Energetic Nalini Tai : अपनी सक्रियता और ऊर्जा से उम्र को अंगूठा दिखाती नलिनी ताई!
उनकी जागरूकता दर्शाने की आदत ग्रुप की महिलाओं के लिए प्रेरणा!
सीमा जयंत भिसे
उम्र बढ़ने से शरीर का बूढ़ा होना जीवन की सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन, क्या सिर्फ उम्र की वजह से ही व्यक्ति बूढ़ा होता है! वास्तव में यह सच नहीं है। व्यक्ति शरीर से ज्यादा मन से बूढ़ा होता है। पर, ये स्थिति सबके साथ नहीं आती। जो मन से बूढ़ा नहीं होता, वह उम्र बढ़ने के बाद भी शारीरिक बदलाव को नकार देता है। जैसे कि नलिनी ताई यानी नलिनी गजानन वेंगुर्लेकर। 88 साल की उम्र में भी उनकी सक्रियता कम नहीं हुई! कोई त्यौहार हो या आयोजन नलिनी ताई कभी किसी से पीछे नहीं रहती।
नलिनी ताई महिलाओं के ग्रुप वरिष्ठ सदस्य है। हिंदी, मराठी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार है। वे नियम से रोज अखबार पढ़ती हैं। यदि कोई लेख उन्हें पसंद आता है, तो वे उस पर अपने विचार रखने में देर नहीं करती। उनकी जागरूकता दर्शाने की आदत ग्रुप की महिलाओं के लिए प्रेरणा है और अपनी सक्रियता से उन्होंने सभी बांधकर रखा है। वे किसी को ग्रुप से टूटने या नाराज नहीं होने देती। यदि किसी सदस्य को किसी बात पर नाराजगी हो, तो भी नलिनी ताई बड़ी शांति से उसका समाधान करने का मौका नहीं चुकती। कहते हैं कि किसी ने उन्हें कभी चिढ़ते या गुस्से में नहीं देखा।
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88 की उम्र में कोई भी हो, उसकी सक्रियता में कमी तो आती है, पर नलिनी ताई एक मिसाल है। नियमित रूप से पैदल सैर करना, हर कार्यक्रम में उत्साह से उपस्थित रहना, दूसरों को प्रोत्साहित करना, संयमित भोजन, गपशप करना जैसी दिनचर्या में ऐसा बहुत कुछ शामिल है। वे रोज 4 से 5 बजे तक धार्मिक पुस्तकों का ऑनलाइन वाचन भी करती है। मीरा देवी, भागवत, शिव पुराण, ज्ञानेश्वरी, दासबोध आदि ग्रंथों को वे पढ़ चुकी हैं। आज भी पेंटिंग करना उनका शौक है। यह आज भी निरंतर जारी है। इस दीपावली पर भी उन्होंने रंगोली बनाई।
नलिनी ताई के पिता एडिशनल जज थे और पति गजानन वेंगुर्लेकर आदिवासी कल्याण विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर। इस कारण झाबुआ, धार, बड़वानी जैसे आदिवासी इलाकों में उनके तबादले होते रहे। पति जहां भी पदस्थ रहे, नलिनी ताई ने वहां की आदिवासी महिलाओं को दोपहर में शिक्षित करती रही। वे खुद पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट है। हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रधान अध्यापिका रह चुकी हैं। महिला प्रौढ़ शिक्षा की वे संयोजक थी। यह सारे कार्य अपने पांच बच्चों का पालन- पोषण करते हुए किए। पांचो ही बच्चे आज उच्च शिक्षित हैं। हाल ही में वे आप ‘पड़ नानी’ बनी यानी तीसरी पीढ़ी को गोद में खिलाने का सौभाग्य भी उन्हें मिला।
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आज जहां महिलाएं जरा-जरा सी बात पर डिप्रेशन में चली जाती है, जीवन से उन्हें क्या चाहिए उनमें इसकी स्पष्टता नहीं होती। उनके सामने नलिनी ताई वास्तव में अनोखा उदाहरण है। वे सजग और आदर्श महिला का साकार रूप हैं। उनके जैसी प्रेरणा हमारे सामने आदर्श के रूप में मौजूद है, जिससे अन्य महिलाओं में जीने का जज्बा बढ़ता है। भागदौड, कोलाहल, मन में कुछ और भौतिक पाने की होड़ के सामने वे कुछ अलग है। वे किसी कथा-कहानी की आदर्श नायिका जैसी लगती है, जिनमें खुद जीने का जज्बा है और दूसरों को प्रेरित करने की ऊर्जा भी।