
Deputy Ranger Dismissed: रिटायरमेंट के दिन ही डिप्टी रेंजर की बर्खास्तगी, 18 लाख के भ्रमण खर्च में अनियमितता की हुई थी जांच
नर्मदापुरम। जिले के वन विभाग में पदस्थ एक डिप्टी रेंजर को रिटायरमेंट के दिन ही बर्खास्त कर देने का एक मामला प्रकाश में आया है। विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर यह बर्खास्तगी की गई।
बताया गया है कि सोमवार को डिप्टी रेंजर की बिदाई का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ही था कि कुछ ही समय पश्चात वन विभाग ने विभागीय जांच के आधार पर रिटायर होने वाले डिप्टी रेंजर को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। मामला 18 लाख रूपये की राशि की अनियमितता से संबद्ध बताया गया है।
वन विभाग के डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को सोमवार को सेवानिवृत्त होना था। सुबह कार्यालय में उन्हें बिदाई दी गई। इसके बाद दोपहर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक आशोक कुमार चौहान ने उन्हें सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया। विभाग के अनुसार डिप्टी रेंजर मिश्रा पर बानापुरा में पदस्थ रहने के दौरान इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट में समितियों के 150 लोगों को भ्रमण पर ले जाना था। इस भ्रमण कार्यक्रम में लगभग 18 लाख रुपए के खर्च में अनियमिता की शिकायत की गई थी। इसकी विभागीय जांच की जा रही थी। जांच के दौरान डिप्टी रेंजर मिश्रा को अपने बचाव में जबाव देने के लिए कहा गया था। उन्होंने 24 जून को अपना जबाव प्रस्तुत किया। इसके बाद उनके जबाव से संतुष्ट न होने और उनके खिलाफ पर्याप्त प्रमाण मिलने से विभाग ने 30 जून को ही अर्थात उनकी सेवा के अंतिम दिवस ही उन्हें बर्खास्त कर दिया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक नर्मदापुरम अशोक कुमार चौहान ने मीडिया को बताया कि डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को सेवा से पृथक कर दिया गया है। उन पर ईको सिस्टम इंप्रूमेंट प्रोजेक्ट में 150 लोगों के भ्रमण कार्यक्रम में 18 लाख के खर्च की राशि में अनियमितता करने का आरोप था। जो जांच में सही पाया गया। अतः सोमवार को सेवानिवृत्ति के दिन ही उन्हें सेवा से पृथक करने के आदेश जारी कर दिए गए। मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने भ्रमण के खर्च के नाम पर फर्जी बिल लगाए थे। यह मामला तब सामने आया जब सेवानिवृत्त फॉरेस्ट अधिकारी मधुकर चतुर्वेदी ने इसकी शिकायत विभाग से की। मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रमण कार्यक्रम के दौरान फर्जी बिल लगाकर 18 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। मिश्रा पर यह गबन का आरोप 2018 में इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के दौरान लगा था।
मुख्य वन संरक्षक ने मीडिया को यह भी बताया कि इस मामले में तत्कालीन डीएफओ अजय पांडे पर भी आरोप हैं। इनकी विभागीय जांच अभी जारी है।





