रमुख अतिथि ए.डी.एम. श्री वर्मा के साथ राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित एवं पद्मश्री डॉ वाकणकर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. कैलाशचन्द्र पाण्डे एवं सिविल जज की परीक्षा में मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने पर अक्षिता शुक्ला का सम्मान शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।

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मुख्य अतिथि अपर जिला कलेक्टर एवं अध्यात्म व साहित्य अध्येता श्री आर पी वर्मा ने कहा कि जिले की तीन साहित्य एवं रचनात्मक सृजन करने वाली संस्थाओं की संयुक्त काव्य गोष्ठी त्रिवेणी संगम का अहसास करा रही है। जिस पर होली के पावन त्यौहार का स्पष्ट असर आज की काव्य प्रस्तुतियों मंे मुझे सुनने का मुझे अवसर मिला, साथ ही नगर की बिटिया का सिविल जज के लिये चयन होने पर सम्मान हमारी महिला सम्मान की परम्परा को प्रदर्शित करता है।

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मानस प्रसंग पर श्री वर्मा ने कहा कि राम को लोक मंगल के लिये अयोध्या का राज छोड़कर वन में जाना पड़ा उसे कैकई का कोप एवं मंथरा की कुटिलता माना जाता है परन्तु यह विधि का विधान था कि राम का जन्म लोक मंगल के लिये ही हुआ था, सिर्फ अयोध्या के राजा बनने के लिये नहीं। उसी प्रकार हमारे परिवार की बेटियां भी सर्वहिताय कार्यो के लिये उच्च पदों पर कार्य करे तभी बेटी बचाओं एवं बेटी पढ़ाओं का नारा सार्थक होगा। आपने नगर के साहित्यिक वातावरण और सृजनात्मक कार्यक्रम की सराहना की ।

स्वागत उद्बोधन में डॉ. बटवाल ने कहा कि जिले में जिस प्रकार साहित्यिक वातावरण देखने को मिल रहा है यह सुखद है, साहित्य एवं साहित्यकारों का बंटवारा नहीं किया जा सकता इनको तो सम्मिलित अवसर मिलते रहे तो जिले की साहित्यिक प्रतिभाओं को निखरने का मौका मिलेगा जो प्रदेश एवं देश स्तर पर जिले का नाम गौरवान्वित करेंगे। मंदसौर की साहित्यिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति रही है ।

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पुरावेत्ता श्री पांडेय एवं सिविल जज चयनित अक्षिता शुक्ला ने भी अपने विचार रखे ।

हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रांतीय प्रतिनिधि ब्रजेश जोशी ने पत्रकार एवं यमराज का रोचक प्रसंग सुनाकर पत्रकारों की सूझबूझ के उपयोग का चित्रण किया।

रंगपंचमी अवसर पर आयोजित इस सरस काव्य गोष्ठी की शुरूआत विबोध प्रीस्कूल की उमाभारती एवं अमन प्रीत की सरस्वती वंदना से हुई।

आरम्भ में अतिथियों का स्वागत जनपरिषद संयोजक एवं विबोध स्कूल संस्थापक डॉ घनश्याम बटवाल ने किया

विबोध स्कूल प्रिंसिपल श्रुति बटवाल ने महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण पर व्यंग सुनाते हुए कहा कि ‘‘स्वयं शक्ति स्वरूपा है नारी, नहीं उसे कोई लाचारी’’ महिलाओं को शक्ति नहीं सहयोग की आवश्यकता है। नन्दकिशोर राठौर ने होली गीत ‘‘मना को मान ले मत इंकार, तू तो रंग लगा दे यार’’ सुनाकर होली का रंग लगाने पर मना करने वालों की मानसिक स्वीकृति की बात कहते हुए उन्हें भी रंग लगाने की बात पर जोर दिया। श्रीमती उर्मिला तोमर ने प्रकृति के मधुमास (बसंत) को रूके रहने की अपेक्षा ‘‘तुम ठहरो मधुमास’’ का चित्रण किया तथा नारी के इरादों को बल देने वाली कविता ‘‘नारी तुम निरन्तर अभ्यास करना, अपने इरादों पर दृढ़ रहना’’ सुनाई। हस्ती सांखला ने कविता ‘‘तू न व्यर्थ होकर जी, खून पसीने का अर्थ होकर जी’’ के साथ पानी की कविता ‘‘ भरे आकाश पानी के, हम से रिश्ते पानी के’’ सुनाई।

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आकाशवाणी कलाकार ललित बटवाल ने खुर्शीद अजय का गीत ‘‘नव बसन्त आया, तन मन में मादकता लाया, बासंती आंचल लहराया’’ गाकर वातावरण में सुरीली शास्त्रीय स्वर लहरियां बिखेरी।

कवि लेखक लाल बहादुर श्रीवास्तव ने ‘‘होली के रंग नेताजी के संग’’ सुनाकर नेताओं पर चुटीले व्यंग्य बाण छोड़े।

नरेन्द्र भावसार ने कविता लो फिर आ गया बसंत, लहराने लगी पत्तियां, तोड़ दिये पलाश से योवन के सारे बंध’’ प्रस्तुत की। रीना सोनी ने ‘‘ऐसा देश मेरा साकार, जिसकी करती प्रकृति श्रृंगार’’ सुनाकर देश प्रेम के रंगों को शाश्वत किया। उमा भारती खुतवाल ने ‘‘कल एक झलक जिन्दगी की देखी’’ कविता सुनाई। वरिष्ठ गीतकार गोपाल बैरागी ने ‘‘महुआ की मादक गंध लिये, होली के भाव जगाने आया हूूं, मन से कभी छूटे नहीं वो रंग लगाने आया हूं। कविता सुनाकर माहोल होली के रंगों की अमिटता का आभास कराया। अजय डांगी ने ‘‘जो पहनता हूूं वो जचता है, जो खाता हूॅ वो पचता है’’ कविता सुनाकर स्वस्थ्य जीवन की तस्वीर बनाई। नरेन्द्रसिंह राणावत ने ‘‘साजन ने होली में एसी करी, रंगों की पिचकारी से मांग भरी’’ गीत सुनाकर पति-पत्नी की होली का चित्रण किया। बलवंत भंडारी ने ‘‘दिल जलाने की मत सोचो, दीप जलाने आया हूॅ, गुलाबी रंग लाया हूॅ। कविता सुनाकर रंगों की प्रकृति का गुणगान किया। चंदा डांगी ने ‘‘होली आई रे, सब चेहरों पर खुशियां लाई रे‘‘ कविता सुनाकर होली का माहौल बना दिया। हरिश दवे ने ‘‘यदि मैं डॉक्टर होता’’ कविता सुनाकर डॉक्टरों की मानसिकता का चित्रण किया। दीपिका मावर ने होली गीत गाकर शब्दों से होली खेली। सुरेन्द्र शर्मा (पहलवान) ने ‘‘कई राते गुजार ली हमने अपने मकाम पर, निंद का एहसास तक नहीं हुआ।

शिक्षाविद रमेशचंद्र चंद्रे गायक नरेंद्र त्रिवेदी , बालकवि ध्रुव जैन , सुनील राठौर, हेमन्त कछावा, अमनप्रीत कौर के साथ नन्हीं बिटिया पूर्वी मेहता ने मंच पर कविता पाठ किया।

इस मौके पर दशपुर रंगमंच संयोजक अभय मेहता , फ़िल्म निर्माता प्रदीप शर्मा , इंजीनियर दिलीप जोशी , जिला पंचायत पूर्व अधिकारी राजेश दुबे , अभिनव मेहता पूर्णिमा मेहता , सुनील कटलाना , बैंक अधिकारी संजय शुक्ला ,कला धर्मी संजय भारती , कैलाश पंचारिया सुरेश भावसार , गौरव सोनी , हेमा चौहान माधुरी पुनवानी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे । संचालन नन्दकिशोर राठौर ने किया एवं आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।