

एक साथ उठी चार भाइयों की अर्थी, चारों बनना चाहते थे डॉक्टर, तेलंगाना की गोदावरी नदी में डूबने से हुई मौत!
पाली. तेलंगाना के बसारा में गोदावरी नदी में डूबने से मौत के शिकार हुए चार जवान भाइयों का आज उनके पैतृक ढाबर गांव में एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. इनमें तीन सगे भाई थे. चौथा उनकी मौसी का लड़का था. एक ही आंगन से तीन सगे भाइयों की अर्थियां उठी तो पूरा गांव चित्कारों से दहल उठा. यह मंजर देखकर वहां मौजूद हर शख्स रो पड़ा. गांव का ऐसा कोई शख्स नहीं था जिसकी पलकी ना भीगी हो. बाद में चारों भाइयों का एक साथ गांव के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया.
बसारा की गोदावरी नदी में रविवार को हुए इस हादसे में राजस्थान के पांच युवकों की डूबने से मौत हो गई थी. इस हादसे के शिकार हुए राकेश, भरत और मदन सगे भाई थे. जबकि विनोद उनके मौसी का बेटा था. ये चारों पाली जिले के रोहट इलाके के ढाबर गांव के रहने वाले थे. हादसे का शिकार हुआ पांचवा युवक नागौर जिले का रहने वाला था. वह इनका दोस्त था. ये पांचों रविवार को गोदावरी नदी में पवित्र स्नान करने गए थे. लेकिन उन्हें पानी की गहराई का अंदाजा नहीं था.
हादसा उस समय हुआ जब ये सभी युवक तेलंगाना के बसारा स्थित गोदावरी नदी में सरस्वती मंदिर के दर्शन से पहले स्नान कर रहे थे। राजस्थान से तीन परिवारों के कुल 18 लोग दर्शन और स्नान के लिए वहां पहुंचे थे। नहाते समय युवक गहरे पानी में चले गए और तेज बहाव में बह गए। आसपास मौजूद परिजनों और स्थानीय लोगों ने शोर मचाया और बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
नदी से बाहर निकाला गया तब तक सबकुछ खत्म हो चुका था
लिहाजा नहाते समय पांचों नदी में डूब गए. हालांकि हादसा होते ही वहां मौजूद लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन को दे दी थी और उनको बाहर निकालने का प्रयास किया. लेकिन जब तक इनको बाहर निकाला गया तब तक सबकुछ खत्म हो चुका था. तीनों सगे भाई अपने परिवार के साथ हैदराबाद के चिंतल नगर में रहते थे. इनके पिता पेमाराम राठौड़ का वहां गोली और बिस्किट का कारोबार है. हादसे की सूचना मिलते ही युवकों के परिवार में कोहराम मच गया था.
लिहाजा नहाते समय पांचों नदी में डूब गए. हालांकि हादसा होते ही वहां मौजूद लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन को दे दी थी और उनको बाहर निकालने का प्रयास किया. लेकिन जब तक इनको बाहर निकाला गया तब तक सबकुछ खत्म हो चुका था. तीनों सगे भाई अपने परिवार के साथ हैदराबाद के चिंतल नगर में रहते थे. इनके पिता पेमाराम राठौड़ का वहां गोली और बिस्किट का कारोबार है. हादसे की सूचना मिलते ही युवकों के परिवार में कोहराम मच गया था.
ग्रामीणों ने जैसे-तैसे करके अंतिम संस्कार से पूर्व की रस्में पूरी करवाई
वहीं जैसे ही ढाबर गांव में हादसे की सूचना मिली तो वहां भी मातम पसर गया था. सोमवार शाम को युवकों के शव ढाबर गांव लाए गए. शव जैसे ही गांव पहुंचे तो उनको देखकर ग्रामीण रो पड़े. उसके बाद मंगलवार को सुबह जल्दी चारों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. एक साथ तीन बेटों को खो देने वाले परिवार के लोगों को संभालना परिजनों और ग्रामीणों के लिए मुश्किल हो गया. ग्रामीणों ने जैसे-तैसे करके उनसे अंतिम संस्कार से पहले की रस्में पूरी करवाई.
वहीं जैसे ही ढाबर गांव में हादसे की सूचना मिली तो वहां भी मातम पसर गया था. सोमवार शाम को युवकों के शव ढाबर गांव लाए गए. शव जैसे ही गांव पहुंचे तो उनको देखकर ग्रामीण रो पड़े. उसके बाद मंगलवार को सुबह जल्दी चारों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. एक साथ तीन बेटों को खो देने वाले परिवार के लोगों को संभालना परिजनों और ग्रामीणों के लिए मुश्किल हो गया. ग्रामीणों ने जैसे-तैसे करके उनसे अंतिम संस्कार से पहले की रस्में पूरी करवाई.
चारों भाई डॉक्टर बनना चाहते थे
ग्रामीणों के अनुसार राकेश इस साल NEET-UG परीक्षा पास कर चुका था. वह MBBS में दाखिले की तैयारी कर रहा था. बाकी तीन भाई भी मेडिकल परीक्षा की तैयारी में जुटे थे. सभी भाइयों का भी सपना और मंजिल एक थी. उनका वह सपना तो पूरा नहीं हुआ लेकिन अंत सबका एक जैसा हो गया. श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के समय सन्नाटा पसरा रहा. ग्रामीणों के मुंह से कोई बोल नहीं पूट रहे थे. सब कातर निगाहों से बस एक दूसरे को देख रहे थे. गांव में आज सुबह घरों में चूल्हे नहीं जले.
ग्रामीणों के अनुसार राकेश इस साल NEET-UG परीक्षा पास कर चुका था. वह MBBS में दाखिले की तैयारी कर रहा था. बाकी तीन भाई भी मेडिकल परीक्षा की तैयारी में जुटे थे. सभी भाइयों का भी सपना और मंजिल एक थी. उनका वह सपना तो पूरा नहीं हुआ लेकिन अंत सबका एक जैसा हो गया. श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के समय सन्नाटा पसरा रहा. ग्रामीणों के मुंह से कोई बोल नहीं पूट रहे थे. सब कातर निगाहों से बस एक दूसरे को देख रहे थे. गांव में आज सुबह घरों में चूल्हे नहीं जले.