देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर देश में ही नहीं सारे विश्व की नज़रें हैं। उत्तर भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के साथ पंजाब और उत्तर पूर्व के मणिपुर के साथ दक्षिण के गोआ में निर्वाचन प्रक्रिया चल रही है।
प्रथम चरण का मतदान 10 फ़रवरी गुरुवार को होगा। सत्तारूढ़ दल समेत सभी प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा दमख़म से चुनौती दी जारही है।
विश्लेषकों के अनुसार ये चुनाव सन 2024 के लोकसभा चुनावों का आधार माने जाएंगे।
राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय दल भी अपने अपने प्रभाव को बढ़ाने में जुटे हैं। राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री ही नहीं प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, रक्षामंत्री, अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री भी प्रचार-प्रसार जनसंपर्क कर रहे हैं। संचार क्रांति के दौर में सोशल मीडिया और वर्चुअल जन संवाद भी बड़े स्तर पर प्रोफेशनल अंदाज़ में जारी है।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच नेता-अभिनेता, स्टार प्रचारक अपने दल व प्रत्याशियों के लिये दिन रात एक कर रहे हैं।
आयाराम-गयाराम भी भिन्न दलों में बड़े पैमाने पर इस दौरान देखा गया। दलों में शामिल होने वालों और दल त्यागने वालों के तर्क-कुतर्क भी उछाल खा रहे हैं। टिकट कटने और टिकट मिलने की ऊहापोह में कई विधानसभा क्षेत्रों में अजीब नज़ारे हैं।
2017 में जिसके खिलाफ, जिस चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा अब 2022 में उसके समर्थन में और उसके लिये वोट मांगे जा रहे हैं।
वादों और दावों के बीच मतदाताओं को लुभाने नये प्रलोभन, नई योजनाओं, नये लाभ, नये उपहार, नया इतिहास बता कर आकर्षित किया जा रहा है।
पंजाब में जहां कांग्रेस सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है वहीं उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश, गोआ में भाजपा की।
इन विधानसभा चुनावों में पहली बार मतदान करने वाले किशोरों के साथ युवा मतदाताओं की भूमिका अहम और निर्णायक साबित होगी।
सभी दलों का फ़ोकस भी मोटेतौर पर युवाओं को रिझाने का है। मंगलवार को ही उत्तरप्रदेश के लिये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण संकल्प पत्र जारी किया।
इसमें महिलाओं के लिये उज्जवला योजना में 3 गैस सिलेंडर मुफ़्त देने के साथ युवा छात्रों को मुफ़्त लेपटॉप, छात्राओं को मुफ़्त स्कूटी दोपहिया वाहन का वादा किया है। न्यूनतम ब्याज पर ऋण सुविधा भी दिलायेंगे।
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव प्रदेश में आईटी क्षेत्र में युवाओं को 22 लाख रोजगार देंगे।
पंजाब में मुख्यमंत्री चन्नी, नवजोतसिंह सिद्धू, अकाली दल, आम आदमी पार्टी, भाजपा, कैप्टन अमरिंदर सिंह का नया दल, किसान मोर्चा भी जोर आजमाइश कर रहे हैं।
केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर ही जाता है। यहां का रुझान और निर्णय ही आगामी आमचुनाव की पटकथा लिखेगा। उत्तरप्रदेश में इस बार 50 फीसदी से अधिक युवा मतदाता सरकार की तस्वीर का फ़ैसला करने जा रहे हैं। कोई 24-25 करोड़ की आबादी में 15 करोड़ से अधिक मतदाता हैं।
इनमें लगभग 20 लाख पहली बार मताधिकार का उपयोग करेंगे। जबकि साढ़े सात करोड़ मतदाताओं की उम्र चालीस साल से कम की है। ऐसे में तय है कि यही वर्ग निर्णायक होगा। राजनीतिक दलों द्वारा जातिगत आधार पर भी टिकट दिये हैं और उम्मीद भी कर रहे हैं कि बाजी उनके हाथ रहेगी।
उत्तरप्रदेश इसलिए अहम होगया है कि कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी का झंडा उठाया है और धुंआधार
प्रचार भी कर रही हैं। 2017 में सपा कांग्रेस को 54 सीटें मिली, बसपा को 19, निर्दलियों को मात्र 5 और भाजपा गठबंधन को सर्वाधिक 325 सीटें मिली थीं।
भाजपा का प्रयास है कि 2017 के घोषणा पत्र के 92 प्रतिशत वादे पूरे करने से परिणाम अब 2022 में दोहराया जाये। विपक्षी दलों की ताकत इसमें लगी है कि योगी को अपदस्थ कर सपा गठबंधन की सरकार बने।
असन्तोष भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, आप, अकाली, किसान मोर्चा, मणिपुर के विद्रोही गुटों समेत सभी में है ऐसे में जो समन्वय के साथ अवसर को भुनाएंगे, वातावरण पक्ष में कर पाएंगे वे प्रत्याशी लाभ में रहेंगे। सभी दलों में दागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
पांच राज्यों के समीपवर्ती राज्यों में भी चुनावी सरगर्मी बनी हुई है। अंतरप्रांतीय सीमाई इलाकों में धरपकड़ भी जारी है। करोड़ों रुपये नकदी, अवैध शराब जखीरे पकड़े गए हैं। समस्याओं के प्रति राजनीतिक दलों द्वारा केवल आरोप-प्रत्यारोप ही देखने-सुनने और पढ़ने को मिल रहे हैं। महंगाई, बेरोजगारी, आरक्षण, शिक्षा, कृषि, अपराध, पेयजल, सड़क जैसे मुद्दे गौण हैं।
देश-दुनिया की नज़र उत्तरप्रदेश और पंजाब पर विशेष है। किसानों के आंदोलन के चलते पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली विशेष प्रभावित रहे, प्रतिक्रिया स्वरूप मतदाताओं का निर्णय महत्वपूर्ण होगा। प्रथम चरण से अंतिम चरण तक कयास लगते रहेंगे पर अंतिम निर्णय तो 10 मार्च को ही मिलेगा।
अमेरिका, चीन, पाकिस्तान ही नहीं अरब और यूरोपीय देशों में भी परिणामों की जिज्ञासा है। जनता सत्ता किसे सौंपती है?