प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का चेहरा बने डॉ. मोहन यादव…

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प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का चेहरा बने डॉ. मोहन यादव…

मध्यप्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा लकी विभाग अगर कोई है तो वह उच्च शिक्षा विभाग ही है। दरअसल इस विभाग से मन से जुड़ाव अगर किसी का रहा है तो वह डॉ. मोहन यादव का रहा है। मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव को मिली थी। और उसी साल लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मध्यप्रदेश को देश का सिरमौर बनाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह डॉ. मोहन यादव को ही जाता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी डॉ. मोहन यादव भारत में शिक्षा के उच्च मापदंडों में प्राचीन काल से भारत के विश्व गुरू होने का जिक्र अवश्य करते हैं। और यह दावा भी करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति-2020 देश को एक बार फिर विश्व गुरू बनाने में सफल होगी। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा विविध संदर्भ” पर दो दिवसीय कार्यशाला आरंभ होने पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का अखिल भारतीय सकल नामांकन अनुपात (जीआरई) में प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तर से अधिक उपलब्धि प्राप्त करने पर सम्मान किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का वर्ष 2021-22 में अखिल भारतीय सकल नामांकन अनुपात (जीईआर 28.4) में मध्यप्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तर से अधिक उपलब्धि (28.9) प्राप्त करने पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा अभिनंदन पत्र तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। दरअसल उस समय डॉ. मोहन यादव ही उच्च शिक्षा मंत्री थे। और यह साबित करता है कि उच्च शिक्षा मंत्री रहते डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की मजबूत नींव का आधार हैं। आरएसएस पृष्ठभूमि के डॉ. मोहन यादव के पास उच्च शिक्षा विभाग था और अब आरएसएस पृष्ठभूमि के इंदर सिंह परमार को इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी मिली है। और उच्च शिक्षा विभाग के बेस्ट परफॉर्मेंस में इस बार इंदर सिंह परमार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष मार्गदर्शन मिलना तय है। वैसे यह खुशी राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने भी जाहिर की है कि मुख्यमंत्री के पास पहले उच्च शिक्षा विभाग रहा है, ऐसे में उन्हें इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनसे बात करने में आसानी रहेगी। निश्चित तौर से राष्ट्रीय परिदृश्य में और राज्य के परिदृश्य में आगामी समय में उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। इसमें डॉ. मोहन यादव के विशेष मार्गदर्शन में इंदर सिंह परमार एक और एक मिलकर ग्यारह साबित हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विचार हैं कि भारतीय संस्कृति और परम्परा, ज्ञान को किसी सीमा में बांधने पर विश्वास नहीं करती। ऋग्वेद के अनुसार ज्ञान जहां से भी आए उसे स्वीकार करना चाहिए। पश्चिम में पेटेंट की व्यवस्था है, जो ज्ञान से हितअर्जन पर आधारित है। जबकि भारत में ऋषि परंपरा को किसी राज्य की सीमा में नहीं रोका गया। हमारा विश्वास है कि ऋषि समूचे जगत के लिए हैं, जो अपना सारा जीवन समाज की बेहतरी के लिए शोध में निकाले वही ऋषि परंपरा है। श्रुति और स्मृति ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण रखा है। भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालयों की भूमिका पर भी उनके विचार स्पष्ट हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि युवा पीढ़ी के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने वाला उच्च शिक्षा विभाग राज्य शासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रदेश में विश्वविद्यालयों को समग्रता में विकसित किया जाएगा। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को इतना प्रभावी बनाया जाएगा कि देश के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थी भी प्रदेश में अध्ययन के लिए आतुर रहेंगे। प्रदेश में क्रांति सूर्य टंट्या मामा के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित होना इस बात का संकेत है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी ज्ञान परम्परा का स्रोत गंगोत्री की तरह पवित्र है। नालंदा और तक्षशिला की धरोहर हमारे पास है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व को सहजता से अपने साथ जोड़ने के लिए हम आतुर हैं। तो उच्च शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा ही जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से भारत को वर्ष 2047 तक विश्व गुरू बनाने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।
तो यह बात साफ है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उच्च शिक्षा मंत्री रहते राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रदेश को अव्वल बनाने पर वह अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य चेहरा बने रहेंगे। लकीर लंबी खींचने की चुनौती से वर्तमान उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को जूझना है। पर मध्यप्रदेश अपनी स्थिति को कायम रखने में सफल रहेगा, यह उम्मीद की जा सकती है। क्योंकि जब डॉ. मोहन यादव उच्च शिक्षा विभाग में कीर्तिमान रच रहे थे, तब इंदर सिंह परमार भी स्कूल शिक्षा विभाग में धुआंधार बल्लेबाजी कर चुके हैं। अब तो दोनों को मिलकर उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में मध्यप्रदेश को अव्वल बनाए रखने के लिए मिलकर जो काम करना है…।