भोपाल| प्रदेश के भू-अभिलेख रिकार्ड में अभी काफी अशुद्धियां है। दिवंगत हो चुके लोगों अभी भी रिकार्ड में भूमिस्वामी बने हुए है। बड़ी बहू, मंझले भैया के नाम से भूमिस्वामी रिकार्ड में दर्ज है। खसरा, खतौनी और नक्शे का रिकार्ड अलग-अलग है। कई खसरों में क्षेत्रफल शून्य चला आ रहा है। प्रदेश के 8 लाख 96 हजार 984 खसरा नंबरों में भूमिस्वामी के नाम ही नहीं है। कई गांवों में नक्शा और खसरों में उपलब्ध भूखंडों की संख्या में अंतर है।
इन त्रुटियों के चलते आमजन को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, जमीन पर कर्ज लेने में दिक्कत आ रही है वहीं नामांतरण और बँटवारा करने में राजस्व अमला भी परेशान हो रहा है। इसलिए अब राज्य सरकार प्रदेशभर के भू अभिलेख रिकार्ड को पखवाड़े का आयोजन कर शुद्ध करेगी।
राजस्व विभाग द्वारा वर्तमान में प्रदेश में भू-अभिलेखों का रियल टाईम संधारण भूलेख पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। खसरा, नक्शा, खतौनी, अधिकार अभिलेख आदि की ऑनलाईन डिजिटली हस्ताक्षरित प्रतिलिपि निर्धारित शुल्क पर नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही है। रिकार्ड को अद्यतन करने का सभी कार्य भूलेख पोर्टल पर संपादित किया जा रहा है।
डाटा ऑनलाईन किया तो हुआ गलतियों का खुलासा-
पहले यह काम एनआईसी सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता था जो ऑफलाईन काम करता था। उसमें डाटा का संधारण तहसीलवार किया जाता था। तहसीलवार परिपाटी अनुसार शब्दावली भिन्न-भिन्न थी। तहसीलवार प्राप्त टाटा को भूलेख पोर्टल पर पोर्ट किया गया जिसके बाद पता चला कि संपूर्ण प्रदेश के भू-अभिलेख डाटा में एकरुपता नहीं है और नागरिकों को उपलब्ध कराए जा रहे कुछ कम्प्यूटरीकृत अभिलेख पूर्णत: शुद्ध नहीं है। प्रचलित नाम अभिलेख में दर्ज नहीं है और आधार में वास्तवित नाम भिन है। इस प्रकार की भूमि स्वामी के नाम में भी त्रुटियां है।
यह हो रही थी दिक्कत-
राजस्व अभिलेखों में त्रुटियों के चलते पीएम किसान योजना, फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। बैंकों से कर्ज लेने में समस्या आ रही है। नामांतरण और बटवारे के प्रकरणों में काम करने में राजस्व अमले को कठिनाई हो रही है। वहीं रिकार्ड शुद्ध नही होंने पर राजस्व विवाद भी बढ़ रहे है।
शुद्धिकरण हेतु पखवाड़ा-
रिकार्ड में प्रदेश स्तर पर उपलब्ध असमानताओं और रिकार्ड की त्रुटियों को ठीक करने हेतु भू-अभिलेख रिकार्ड शुद्धिकरण पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। भू अभिलेख शुद्धिकरण पखवाड़े में अभिकतम भूअभिलेख रिकार्ड का शुद्धिकरण किया जाएगा। इसमें प्रदेशभर के डाटा में एकरुपता लाई जाएगी। इसके बाद अभिलेखों के शुद्ध नहीं होंने के कारण प्रदेश के नागरिकों को होंने वाली समस्याएं, योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने, बैंक से कर्ज मिलने में होंने वाली दिक्कतें, नामांतरण, बँटवारा प्रकरणों में आने वाली परेशानी दूर हो सकेंगी।
मृतक बने हुए है भूमिस्वामी-
रिकार्ड में बड़ी संख्या में भूमिस्वामी ऐसे दर्ज है जिनकी मृत्यु हो चुकी है। नामांतरण के लिए कोई आवेदन नहीं मिलने के कारण मृतकों के नाम रिकार्ड में दर्ज है। इस पखवाड़े में इस प्रकार के फौती नामांतरण की कार्यवाही होगी। इसी तरह रिकार्ड में भूमिस्वामी के रुप में बड़ी बहू, छोटी बहू, मंझले भैया जैसे नाम प्रचलित है। पीएम किसान योजना के तहत जब किसान के नाम को आधार कार्ड में दर्ज नाम के आधार पर सत्यापन किया जाता है तो समस्या सामने आती है और किसान को योजना का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता इन त्रुटिपूर्ण नामों के सुधार के लिए पखवाड़ा अभियान चलाकर इन्हें ठीक किया जाएगा।
8 लाख 96 हजार खसरों में भूमिस्वामी के नाम ही नहीं-
प्रदेश के 8 लाख 96 हजार खसरा नंबरों में क्षेत्रफल शून्य है। कुछ खसरों में क्षेत्रफल शून्य है। एनआईसी सॉफ्टवेयर से भूलेख पोर्टल में अन्य डाटा के साथ अंतरित हो जाने से यह स्थिति बनी है। मूल खसरों से बटांक बनाने पर मूल खसरा नंबर डिलीट ही नहीं किया गया। कुछ खसरा नंबरों में अन्य खसरा नंबर शामिल हो गए। इसे भूलेख पोर्टल पर खसरा डाटा सुधार मॉडयूल से सुधारा जाएगा।
खसरे, खतौनी और नक्शे में अलग रिकार्ड है। इसे एक किया जाएगा। कर्ठ गांवों के नक्शे और खसरों में उपलब्ध भूखंडों की संख्या में अंतर है और कुछ मिसिंग है। भूमिप्रकार और भूमिस्वामी प्रकार में भी अंतर है। अल्फा न्यूमरिक खसरे बनाकर इसे सुधारा जाएगा। कई जगह खसरा नंबरों से अधिक है इसे भी नक्शों के आधार पर सुधारा जाएगा।
आयुक्त भू अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल के अनुसार प्रदेशभर में राजस्व रिकार्ड में जो त्रुटियां है उन्हें राजस्व विभाग पखवाड़े का आयोजन कर ठीक करेगा ताकि रिकार्ड दुरुस्त हो और लोगों को इनके कारण योजनाओं का लाभ लेने में दिक्कत नहीं हो।