भोपाल में सरकारी दफ्तरों पर 55 करोड़ का बिजली बिल बाकी, 15343 करोड़ के घाटे में इंदौर की कम्पनी

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भोपाल में सरकारी दफ्तरों पर 55 करोड़ का बिजली बिल बाकी, 15343 करोड़ के घाटे में इंदौर की कम्पनी

भोपाल: भोपाल में सरकारी दफ्तरों का 55 करोड़ का बिल बाकी है। इस बकाया राशि में चार हजार से अधिक बिजली कनेक्शन शामिल हैं जिनसे होने वाली सप्लाई से बिजली का उपयोग अफसर कर रहे हैं पर भुगतान में देरी की जा रही है। उधर पिछले साल के बिजली हानि के आंकड़े बताते हैं कि इंदौर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी 15343 करोड़ के घाटे में है।

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी क्षेत्र का भोपाल में सरकारी दफ्तरों का 55.15 करोड़ रुपए का बिल भुगतान नहीं हुआ है। बिल की यह मोटी रकम 4117 विद्युत कनेक्शनों पर बकाया है। इसमें नगर निगम भोपाल का स्ट्रीट लाइट का बिल भी शामिल है। भोपाल नगर निगम द्वारा पिछले दिनों 16.77 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इसके बाद भी 6.17 करोड़ रुपए का बिल भुगतान किया जाना बाकी है। चालू वित्त वर्ष में जिला पुलिस बल, 7वीं वाहिनी, 23वीं वाहिनी और 25वीं वाहिनी में लगे विद्युत कनेक्शनों का 3.09 करोड़ रुपए का पेमेंट भी कम्पनी को हुआ है और 58.73 लाख रुपए बकाया है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने विधायक आरिफ मसूद के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि बकाया जमा नहीं होने पर कनेक्शन काटने की कार्यवाही की जाती है। मसूद ने पूछा था कि कितनी बिल राशि किस सरकारी विभाग का बकाया है और जमा नहीं किए जाने पर किस तरह से वसूली की जाती है।

15343 करोड़ के कर्ज में है पश्चिम क्षेत्र बिजली कम्पनी
विधायक सज्जन सिंह वर्मा के सवाल के लिखित जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी इंदौर की 31 मार्च 2022 की स्थिति में वित्तीय हानि 11897.72 करोड़ है। इसक हानि का मुख्य कारण तकनीकी और वाणिज्यिक हानि के साथ विद्युत विक्रय की दरें वास्तविक लागत के अनुरूप नहीं होना हैं। इससे आय से अधिक व्यय हो रहा है। वर्ष 2021-22 में कम्पनी द्वारा स्टाफ पर 923.04 करोड़ रुपए खर्च किया गया। कम्पनी पर 31 मार्च 22 की स्थिति में 15343.18 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से 1505.82 करोड़ के कर्ज की गारंटी राज्य शासन ने ले रखी है।

पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक से मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप योजना के क्रियान्वयन के लिए 133.96 करोड़, आरएपीडीआरपी पार्ट बी योजना के लिए 51.11 करोड़, सौभाग्य योजना के लिए 98.62 करोड़, आईपीडीएस योजना के लिए 161.07 करोड़, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के लिए 343.91 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है। इसी तरह पावर फाइनेंस कारपोरेशन से आरएपीडीआरपी योजना के लिए 239.07 करोड़, यूको बैंक से दीर्घावधि कार्यशील पूंजी ऋण के लिए 416.63 करोड़, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया से दीर्घावधि कार्यशील पूंजी के लिए 1499.99 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है। इसी तरह राज्य शासन से एसएसटीडी और आईडीपीएस योजना के लिए 918.73 करोड़, एडीबी योजना के लिए 1405.30 करोड़, एफआरपी योजना के लिए 9754.44 करोड़, राज्यविद्युत मंडल द्वारा हस्तांतरित एडीबी ऋण 314.53 करोड़ लिया गया है। इसके अलावा राज्य विद्युत मंडल के बांड के 5.82 करोड़ रुपए बकाया हैं।