Exciting story : 6 दिन में तीन-तीन सांपों की दरवाजे पर दस्तक कोई इत्तेफाक था या कोई संकेत

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गुत्थी, जो अब तक अनसुलझी है;

Exciting story : 6 दिन में तीन-तीन सांपों की दरवाजे पर दस्तक कोई इत्तेफाक था या कोई संकेत

-वंदना दुबे

2024 श्रावण का पहला सोमवार, भगवान को दिया बत्ती की ही थी, तभी बाहर बच्चों का शोर सुनाई दिया-
“आंटी गेट के अंदर सांप घुस रहा है ।”
मैं बाहर आई तो बहुत भीड़ थी सबने मुझे अंदर ही रहने को कहा ।

मैंने हिम्मत करके गेट का एक फोल्ड खोला। सांप का मुंह गेट की ओर ही था । मैंने
सांप की ओर फिनाइल फेंका शायद सांप को फिनाइल की तेज गंध पसंद नहीं आई । अचानक वह दूसरी ओर मुड़ा। फिर लोगों ने मिलकर उसे दूर फेंक दिया।हमने चैन की सांस ली ।

सब कहने लगे- श्रावण सोमवार को शिव जी स्वयं आपके द्वार पर आशीर्वाद देने आए थे।

इस बात में कितनी सच्चाई थी नहीं जानती, पर जिज्ञासा थी कि आखिर वह आया कहां से !!

रात को फुर्सत में मैंने सी सी कैमरे में देखा तो दंग रह गई ,सांप हमारे गेट पर फैली सफेद गुलाब की बेल से टपका था । पास की एक बच्ची वहां खेल रही थी। ठीक उसके सामने वह गिरा बच्ची ठिठक कर पीछे हटी। वह कुंडली मार कर बैठ गया। बच्ची घबरा कर चिल्लाने लगी। शोर से वह गेट की ओर आने लगा।गनीमत है कि सांझ के झुरमुट में भी दिखाई दे गया।

अभी एक दिन ही बीता था कि बुधवार की सुबह एक अन्य सांप हमारे मेन गेट के नीचे लेटा हुआ था। कामवाली बाई जोर से चीख पड़ी-
आंटी सांप!!!
मैं भी भयभीत थी ।
एक और सांप!!
जैसे- तैसे उसे हटाया।
मन से सांप का खौफ जा नहीं रहा था , पर खुद को समझाया कि- बारिश का मौसम है जीव जन्तुओं का निकलना सामान्य घटना है ।अभी गुरुवार और शुक्रवार का दिन बीता ही था कि शनिवार की सुबह बाईं को पुनः एक सर्प गेट के नीचे लेटा हुआ दिखा ।पहले तो लगा यह भ्रम है हम भयभीत होकर सांप के बारे में ही सोच रहे हैं इसलिए ऐसा लग रहा है। पर जब साक्षात् नागाबाबा के दर्शन हुए तो मैं भी थर-थर कांपने लगी ।

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आसपास के लोग इकट्ठा हो गए।

कोई कहने लगा कि-
आपने इतने पेड़ पौधे लगा रखे हैं वहीं पल रहे होंगे। और भी हो सकते हैं।

कोई कहता- शिव मंदिर में दूध अर्पित कर आना ।

कोई कहता- गेट पर कुमकुम से ऊं आस्तिकाय नमः लिख दो ।

कोई कहता- राहू केतु के दुष्चक्र का उपाय करो ।

मैं सबकी बातें चुपचाप सुनती रही।

पेड़ पौधों में सर्प छिपे हो सकते हैं ,यह बात हो सकती है। एक पल को मन में आया कि सारे पेड़ पौधे साफ कर दूंगी फिर सोचा इतना परिश्रम से पौधों को पाल पोस कर बड़ा किया है एक सांप के डर से कैसे सबको नष्ट कर दूं?

शिवजी की नित्य ही आराधना करती हूं फिर उनके नाराज होने की संभावना थोड़ी कम ही थी। फिर उन्हें अलग से मनाना ठीक है क्या? खैर मन ने यह करना भी स्वीकार किया।

गेट पर मंत्र लिखना समझ से परे था – क्या सर्प पढ़ें लिखे होते हैं?
जो संस्कृत मंत्र को पढ़ कर समझकर वहां से चले जाएंगे?

ज्योतिष में जब राहू-केतु का चक्र चलता है तो जीव जंतु भयभीत करते हैं।पता नहीं इसमें कितनी सच्चाई है।

खैर डरता क्या न करता।
हमने सबकी बातों पर अमल किया। फिर भी एक बात जो दृढ़ता से दिमाग पर असर डाले हुई थी और उसमें वास्तविकता भी थी, कि बारिश में जीव जन्तुओं के बिलों में पानी भर जाने से वे बाहर आ जाते हैं, साथ ही यह उनका प्रजनन काल होने से उनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है और वे जमीन पर घूमने लगते हैं। विषैले होने के कारण हम उनसे भय खाते हैं जबकि वो हमसे डरते हैं ।

जो भी हो
फिर से श्रावण मास आने वाला है और यह रहस्य अभी भी बना हुआ है कि छः दिन में तीन-तीन सांपों की दरवाजे पर दस्तक कोई इत्तेफाक था या कोई संकेत ?

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-वंदना दुबे, धार

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