Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा बच्चों की लिखावट खराब हो रही है  -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद

681

विचार श्रृंखला की द्वितीय  किश्त –

Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा बच्चों की लिखावट खराब हो रही है  -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद

 पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल ने बिगड़ती लिखावट पर एक डिजिटल संवाद आयोजित किया।  लिखावट का मतलब है किसी चीज को पेन या पेंसिल से लिखने का तरीका। इसे अंग्रेज़ी में “Handwriting” कहते हैं. लिखावट को लिखने के ढंग या लिपि के रूप में भी समझा जा सकता है. “आजकल माता पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते , जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है।” बच्चों की शिक्षा लगातार डिजिटल माध्यमों पर जा रही है ऐसे में बच्चे कागज पर लिखना जरुरी नहीं समझते या जब एक आवेदन किसी प्लेन  कागज पर लिखते है ंतो वे कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा मतलब चार लाइन सीधी नहीं लिख पाते ,अक्षर भी कई बार आप लिखे खुदा बांचे  जैसा हो गया है। आप क्या सोचते हैं। क्यों हैंडराइटिंग को महत्व नहीं दे रहे बच्चे भी और माता पिता भी ? आइये जानते है-

संयोजक -रूचि आनंद

1 . कागज़-कलम की जगह की पैड ने ले ली है-_ निरुपमा खरे

      WhatsApp Image 2025 05 03 at 20.26.29
बच्चों की लिखावट खराब होने का सबसे बड़ा कारण है कि आजकल लिखने की आदत छूटती जा रही है। कागज़-कलम की जगह की पैड ने ले ली है। धीरे -धीरे सभी स्कूल स्मार्ट स्कूल बनते जा रहे हैं, वहां ब्लैक बोर्ड की जगह स्क्रीन ने ले ली है और कॉपी की जगह आई पैड आ ग‌ए हैं।
वही हाल माता -पिता और शिक्षकों का भी है। माता -पिता के पास समय नहीं है, स्कूल भेज कर वह अपने कर्तव्य की इतीश्री कर लेते हैं और शिक्षक खुद भी ज्यादा लिखते नहीं हैं तो बच्चों को सिखाएं कैसे ?
समाधान तो यही है कि स्कूलों में विशेष पीरियड एक ऐसा रखा जाए जहां रोज लिखने की आदत डाली जाए। शिक्षक खुद उन्हें लिख कर दिखाएं कि सुंदर हस्तलिपि कैसी होती है। माता -पिता भी थोड़ा समय निकाल कर बच्चों को हाथ पकड़ कर लिखना सिखाएं तो अवश्य सुधार आएगा।

2 .-माता पिता की सोच भी फोर्स करने वाली नहीं रही-प्रभा जैन 

127056513 102864738332712 727259455125339563 n  माता पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है।
कारण:जी हाथ लिखावट बहुत खराब होती जा रही है,कारण पढ़ाई के तरीके बहुत बदले हैं।थेओरी से ज्यादा प्रेक्टिकल में विश्वास होता जा रहा है।बच्चों को बचपन से ही व्यक्तित्व विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है ।अर्थात बच्चों को बचपन से सिर्फ पढाई ही नहीं किन्तु अन्य व्यक्तित्व विकास हेतु खेलकूद,विज्ञान,टूर आदि प्रेक्टिकल से पढाई पर जोर दिया जाता है।। 2)कुछ बड़ी क्लास में आते हैं तो बच्चों में ओंन लाइन पढाई,मोबाइल,कम्प्यूटर आदि का अधिक उपयोग हो जाने के कारण बच्चों में हस्त लेखन की आलस सी आ गई है।पहले के समय मे स्लेट पेम से अक्षर घुटवाते थे,जिससे बच्चों में कॉन्सन्ट्रेशन भी बढता था।
3)वर्तमान समय मे सिर्फ पढाई लिखाई के अलावा अन्य स्वयं की पसंद की गतिविधि में बच्चों को उनकी पसंद के अनुसार माता पिता भी छूट देते हैं।उनकी सोच यही रहती है कि पढ़ाई लिखाई के अलावा भी अन्य क्षेत्र में भी बच्चे पसन्द अनुसार बहुत आगे बढ़ सकते हैं।इसलिए माता पिता की सोच भी फोर्स करने वाली नहीं रही।
इस तरह की सोच से बच्चों को भी छूट मिल।जाती है ,और वे अपनी रुचि अनुसार लिखाई पढ़ाई करते हैं। कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के कारण भी लिखावट को जोर नहीं दिया जाता है।
===============

3 .शिक्षक का पत्र छात्र के नाम –

कलम की पकड़ और अंगुलियों का समायोजन , कलम की नोक और तर्जनी उंगली के बीच नब्बे डिग्री का कोण बनाना-  माधुरी व्यास ” नवपमा “

प्रिय छात्र

हर्षित
तुम्हारी कक्षा के अधिकांश बच्चे लिखावट पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते है। तुम्हारी स्वयं की लिखावट बहुत अस्पष्ट है साथ ही हिंदी लिखते वक्त अक्षरों पर तुम शीर्ष रेखा नहीं बनाते। किसी भी कौशल में पारंगत तब हो सकते हैं जब उसके विकास का क्रमबद्ध और सार्थक प्रयास किया जाय। तुम्हारे अतिरिक्त कुछ बच्चो की लिखावट साफ-स्वच्छ और सुंदर है तथा कुछ विद्यार्थियों के अक्षरों की लिखावट तथा बनावट दोनों ही अस्पष्ट है । सीधी भाषा मे कहा जाय कि बिल्कुल अच्छी नहीं होती। हाई स्कूल तक आने के बाद भी लिखावट नहीं सुधरी है। इसके लिए वह लिपी जिसमें आपको लिखना है उसके अक्षरों की सही बनावट को सही तरीके से लिखना सीखना होगा।प्रत्येक अक्षर को कैसे बनाना, उसकी शुरुआत कैसे करना और कहाँ पर वो अक्षर पूरा होगा ? इस बात का ध्यान रखना होगा। विशेष तौर पर यहाँ उन विद्यार्थियों को ध्यान देने योग्य है जो कक्षा आठवीं तक पहुँचकर भी अपने अक्षरों में सुधार नहीं कर पर है । संसार में ऐसी कोई दवा, कोई टेबलेट या कोई इंजेक्शन नहीं है जिसको लेने से विद्यार्थी के अक्षर खूबसूरत बन जाए।इसके लिए जब भी लिखो तो हर बार आपको ये प्रयास करना होगा की अक्षरों की लिखावट अच्छी हो सके , कलम की पकड़ और अंगुलियों का समायोजन , कलम की नोक और तर्जनी उंगली के बीच नब्बे डिग्री का कोण बनाना जिससे सहजता के साथ अक्षरों का प्रसार हो सके । हर बार सुधार करते जाने के विचार को याद भी रखना होगा। आप स्वयं जब कॉपी के प्रथम पन्ने से अंतिम पन्ने तक देखोगे तो पाओगे की चमत्कारी रूप से आपके अक्षरों में सुधार हुआ है।यह कार्य जितनी जल्दी सम्भव हो कर लीजिए। यहाँ यह एक उदाहरण है। किसी भी कार्य को सुधार हेतु स्वीकार कर, मन लगाकर सुधार की भावना से किया जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। कई विद्यार्थी इस विषय मे या तो प्रयास ही नहीं करते या मार्गदर्शन के अभाव में इस ओर ध्यान नहीं देते अथवा सतत मार्गदर्शन मिलते रहने पर भी प्रयास नहीं करते। अक्षरों को सुधारने के अतिरिक्त प्रयास हेतु धन व समय नष्ट कर विशेष रूप से क्लास में विद्यार्थी लिखावट सुधार सीखने जाते हैं जबकि यह एक सहज प्रक्रिया है जिसका सतर्कता से प्रयोग आसानी से आपकी लिखावट सुधार देगा। इन सब बातों को आत्मसात कर आप सभी बड़ी आसानी से अक्षर सुधरे का सकते है।

Madhuri Vyas

तुम्हारी हिंदी शिक्षिका

=============================

4 .कैलीग्राफी के माध्यम से लिखावट को सुधारा जा सकता है -अचला गुप्ता

WhatsApp Image 2025 05 03 at 20.52.53 जब मैं लगभग 5 वर्ष की थी, पिताजी ने एक स्लेट में धारदार वस्तु से अ से ज्ञ तक लिख कर उस पर बार-बार कलम चला कर लिखने की आदत डाल दी थी। इससे मेरी लिखावट काफी अच्छी हो गई थी।मेरे नर्सरी स्कूल में भी हम नन्हे बच्चों को अक्षरों पर पेंसिल चलाना ‌सिखाते थे।लेकिन अंग्रेजी मीडियम में पढ़ रहे बच्चे हिंदी की लिखावट पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।अंग्रेजी अक्षरों में लिखते लिखते वे कम उम्र में अत्यधिक गृहकार्य के कारणअक्षरों की सुघड़ता को महत्व नहीं देते।
माता पिता व शिक्षक भी इस ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं। हालांकि कैलीग्राफी के माध्यम से लिखावट को सुधारा जा सकता है और इसके लिए कई पालक और शिक्षक प्रयत्नशील हैं।हमें बचपन से ही बच्चों की लिखावट की ओर‌ ध्यान देना चाहिए।
गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के पास काफी समय होता है जिसका सदुपयोग किया जा सकता है।सुंदर लिखावट के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जा सकती है। इससे बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे सुंदर लिखावट के महत्व को समझ पाएंगे।

==================

5 .शिक्षकों को प्रतिदिन एक पेज इमला लिखवाना चाहिए ताकि स्पेलिंग और लिखावट भी अच्छी हो सकें-साधना शर्मा,कोरबा

491838950 590620213398156 1669923354741034025 n

आज के समय में लिखावट को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पर पहले हमारे पढ़ाई के समय लिखावट की बहुत अहमियत होती थी । पहले लिखने के लिये स्लेट पेंसिल होता था या कापी पेंसिल से लिखना शुरू करते थे और यही एक माध्यम था अपने लिखावट को दिखाने के लिएऔर हमारे शिक्षकों का भी बड़ा योगदान था , हमारे अच्छे लिखावट के लिये ।
आज के युवा अधिकतर काम कम्प्यूटर में करते हैं और तो और मोबाईल में भी लिखते है।हमारे  शिक्षकों को प्रतिदिन एक पेज इमला लिखवाना चाहिए ताकि स्पेलिंग और लिखावट भी अच्छी हो सकें । माता पिता को लिखावट के लिए शुरू से ध्यान देना चाहिए।अपनी लिखावट सुधारने के लिए लिखावट अच्छी करने के लिये अभ्यास करते रहना जरूरी है ।
पेंसिल पेपर या स्लेट चाक से लिखेमाता-पिता और शिक्षकों को लिखावट के लिए सचेत रहना चाहिए ।इसलिए कहते हैं किकरत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान ।रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान ॥
============================

6 .लिखावट एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को दर्शाता है- सुषमा शुक्ला473407421 1157239379220130 1882506260235722138 n

1 डिजिटल युग: डिजिटल तकनीक के बढ़ते उपयोग के कारण, लिखावट का महत्व कम हो गया है।
2. समय की कमी: माता-पिता और शिक्षकों के पास समय की कमी होती है, जिससे वे विद्यार्थियों की लिखावट पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
3. अन्य प्राथमिकताएं: शिक्षा प्रणाली में अन्य विषयों और कौशलों पर अधिक ध्यान दिया जाता है, जैसे कि गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी
लिखावट का महत्व कम होना: कुछ लोगों का मानना है कि लिखावट का महत्व कम हो गया है, क्योंकि अधिकांश संचार डिजिटल माध्यम से होता है।
समाधान:
लिखावट का महत्व समझाना: माता-पिता और शिक्षकों को विद्यार्थियों को लिखावट का महत्व समझाना चाहिए, जैसे कि यह उनके संवाद कौशल और व्यक्तित्व को दर्शाता है।
नियमित अभ्यास: विद्यार्थियों को नियमित रूप से लिखावट का अभ्यास करना चाहिए, जिससे उनकी लिखावट में सुधार हो।
लिखावट के लिए प्रोत्साहन: माता-पिता और शिक्षकों को विद्यार्थियों को लिखावट के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जैसे कि उन्हें अच्छे लिखावट के लिए पुरस्कृत करना।
विद्यार्थियो को लिखित और कौशल का विकास जिससे वे दोनों में ही माहिर हो सकें।
निष्कर्ष
लिखावट एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो विद्यार्थियों के संवाद कौशल और व्यक्तित्व को दर्शाता है। माता-पिता और शिक्षकों को विद्यार्थियों की लिखावट पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें नियमित अभ्यास और प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।

समाप्त।

Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा ‘बिगड़ती हैंडराइटिंग -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद