Delhi-Mumbai Expressway: एक्सप्रेस-वे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी को चलाया जा सकता है
सोहना-दौसा खंड ( Sohna-Dausa stretch) दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे का पहला खंड है. इसकी लम्बाई 225 किलोमीटर है. यह खंड हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा को जोड़ता है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की लंबाई 1386 किलोमीटर है.यह देश का अब तक का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है. इसकी आधारशिला केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 9 मार्च 2019 को रखी थी.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 फरवरी को पहले खंड का उद्घाटन करने वाले हैं.
एक्सप्रेस-वे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी को चलाया जा सकता है. इस एक्सप्रेस-वे में फिलहाल आठ लेन हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे 12 लेन में बदला जा सकता है. इसके माध्यम से दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी घट जायेगी. महज 12 घंटे में ही देश की राजधानी दिल्ली से आर्थिक राजधानी तक पहुंचा जा सकता है. यानी शाम को छह बजे जब आप मुंबई के लिए दिल्ली से इस एक्सप्रेस-वे पर रवाना होंगे तो फर्राटा मारते हुये सुबह छह बजे मायानगरी में होंगे.
पांच राज्यों से होकर गुजरेगा
यह एक्सप्रेस-वे देश के पांच राज्यों से होकर गुजरता है. यानी दिल्ली के बाद हरियाणा, फिर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और फिर महाराष्ट्र. इन पांचों राज्यों में दिल्ली से मुंबई तक करीब 15 हजार हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया गया है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भोपाल, उज्जैन, अहमदाबाद, इंदौर, सूरत और वडोदरा जैसे शहरों के बीच संपर्क को बेहतर बनाएगा.
लागत और आधुनिक सुविधाएं
करीब 1,00,000 करोड़ की लागत से तैयार इस एक्सप्रेस-वे पर सारे काम को इस साल दिसंबर में पूरा कर लेने का लक्ष्य है. एक्सप्रेस-वे के किनारे कई तरह की सुविधाएं दी गई हैं. मसलन 93 स्थानों पर होटल, ATM, फूड कोर्ट, बर्गर किंग, सब-वे, मैक डोनाल्ड्स, रिटेल शॉप, ईंधन स्टेशन, चार्जिंग स्टेशन. दुर्घटना के शिकार यात्रियों की सुविधा के लिए हर 100 किमी पर ट्रॉमा सेंटर और हेलीपैड भी बनाये गये हैं.
पर्यावरण के अनुकूल
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया गया है. करीब 20 लाख पेड़ लगाये जा रहे हैं. यहां सोलर एनर्जी और स्टेट ग्रिड दोनों का इस्तेमाल किया जायेगा.
बिजली से चलेंगे भारी वाहन
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में कहा था कि इस एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से को ई-हाईवे (इलेक्ट्रिक हाईवे) के रूप में विकसित करने की योजना है, जहां ट्रक और बसें 120 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी. इससे लॉजिस्टिक लागत को 70% तक कम किया जा सकेगा. भारी वाहन डीजल के बजाय बिजली से चलेंगे. पूरे एक्सप्रेस-वे में 8 लेन में से 4 अलग-अलग लेन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए होंगी.