Earthquake : आखिर दिल्ली-NCR में ज्यादा क्यों आते हैं भूकंप!

20 दिन में तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए!

546

Earthquake : आखिर दिल्ली-NCR में ज्यादा क्यों आते हैं भूकंप!

New Delhi नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.7 मापी गई। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिन्दुकुश इलाका बताया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में 20 दिन में तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए।

दिल्ली सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन पर स्थित है। ये सभी एक्टिव भूकंपीय फॉल्ट लाइन हैं। वहीं गुरुग्राम दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाका है। क्योंकि ये कम से कम सात फॉल्ट लाइन पर स्थित है। यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर के इलाके में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में बार-बार आने वाला भूकंप किसी बड़े खतरे की ओर इशारा करता है! नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक दिल्ली में बड़े भूकंप का आशंका कम है। लेकिन, यह नहीं कहा जा सकता कि इससे खतरा बिल्कुल भी नहीं है। दिल्ली-एनसीआर में कई मल्टीलेवल बिल्डिंग हैं। इन बिल्डिंग और अन्य भीड़भाड़ वाले इलाकों में भूकंप काफी गंभीर हो सकता है।
दिल्ली उत्तरी जोन में है। इसे भूकंप का जोन-4 कहा जाता है। जो काफी संवेदनशील माना जाता है। पर्यावरण में बदलाव के कारण भूकंप केंद्र भी बदल रहे हैं, ऐसा टेक्टोनिक प्लेट्स में बदलाव के कारण हो रहा है। दिल्ली हिमालय के करीब है, जिसका निर्माण भारत और यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने से हुआ था। इन प्लेटों में हलचल के कारण दिल्ली-एनसीआर, कानपुर और लखनऊ जैसे शहर भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन हैं, जिससे बड़े भूकंप की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

नेपाल से दिल्ली का कनेक्शन
एक रिपोर्ट कहती हैं, नेपाल के मामले में भी ऐसा ही है। यहां पर बनने वाले भूकंप के केंद्र का असर भारत के उन हिस्सों पर अधिक पड़ता है, जो पहले से संवेदनशील क्षेत्रों में आते हैं। नुकसान कितना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वो कितनी तीव्रता का है।

मीडिया रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग एक्सपर्ट प्रो जावेद एन मलिक कहते हैं, वर्तमान में हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर होती जा रही हैं। इसलिए आने वाले समय में ऐसे भूकंप आते रहेंगे. यही वजह है कि नेपाल में आने वाले भूकंप का असर उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर पर दिखाई देगा।

भूकंप आने के कारण
पृथ्वी के भीतर 7 प्लेट्स होती हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जब इनमें असंतुलन होता है, तो भूकंप का जन्म होता है। इसके अलावा हिमखंड या शिलाओं के खिसकने से भी भूकंप पैदा होता है। कई बार धरती की प्लेट ज्यादा दबाव के चलते ये टूटने भी लगती हैं, जिस कारण ऊर्जा निकलती है और भूकंप आता है।

रिक्टर स्केल क्या है
भूकंप को नापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैमाने को रिक्टर स्केल कहते हैं। इस स्केल की मदद से भूकंप की तरंगों की गणितीय तीव्रता नापी जाती है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल जमीन की कंपन की अधिकतम और आर्बिटर के अनुपात को नापता है। इस स्केल को 1930 के दशक में डेवलप किया गया था।

भूकंप का एपिक सेंटर
भूकंप आने पर धरती पर जिस स्थान पर भूकंपीय तरंगें सबसे पहले पहुंचती है, उसे अधिकेन्द्र (Epicenter) कहते हैं। आसान भाषा में समझे तो जिस जगह जमीन के नीचे भूकंपीय तरंगे शुरू होती हैं, उसे एपिक सेंटर कहते हैं। वहीं, जिस जगह जमीन की सहत की नीचे भूकंप का केंद्र होता है उसे हाइपोसेंटर कहते हैं। ये वो बिंदु होता है जहां से भूकंप की शुरुआत होती है।