
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ ‘जबलपुर’ की तरह कार्यवाही की मांग…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 4 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को लैपटॉप वितरण किए। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सीमित संसाधन होते हुए भी कई गुदड़ी के लाल सामने आए हैं। शासकीय स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष शासकीय स्कूलों में बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट 52 प्रतिशत और निजी स्कूलों में 48 प्रतिशत रहा है। वर्ष 2025 में सरकारी स्कूलों के लगभग 49 हजार और निजी स्कूलों के 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को प्रोत्साहन योजना के तहत लैपटॉप का लाभ मिला है।
सरकारी स्कूलों की उपलब्धि के लिए सरकार को बधाई के साथ एक बार फिर निजी स्कूलों की बात। बात शिक्षा की हो रही है तो निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ राजधानी भोपाल में भी पिछले दिनों कार्रवाई की मांग शुरू हो गई है। यह मांग मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने प्रमाण सहित भोपाल कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराकर की है। मामला एक निजी स्कूल का है। त्रिपाठी ने आरोप लगाया था कि भोपाल के कई बड़े नामी निजी स्कूल शिक्षा माफियाओं के साथ मिलकर चुनिंदा दुकानों से महंगे दामों पर ड्रेस, किताबें, बैग और स्टेशनरी बेचने का दबाव बना रहे हैं। इससे अभिभावक दस गुना महंगे दाम चुकाने को मजबूर हैं और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से लूट-खसोट का अड्डा बन चुकी है। त्रिपाठी ने चेतावनी दी कि यह व्यवस्था अरबों रुपये की अवैध कमाई और करोड़ों रुपये के जीएसटी व इनकम टैक्स की चोरी से जुड़ी हुई है, जिससे मध्यप्रदेश की आर्थिक व्यवस्था पर गहरा आघात हो रहा है।
इसके प्रमाण में जो स्ट्रिंग ऑपरेशन किया गया उसमें नेहरू नगर की अवैध दुकान के कर्मचारी ने बताया कि हमें स्कूल ने बेचने के लिए काम दिया है जो माल बच जाएगा वो वापस नारायण स्कूल जाएगा। उन्हीं का माल हैं मैं तो सिर्फ कर्मचारी हूं। कमीशन की बात पर कहा कि जो भी है भाईसाहब को पता है। बिना जीएसटी के बिल पर बोले जो मुझे बिल दिया गया वो बिल काट रहा हूं मैं तो ….। विवेक त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि भोपाल में निजी स्कूलों की मनमानी पर यही बात सामने आई कि ड्रेस और स्टेशनरी के नाम पर करोड़ों की लूट की जा रही है। राजधानी भोपाल में कई अवैध दुकानों से अभिभावकों को लूटने का खुला खेल चल रहा है। शिक्षा माफियाओं को प्रशासन का पूरा संरक्षण प्राप्त है।
निश्चित तौर से बात एक निजी स्कूल विशेष की नहीं है बल्कि सभी निजी स्कूल एक ही ढर्रे पर निजी व्यावसायिक हितों को साध रहे हैं। और निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक ठगे जा रहे हैं और वह ठगे जाने को मजबूर भी हैं। कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने पीले चावल के साथ सीएस अनुराग जैन को भी शिकायत पत्र भेजा था। इस तरह बात जब निजी स्कूलों की मनमानी की आती है तो सभी जबलपुर में पिछले वर्ष निजी स्कूलों के खिलाफ हुई कठोर कार्रवाई का जिक्र जरूर करते हैं। विवेक त्रिपाठी ने भी उल्लेख किया कि जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा निजी स्कूलों पर की गई कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे शिक्षा माफियाओं पर अंकुश लगा है। उन्होंने मांग की है कि ऐसी कार्रवाई पूरे प्रदेश में सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि अन्य जिलों में निजी स्कूलों की मनमानी रोकी जा सके और छात्रों व अभिभावकों को राहत मिले।
विवेक त्रिपाठी की मांग है कि निजी स्कूलों के खिलाफ दर्ज सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों का 15 कार्य दिवस में निराकरण कर उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए। तो यह सवाल भी किया कि जबलपुर जैसी सख्त कार्यवाही अन्य जिलों में संभव क्यों नहीं है। और इन मुद्दों की तरफ भी ध्यान आकर्षित कराया गया कि एनसीईआरटी की किताबों को पहली कक्षा से ही अनिवार्य किया जाए, वहीं नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 की किताबों में 5 वर्ष तक किसी भी बदलाव पर अंकुश लगे ताकि बार-बार अभिभावकों पर महंगी किताबों का आर्थिक बोझ न पड़े। स्कूलों द्वारा चुनिंदा दुकानों से खरीददारी कराने पर रोक लगे और इस पर सख्त कार्रवाई की जाए। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पोर्टल पर किताबों की सूची तत्काल डाली जाए। नियम विरुद्ध मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई हो 10% का नियम कड़ाई से लागू हो। कांग्रेस सरकार की योजना आरटीई ( शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत गरीब बच्चों को अनिवार्य रूप से प्रवेश दिया जाए और इसके पालन की निगरानी हो जिसके लिए जिला और प्रदेश स्तर पर उचित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनें।जिला कलेक्टर कार्यालय में एक विशेष दिन शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित शिकायतों की जनसुनवाई की जाएं।
वास्तव में विवेक त्रिपाठी कि यह मांगे जन-जन के हितों और निजी स्कूलों की मनमानी व शिक्षा माफिया की लूट के खिलाफ ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ के भाव को समाहित किए हुए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शिक्षा को लेकर संवेदनशील हैं और उनके संरक्षण में ही जबलपुर में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव हो सकी है। यदि राज्य सरकार निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्यवाही के जबलपुर मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करती है तो जबलपुर की तरह ही पूरे प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सकेगा। उम्मीद यही है कि सकारात्मक भाव से जन-जन के हित को देखते हुए सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएगी और बिना भेदभाव के ‘जबलपुर’ की तरह दोषी निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में सफल भी होगी…।





